फोटो देखला के बाद मन मे श्वेता सं भेंट करबाक इच्छा एतेक प्रबल भ' गेल जे बुझायल, काल्हि मिलबाक बात छोड़ू, आइए मिलि लिअ। मुदा मन मे संकोच सेहो छल- लोक सभ की कहताह, बाबूजी के पता चलत त की सोचताह? मन मे दस तरहक विचार घूमए लागल। किछु नै फुराइत छल।
सोचैत रहलौं—जन्मदिन पर जाएल जाए कि नै? एकदम सं कन्फ्यूज भ' गेलहुं। एहन उहापोह मे कहिओ नै रहलहुं। एक मन कहए जे बाबूजी सं पुछि लिअ, दोसर मन कहए- एतबा छोट गप्प लेल हुनका किएक परेशान कएल जाए।
इएह सोच मे डूबल रही तं जन्मदिन सं एक दिन पहिने श्वेता जीक भाय, राजीव जी के फोन आबि गेल। ओ आग्रह केलाह-"अहां जरूर आबू। देखू, रिश्ता-नाता तं ऊपर वाला के बनाओल होइत छै। होबए के होएत तं होएत, नै होबए के होएत तं नै होएत। एहि लेल परेशान नै होउ। अहां आबु, घर-परिवार के लोक सं मिलू, मेलजोल बढ़य। एहि सं हमरा खुशी मिलत। रिश्ता नै सही, मैथिल होए के कारण सही तं मिलु। अपन इलाका, अपन मैथिल- गाम-घर सं बाहर एक-दोसर सं संपर्क होबए के चाही।"
राजीव जी के बात सुनि मिलबाक उत्साह आओर बढ़ि गेल। मन पक्का क' लेलहुं- जे होए, देखल जाए। ई तय करला के बाद जाय केर तैयारी करय लागलहुं। बेर-बेर जा क' फोटो देखैत, अपन सुधि-बुधि बिसरैत रहलहुं। जवानी मे एहन सपना के बारे मे सोचनाइ, ओह... कतेक नीक लगैत अछि!
सभ सं पहिने ऑफिस मे फोन क' छुट्टी लेलहुं। फेर गिफ्ट खरीदनाइ, सैलून-पार्लर जा क' बाल ठीक करनाइ, कपड़ा-लत्ता ठीक करनाइ—सभ तैयारी मे लागि गेलहुं। जन्मदिन नै, बुझू जेना बिआहे भ' रहल हो। ई करूं त लागए- ओ छूटि गेल, ओ करूं त ई छूटि गेल। जेना-जेना समय नजदीक अबैत गेल, धड़कन तेज होएत गेल। कतेको लोक सं मिललहुं- नेता, मंत्री, अफसर, लड़का-लड़की, मुदा आइ के धड़कन त लोहरबाक धौंकनी जकां चलि रहल छल।
शेखर लाल के फोन क' कहलहुँ—"तू चलह, तों त श्वेता के जानए छह। हमरा अकेले जाए के हिम्मत नै भ' रहल अछि।" शेखर शुरू मे टालए के कोशिश केलाह, मुदा हमर जिद के आगां तैयार भ' गेलाह।
जन्मदिनक पार्टी दिल्ली के कंस्टीच्यूशनल क्लब में राखल गेल छल। पार्टी सांझ साढ़े सात बजे सं छल। शेखर सं तय भेल जे साढ़े सात बजे चलब आ आठ बजे तक पार्टी मे पहुंचब। हम सभ समय पर निकललहुं, मुदा गाड़ी के ओहि दिन खराब होबए के रहय। क्लब पहुंचैत-पहुंचैत नौ बाजि गेल। ओ सभ तs मानि चुकल छलाह जे हम सभ नै पहुंचब। एहि लेल केक काटय मे देरी सेहो कएने छलाह। खैर, जे होए, जे ईश्वर करैत छथिन्ह, से नीके।
