किर्र... किर्र... फोन के घंटी
ऑफिस मे काजक बीच अचानक फोन के घंटी किर्र... किर्र... क' बजि उठल। दफ्तर मे काज के बीच कोनो फोन आबै छै त मन खिसिआ जाए छै। ओना, आइ भोरे सं मन भारी छल। बाबूजी फेर सं शादी के बात चला टेंशन द देने छथिन्ह।
फोन उठा क' देखलौं—फेर बाबूजी। ई आइ हुनकर पांचम फोन छल।
"बाबूजी, आब की?"—हम थाकल स्वर में पुछलौं।
"बौआ, अगर कोनो बात छै त खुलिsक बता दिअ। हम सभ तोहर साथ छी। मां के सेहो कोनो परेशानी नै छ, मां एडजस्ट क' लेती। जतय तोहर मर्जी, ओतय हमर सभ के मर्जी। बस, सभ किछ नीक सं भ' जाय। तों चिंता नै करs, हम सभ छी न।"
हम बाबूजी के कहैत रहि गेलौं जे ओहन कोनो बात नै छै, जकरा लेल अहां एतेक बेचैन छी। मुदा बाबूजी मानय लेल तैयार नै।
पंडितजी के एकटा बात, नवका खुरपेंच लगा देने अछि। मां-बाबूजी के मन मे गुनधून मचि गेल छनि। बेर-बेर फोन क' पुछय लगलाह—"तों लड़की के नाम, ओकर परिवार के बारे में बताबह, हम बात क' लेब। परेशान होए के कोनो बात नै छै।"
हम बुझि रहल छलौं जे पंडितजी सभ किछ बता देने होएथिन्ह, मुदा जाति-बिरादरी के बारे मे किछ नै बतौने होएतन्हि। बाबूजी के चिंता- "जे कोन जाति के लड़की पसंद कएने छै, केहन छै, अपना सं पैघ होएत त चलत, नै त गाम-घर मे नाक कटि जाएत।" ओ कहि नै रहल छलखिन्ह, मुदा हुनकर बेचैनी सभ किछ साफ कहि रहल छल.
एहल भेल जे ऑफिस सं डेरा अएला के बादहुं, बाबूजी के फोन सं छुटकारा नै मिलल। दिनभरि हुनकर मन मे घुच्च-पुच्ची जकां बात घुमैत रहल। जखन तक हुनका हमर बात पर पूर्णरूप सं यकीन नहि भs जएतन्हि ओ हमरा फोन करैत रहथिन्ह।
"अगर एहन कोनो बात छलै त पहिने कहने रहितें। हम बेकारे तोरा ओतेक दिन सं परेशान कएने छलहुं। अगर पहिने सं पता रहैत, त दस ठाम कुटमैति के लेल दौड़ने नै रहितौं।"
हम फेर कहैत रहि गेलौं—"बाबूजी, एहन कोनो बात नै छै। पंडितजी के बात मे कोनो सच्चाई नै। अहां जेहि ठाम ठीक क' देब, हम ओतय शादी क' लेब। हमरा पर विश्वास राखू। अहांक पाग सभ दिन उठल रहत। अगर ओहन कोनो बात होएत, त सभ सं पहिने अहां के बताएब। आब बेफिक्र भ' सुतू।"
ई सभ पंडितजी के लगाएल आगि अछि। पंडितजी के पता छनि जे हम दिल्ली में नीक कंपनी में काज करैत छी, नीक पाई मिलैत अछि। ओम्हर मां गाम-घर में सभ के हमर भेजल फोटो-एलबम लोक सभ के देखबैत रहैत छथिन्ह। एहि क्रम मे पंडितजी सेहो हमर कॉलेज के आ संगी-साथी संग घूमय-फिरय के फोटो देखलखिन्ह- कतेको फोटो में संग पढ़य वाली लड़की सभ सेहो अछि।
कॉलेज के ग्रुप फोटो में कोनो लड़की हमर कन्हा पर हाथ रखने अछि, त कोनो में कमर में। ग्रुप फोटोग्राफी में एहन होएत अछि। मुदा गाम के सोच आ दिल्ली के माहौल में जमीन-आसमान के फर्क छै। पंडितजी फोटो देखि क' बुझि लेलक जे बच्चा के लड़की के संग कोनो चक्कर अछि। पोथी-पतरा के ज्ञान सं विद्वता गांठि लेलखिन्ह।
एहन मे ओ त गाम मे भरि पेट खाsक फोंफ काटैत होताह। एहि ठाम हम राति भरि बिछावन पर करवट बदलैत सोचैत रहलौं- "आब की करूं?"
मन भेल जे ओ पंडितबा के पकड़ि क' गला दबा दी, जतेक पोथी-पतरा अछि सभ छिन क' डबरा में फेंक दी। मुदा हम दिल्ली में रहि क' की क' सकैत छी? ओ पंडित सवा सय रुपया दक्षिणा के चक्कर में बाबूजी आ मां के एहन मंत्र देलक जे हम घनचक्कर बनि गेलौं। जिनगी मे भारी तूफान मचि गेल।
ऑफिस मे नबका प्रोजेक्ट पर काज मिलल छल, सोचने छलौं जे खूब मन लगा क' करब, बॉस खुश भ' जेताह। मुदा ई त तेसरे भांगंटि लागि गेल। आब किएक कोनो काज मे मन लागत?
असल मे, आइ बाबूजी हमर शादी के बारे मे जानय लेल पंडितजी के घर बजैलखिन्ह। जन्मपत्री देखा क' पुछलखिन्ह—" देखिऔ बौआ के बियाह के योग केहन छै?"
पंडितजी बतौलखिन्ह—"सभ किछ नीक अछि। लड़की सेहो नीक, सुन्दर, संस्कारी आ सुशील मिलत। अहांक लड़का जकां लड़की सेहो खूब नाम कमाएतीह। मुदा शादी त लड़का अपने सं करत।"
ई गप्प सुनिते मां-बाबूजी सन्न। किछ नै फुरैलन्हि।
पंडितजी के पोथी-पतरा आ गामक सोच के बीच हमर जिनगीक असल परीक्षा चलि रहल अछि।
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जवाब देंहटाएंThe issue was very intresting as we all have to suffer this reality particularily the maithil migrant group who earn well, but they don´t have gfs.
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bhaiya lage yah laddu kabe ka time ab gayel hamra sab ka..........badhai ho.....
जवाब देंहटाएंSabyasachi jee aur Sumit jee... ee bus kahaani chhai aur kichh nai... haan ee zaroor chhai ki ee kahaani hamar ekta dost par gujari rahal chhain... ahan sab kichh upaay bataabi ta hunkar kasht door hoi...bus hum maadhyam banlaun...shukriya.
जवाब देंहटाएंबहुत नीक लागि रहल अछि. मैथिली के बहुत शब्द दिल्ली में आबि के प्रयोग में नहिं अछि, लेकिन अहांक ब्लॉग में पढ़ि के पुरान फिल्म जंका सब किछ आंखिक सामने चलि रहल अछि. पूरा पढ़लाके बाद फेर टिप्पणी करब
जवाब देंहटाएंhum bahut din sa chahait chhalu je kichhu bises dekhi ,par aai sach me bahut kichhu bhetal appan mait pain ke khabar aur e lekh ta aur mast chhai ...dhanyawad.....
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