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कुंद नहि होबाक चाही रचनाधर्मिता केर धार- रविन्द्र नाथ ठाकुर

मैथिली भाषा आओर साहित्य के बचैबाक अछि तं हार नञि मानु, लिखैत रहुं, साहित्य सृजन करैत रहुं. भाषा तं तखने बांचत जखन लगातार रचना होएत रहत. काल्हि अगर अहां के कोई पूछि देलक जे मैथिली साहित्य मे कतेक रचना भेल अछि... आओर जखन अहां शान सं कहबै जे 20 हजार आ फेर 50 हज़ार तं पूछय वाला के खुद अंदाज़ लगि जएतन्हि जे मैथिली साहित्य कतेक समृद्ध अछि.

ई उद्गार छलन्हि मैथिली साहित्य के लिविंग लीजेंड
रविन्द्र नाथ ठाकुर जीक.



 ठाकुर जी दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब मे मैथिली साहित्य महासभा केर संगोष्ठी  के संबोधित करय छलखिन्ह. रविदिन 21 फरवरी के अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मैथिली साहित्य महासभा के ओर से आयोजित संगोष्ठी के अध्यक्षता करैत ठाकुर जीक साफ कहनाय छलन्हि जे रचनाधर्मिता केर धार कुंद नहि होबाक चाही. रचना होएत रहत तं मैथिली के विकास होएत रहत. ई रुकबाक नहि चाही.

जखन कि एहिठाम प्रख्यात नाटककार महेंद्र मलंगिया जी मैथिलीक प्रचार-प्रसार पर जोर देलखिन्ह. हुनकर कहनाय छलन्हि जे मैथिली के आगां बढैबाक अछि तं एकरा सर्वजन केर भाषा बनाउ. अखन लगैत अछि जे ई सिर्फ खास लोकक भाषा अछि.


मैथिली भोजपुरी अकादेमी दिल्ली के उपाध्यक्ष कुमार संजॉय सिंहजी मैथिली के विकास लेल संसाधनक अभाव के जिक्र करलखिन्ह. एहि के संग ओ दिल्ली सरकार सं मैथिली भोजपुरी अकादेमी के बजट दोसर अकादेमी जकां बढ़ाबय के आग्रह करलखिन्ह.

संगोष्ठी मे देवशंकर नवीन एहि बात पर चिंता जतौलखिन्ह जे गूगल पर आदि कवि विद्यापति जीके बारे मे बड गड़बड़ चीज लिखल गेल अछि ओकरा दुरुस्त करय के जरूरत अछि.


प्रख्यात कवि गंगेश गुंजन जीक कहनाय छलन्हि जे मैथिली के बचैबाक लेल कोनो आंदोलन के नहि बल्कि एकर शुरुआत अपन घर सं करय के जरूरत अछि.

मैथिली साहित्य महासभा के एहि संगोष्ठी मे आएल विद्वान वक्ता लोकनि के साफ कहनाए छलन्हि जे जखन धरि मैथिली के रोजगार सं नहि जोड़ल जाएत... ई रोजगार केर भाषा नहि बनत एकर पूर्ण विकास संभव नहि अछि. सिर्फ अष्टम सूची मे शामिल भेलाह सं आ फेर साहित्यक भाषा बनला सं काज नहि होई वाला अछि. जखन धरि लोक के ई नहि लगतैन जे एकरा सं हमर घर चलत. एहि लेल हमरा सभ के आगां आबय पड़त. एकर बेसि सं बेसि इस्तेमाल होबाक चाही.  स्कूल-कॉलेज मे सभ विषयक पढ़ाई मैथिली मे होबाक चाही. एकर शुरुआत पहिल क्लास से भेला पर जुड़ाब महसूस होएत.


एहि मे मैथिली भाषा मे बाल साहित्य  के कमी पर चिंता व्यक्त कएल गेल आओर बालोपयोगी पोथी लिखय पर जोर देल गेल जाही सं लोक मे बच्चे सं मैथिली के प्रति अनुराग पैदा भ सकय.

मैथिली साहित्य के वर्तमान परिदृश्य विषय पर एहि वार्षिक संगोष्ठी के आयोजन संयुक्त राष्ट्र संघ के ओर से 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस घोषित कएला के बाद मैथिली साहित्य महासभा के ओर सं भेल छल. एहि बेरक संगोष्ठी मे दिल्ली के संग देश भरक मैथिली विद्वान लोकनि शामिल भेलाह. जेहि मे प्रसिद्ध नाटककार महेंद्र मलंगिया जी,  साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि देवेश चन्द्र देवेश, साहित्य अकादमी पुरस्कार सं सम्मानित गंगेश गुंजन, डॉ मंजर सुलेमान जी, नेपाल सं आएल मैथिली विद्वान रामभरोस कापड़ी भ्रमर जी, जेएनयू सं देवशंकर नवीन जी आओर निवोदिता मिश्रा झाजी शामिल छथिन्ह.



एहि अवसर पर महासभा के उपाध्यक्ष हेमंत झाजी मैथिली मे उत्कृष्ट लेखन लेल पुरस्कार शुरू करय के घोषणा सेहो करलखिन्ह.

मैथिली साहित्य महासभा के अध्यक्ष अमर नाथ झा जी मैथिली मे पत्र-पत्रिका आओर टीवी चैनल शुरू करय पर जोर देलखिन्ह. जेहि सं मिथिलांचल सं बाहर रहय वाला मैथिली सं जुड़ल महसूस करथिन्ह. हुनकर कहनाय छलन्हि जे भारतीय भाषा के बीच मैथिली साहित्य केर अपन एकटा अलग स्थान अछि. हमरा सभ के एहि विशिष्ट पहचान के हर हाल मे बचां क राखय पड़त.



अमरनाथ झाजीक कहनाय छलन्हि जे मैथिली मे कविता, कहानी, उपन्यास के संग साहित्य केर हर विधा में काफी काम भेल अछि मुदा आब हम मिथिलांचले मे मैथिली से दूर भ रहल छी. लोक मैथिली छोड़ि हिंदी आ अंग्रेजी दिस बढ़ि रहल छथिन्ह.

अध्यक्ष जी इहो बतौलखिन्ह जे मैथिली साहित्य महासभा के ओर से एहि बीच मैथिली कवि गोष्ठी आओर मिथिलाक नारी नहीं छथि बेचारी विषय पर विद्यापति व्याख्यान माला के आयोजन सेहो कएल जा चुकल अछि. जे काफी सफल रहल.

मंचक संचालन श्री कन्त शरण जी करलाह.

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