पार्टी स्थल पर हमर पहुंचनाइ आ केक के कटनाइ—दूनू एके संग भेल। गार्ड के दरवाजा खोलला के बाद हम आ शेखर गेट के भीतर घुसलहुं। भीतर घुसतैंहि थापड़ि के जोरदार गुंज के संग स्वागत भेल। मुदा ओ थापड़ि हमरा लेल नहि छल। ओ केक काटय के कारण बाजल छल। ओहि के संग गुंजय लागल हैप्पी बर्थडे टू यू केर आवाज।
सामने टेबल पर श्वेता अपन दफ्तरक संगी, सहेली आ दिल्लीक मैथिल परिवारक लोक सभ सं घीरल छलीह। गेट के भीटर घुसल काल ओ केक काटय लेल टेबल पर झुकल छलीह। हैप्पी बर्डडे के गुंज के संग केक के एक टुकड़ा लs अपन मुखड़ा ऊपर उठएलीह कि सामने हमरा पर नजर पड़लन्हि। हमरा पर नजर पड़िते एक मिनट ठिठकलीह। फेर मुस्किया क' केक भाय के मुंह मे देलीह।
ओ एकटक हमरा देखैत छलीह, आ हम हुनका। श्वेता के देखिते हम कोनो दोसर दुनिया मे चलि गेलहुँ। लोक देवी, अप्सरा, मेनका के सुन्दरता के जिक्र करैत अछि, मुदा हमरा त बुझायल जे ओ साक्षात स्वर्ग सं धरती पर उतरि आएल छलीह। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, प्रेस, मीटिंग—सैकड़ों लड़की देखलहुं, मुदा श्वेता के चेहरा पर जे आभा, जे लाली, ओकर वर्णन करनाए मुश्किल अछि। एकटा अलगे लालिमा लेने। ओहि पर खुलल, रेशम सन चमकैत बाल। हल्का आसमानी साड़ी हुनकर सुंदरता पर चारि चांद लगा रहल छल।
केक खिलाबैत श्वेता के नजर अपना पर नहि पाबि, राजीव जी देखलखिन्ह जे हिनकर ध्यान किम्हर छनि। राजीव जीक नजर हमरा पर पड़लन्हि कि ओ खुशी सं उछलि पड़लाह, हमरा दिस झटकारैत अएलाह, दूनू हाथ जोड़ि नमस्कार केलाह—"अहांक इंतजार भ' रहल छल। एहि लेल केक काटय मे विलंब भेल। एक बेर त लागल जे अहां नै आबि सकब।" ई कहि ओ हमरा श्वेता के पास लs गेलाह।
सोचैत रहलौं—जन्मदिन पर जाएल जाए कि नै? एकदम सं कन्फ्यूज भ' गेलहुं। एहन उहापोह मे कहिओ नै रहलहुं। एक मन कहए जे बाबूजी सं पुछि लिअ, दोसर मन कहए- एतबा छोट गप्प लेल हुनका किएक परेशान कएल जाए।
इएह सोच मे डूबल रही तं जन्मदिन सं एक दिन पहिने श्वेता जीक भाय, राजीव जी के फोन आबि गेल। ओ आग्रह केलाह-"अहां जरूर आबू। देखू, रिश्ता-नाता तं ऊपर वाला के बनाओल होइत छै। होबए के होएत तं होएत, नै होबए के होएत तं नै होएत। एहि लेल परेशान नै होउ। अहां आबु, घर-परिवार के लोक सं मिलू, मेलजोल बढ़य। एहि सं हमरा खुशी मिलत। रिश्ता नै सही, मैथिल होए के कारण सही तं मिलु। अपन इलाका, अपन मैथिल- गाम-घर सं बाहर एक-दोसर सं संपर्क होबए के चाही।"
राजीव जी के बात सुनि मिलबाक उत्साह आओर बढ़ि गेल। मन पक्का क' लेलहुं- जे होए, देखल जाए। ई तय करला के बाद जाय केर तैयारी करय लागलहुं। बेर-बेर जा क' फोटो देखैत, अपन सुधि-बुधि बिसरैत रहलहुं। जवानी मे एहन सपना के बारे मे सोचनाइ, ओह... कतेक नीक लगैत अछि!
