दिनक महत्त्व अनुरूप मातृभाषा मैथिली मे दुइ अगाध योगदानकर्ता- डा जयकान्त मिश्र व भोलालाल दास केर स्मृति मे साहित्य सम्मान केर नव घोषणाक संग एक बेर फेर मैथिली साहित्यक स्वर्णकालीन युग १४म शताब्दी जेकाँ वर्तमान युगक युवा विद्यापति, ज्योतिरिश्वर सँ लैत निरन्तर २१म शताब्दी धरिक सृजनशील स्रष्टा-साहित्यकार केँ राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ैत मिथिला संस्कार केँ पोषण देबाक ई नवयोजना अछि.
आत्मालोचना सँ शुरु कैल गेल ई नव योजना कोनो
नव नहि अछि, ई आत्मसात करैत अछि जे नव-नव खूब होइत छैक, मुदा कनिये दिन मे ओ सड़ा जाइत छैक, कहू जे सैड़ जाइत छैक, गन्हा जाइत छैक... लोक केँ दोबारा ओम्हर तकबाको इच्छा खत्म भऽ जाइत छैक... मुदा जखन कोनो बात दोषपूर्ण प्रणाली केँ आत्मसात करैत एक सुनिश्चित मार्ग पर चलबाक प्रतिबद्धताक संग होइत छैक, एकटा कठोर समर्पण आ त्यागक तत्त्व पर निर्माण होइत छैक तऽ ओकर आयू चिरंजीव हेब्बे टा करतैक.
अश्वत्थामा यदि अपन चिरंजीविताक दुरुपयोग नहि करैत तऽ ओकर स्मृति अन्य चिरंजीवी हनुमान समान चीरकाल धरि स्मरणीय रहैत. कहबाक तात्पर्य जे कोनो नीक काजक आलोचना सेहो समाज मे होइत छैक, लेकिन जहिना मैथिली साहित्य बिना कोनो खास मदति केर सेहो एखनहु अपन चमक-दमक कोनो दृष्टिकोण सँ कम नहि केलक अछि तहिना कोनो अभियान केँ सदा जीवित रखबाक लेल सिद्धान्त सँ समझौता नहि करब आ सृजनशीलता केँ कहियो कम नहि करब, हमरा बुझने यैह हेतैक.
मैथिली साहित्य महासभा - दिल्ली वास्तव मे भारतीय राजधानी केर धरातल पर पैर रोपय जा रहलैक अछि. जन-जन मे भाषाक मिठास सँ संस्कृति आ सामाजिकताक समग्र हितपोषणक बात हेब्बे करतैक. दलीय भावना सँ इतर साहित्यिक संस्कार जखनहि जीवन्त हेतैक, आन बात स्वाभाविके रूप मे आगू बढतैक. आशा करैत छी जे युवा पीढी लेल ई डेग एकटा नव वरदान बनि पृथ्वी पर अवतरित हेतैक.
हम एब्बे टा करब, अहुँ सब मैथिलीप्रेमी सृजनशील लोक, जतय छी ओतहि सँ चलू! दिल्ली चलू!! २१ फरबरी - अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर दिल्ली मे एहि शुभ दिवस केँ एतेक मजबूती प्रदान करी जाहि सँ मैथिली पठन-संस्कृति, लेखन शक्ति आ समाचार-संप्रेषण सब प्रायोगिक विधा मे अपन अलग स्थान बनय.
जय मैथिली! जय मिथिला!!
-प्रवीण नारायण चौधरी
हम मैथिल छी- हमर मातृभाषा मैथिली थिक
मैथिली साहित्य महासभा- मैथिली साहित्य कें प्रोन्नतिशील बनायब लेल.
स्थापना दिवस सम्मेलन.
21 फरवरी 2015 (विश्व मातृभाषा दिवस)
भोर 10.30 सं दुपहर 2.00 धरि.
कंस्टीच्युशन क्लब, नई दिल्ली
सहभागिता शुल्क - टका 100 /-
संस्थाक शुभारंभ, मैथिली साहित्य पर चर्चा, संगठन पर चर्चा. काव्य पाठ.
संगहि सहभोज.
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