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कि कि नहि कराएत ई बाढ़ि... ki ki nai karaait ee baarhi


    बाढ़िक हरहराइत पानि मे सभ किछ बहि गेल.  गाम- घर...गाछ-बिरिछ...माल- जाल... दोकान-दौरि सभ किछ.   एकरे संग रेल- सड़क सम्पर्क सभ कटि गेल.   सड़क...पुल...पटरी सभ बहि गेल.   बाहर सं जे माल... सामान सभ आबैत छल सभ बंद भs गेल.  जखन चारु कात पानिए पानि अछि त आएत केना.  जे किछ ऊंच स्थान अछि.   लोक सभ शरण लेने छथिन्ह.  शहरक इलाका जतए ऊंच स्थान पर लोक सभ कोनो तरहे जिनगी बचाबय मे लागल छथिन्ह.   ओहि ठाम सेहो सभ किछ केर दिक्कत अछि.   परेशानी अछि.   खाय पिबय...कपड़ा लत्ता सभ किछ केर परेशानी.   कुसहा मे बांध टूटला बीस- इक्कीस दिन भेलाह सं आओर बाहर सं सामान के आनाय-जनाय बंद भs गेलाह से सामान केर जबरदस्त कमी भ गेल अछि.  कपड़ा-अनाज... चावल... दाल.. तेल... मसाला... नून सं लsक मोमबती...सलाई माचिस तक.  दु टका केर बिस्किट तक नहिं मिलि रहल अछि बाजार मे.  सामानक सप्लाई बंद भेलाह सं सभ किछ केर दिक्कत भ गेल अछि.   लोक खाय पिबय के सामान के लेल तरैसि रहल छथिन्ह.  ई त शहरक हाल अछि... बाजारक हाल अछि.  दूर- दराज केर बाढ़ि मे फंसल लोक केर हालत के त सिर्फ अंदाजा लगा सकय छी.  ऐहन मे जखन बाहर सं... सरकार दिस सं कोनो राहत केर सामान... खाय पिबय केर सामान आबैत अछि त लोक के बर्दाश्त नहिं होय छनि.  जखन देखय छथिन्ह कि दु चारि टा लोक के राहत द s क सामान वाला वापस जा रहल अछि आ दोसर ठाम जा रहल छथि त ओ हुनका सं ओ सामान छिनय चाहय छथिन्ह.   ऐहन छिननाय के चोरि... लूट के श्रेणी मे नहिं राखल जा सकैत अछि.   ई सभ भूखल पिआसल लोक के... अपना आंखिक सामने मे भूख सं बिलखैत परिजन के दम तौड़ैत देख चुकल लोक के जिनगी बचाबय के एकटा आखिरी किरण... आखिरी उपाय बुझाएत छनि.    हुनका लगैत छनि जे आब हमहु नहिं बाचब.   केहुना किछ खाय पिबय लेल मिलि जाए ते जिनगी बचाएल जाए.  हेलीकॉप्टर सं गिराएल गेल सामान के पाबय लेल मारि भs रहल अछि.  जखन हफ्ता...दस दिन...बीस दिन भूखल रहब... पिआसल रहब तखन बुझाएत जे एक एक दाना केर कि महत्व होएत अछि.  ओहि मे राहत दल केर संग खनाय केर पैकेट देख अगर लोक ओकरा लेबय लेल टूटि पड़य छथिन्ह त कोनो भारी दोष नहिं कहल जा सकैत अछि.   ई ओहि हालात केर एकटा सत्य अछि.  एहि सं मुंह नहिं मोड़ल जा सकय अछि.

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