हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल।
भूख लागल अछी एखनहुँ, उमरि बीत गेल।।
नौकरी की भेटल अपनापन छूटल।
नेह डूबल वचन केर आशा टूटल।
दोस्त यार कतऽ गेल, नव लोक अपन भेल।
रही गाम केर बुधियार, एतऽ बलेल।
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल।
भूख लागल अछी एखनहुँ, उमरि बीत गेल।।
आयल पाबैन तिहार गाम जाय के विचार।
घर मे चर्चा जे केलहुँ भेटल फटकार।
नहि नीक कुनु रेल, रहय लोक ठेलम ठेल।
कनिया कहली जाऊ असगर, आ बन्द करू खेल।
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल।
भूख लागल अछी एखनहुँ, उमरि बीत गेल।।
की कहू मन के बात छी पड़ल काते कात।
लागल छाती पर आबि कियो राखि देलक लात।
घर लागय अछि जेल, मुदा करब नहि फेल।
नया रस्ता निकालत, सुमन ढ़हलेल।।
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल।
भूख लागल अछी एखनहुँ, उमरि बीत गेल।।
-श्यामल सुमन, जमशेदपुर
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