सभ सं पहिने ऑफिस मे फोन क' छुट्टी लेलहुं। फेर गिफ्ट खरीदनाइ, सैलून-पार्लर जा क' बाल ठीक करनाइ, कपड़ा-लत्ता ठीक करनाइ—सभ तैयारी मे लागि गेलहुं। जन्मदिन नै, बुझू जेना बिआहे भ' रहल हो। ई करूं त लागए- ओ छूटि गेल, ओ करूं त ई छूटि गेल। जेना-जेना समय नजदीक अबैत गेल, धड़कन तेज होएत गेल। कतेको लोक सं मिललहुं- नेता, मंत्री, अफसर, लड़का-लड़की, मुदा आइ के धड़कन त लोहरबाक धौंकनी जकां चलि रहल छल।
शेखर लाल के फोन क' कहलहुँ—"तू चलह, तों त श्वेता के जानए छह। हमरा अकेले जाए के हिम्मत नै भ' रहल अछि।" शेखर शुरू मे टालए के कोशिश केलाह, मुदा हमर जिद के आगां तैयार भ' गेलाह।
जन्मदिनक पार्टी दिल्ली के कंस्टीच्यूशनल क्लब में राखल गेल छल। पार्टी सांझ साढ़े सात बजे सं छल। शेखर सं तय भेल जे साढ़े सात बजे चलब आ आठ बजे तक पार्टी मे पहुंचब। हम सभ समय पर निकललहुं, मुदा गाड़ी के ओहि दिन खराब होबए के रहय। क्लब पहुंचैत-पहुंचैत नौ बाजि गेल। ओ सभ तs मानि चुकल छलाह जे हम सभ नै पहुंचब। एहि लेल केक काटय मे देरी सेहो कएने छलाह। खैर, जे होए, जे ईश्वर करैत छथिन्ह, से नीके।
पार्टी स्थल पर हमर पहुंचनाइ आ केक के कटनाइ—दूनू एके संग भेल। गार्ड के दरवाजा खोलला के बाद हम आ शेखर गेट के भीतर घुसलहुं। भीतर घुसतैंहि थापड़ि के जोरदार गुंज के संग स्वागत भेल। मुदा ओ थापड़ि हमरा लेल नहि छल। ओ केक काटय के कारण बाजल छल। ओहि के संग गुंजय लागल हैप्पी बर्थडे टू यू केर आवाज।
सामने टेबल पर श्वेता अपन दफ्तरक संगी, सहेली आ दिल्लीक मैथिल परिवारक लोक सभ सं घीरल छलीह। गेट के भीटर घुसल काल ओ केक काटय लेल टेबल पर झुकल छलीह। हैप्पी बर्डडे के गुंज के संग केक के एक टुकड़ा लs अपन मुखड़ा ऊपर उठएलीह कि सामने हमरा पर नजर पड़लन्हि। हमरा पर नजर पड़िते एक मिनट ठिठकलीह। फेर मुस्किया क' केक भाय के मुंह मे देलीह।
ओ एकटक हमरा देखैत छलीह, आ हम हुनका। श्वेता के देखिते हम कोनो दोसर दुनिया मे चलि गेलहुँ। लोक देवी, अप्सरा, मेनका के सुन्दरता के जिक्र करैत अछि, मुदा हमरा त बुझायल जे ओ साक्षात स्वर्ग सं धरती पर उतरि आएल छलीह। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, प्रेस, मीटिंग—सैकड़ों लड़की देखलहुं, मुदा श्वेता के चेहरा पर जे आभा, जे लाली, ओकर वर्णन करनाए मुश्किल अछि। एकटा अलगे लालिमा लेने। ओहि पर खुलल, रेशम सन चमकैत बाल। हल्का आसमानी साड़ी हुनकर सुंदरता पर चारि चांद लगा रहल छल।
केक खिलाबैत श्वेता के नजर अपना पर नहि पाबि, राजीव जी देखलखिन्ह जे हिनकर ध्यान किम्हर छनि। राजीव जीक नजर हमरा पर पड़लन्हि कि ओ खुशी सं उछलि पड़लाह, हमरा दिस झटकारैत अएलाह, दूनू हाथ जोड़ि नमस्कार केलाह—"अहांक इंतजार भ' रहल छल। एहि लेल केक काटय मे विलंब भेल। एक बेर त लागल जे अहां नै आबि सकब।" ई कहि ओ हमरा श्वेता के पास लs गेलाह।
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bahut badiya janaabb
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
shukriya Sanjay jee... ehina apan vichaar raakhi utsaah barhabait rahiyau...
जवाब देंहटाएंMAA PURANDEVI HOMOEO CLINIC
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(BHMS)
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BAHUT BADHIYAN LAGAL,BAHUT-BAHUT BADHIYAN