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तालकटोरा मे फूटल छूतहा घैल


दिल्ली के तालकटोरा ऑडिटोरियम के सुरताल परिसर मे रवि दिन मैथिली नाटक छूतहा घैलक मंचल भेल.
महेंद्र मलंगिया जीक एहि नाटक केर निर्देशक छलाह संजय चौधरी जी.

नाटक  मैथिलीक हास्य-विनोद सं भरल छल. शुरू सं अंत धरि लोक के हंसैत-हंसैत हाल खराब छलैनि. नाटकर मंचल बड़ नीक रहल.

नाटक सं जुड़ल
किछ फोटो अहां लेल एहिठाम राखि रहल छी.


नाटक गोनू झा जीक कहानी पर छल. छुतहा घैल नाटक के कलाकार में शामिल छलाह राजेश कर्ण, मुकेश दत्त , कुमार शैलेन्द्रकल्पना मिश्रअंजलि, संजीव, सुबोध साहा आओर आशुतोष प्रतिहस्त.

 गीतनाद सुन्दरम जी आओर राखी दास जीक छलन्हि. एहि नाटक मे महिला...स्त्री के अन्याय के खिलाफ ठाड़ होए के संदेश देल गेल छल. एहि मे कहल गेल जे माय-बहिन लोकनि के कोनो जुल्म- अन्याय ओहिना नहि सहैत रहबाक चाही. अगर ओ गलत अछि तं ओकर खिलाफ आवाज जरूर उठएबाक चाही.


 

नाटकक कहानी तं अधिकांश दर्शक के मालूमे छलन्हि. कहानी बड़ पुरान अछि गोनू झा जीक. गाम-घर मे...दलान मे ...राति मे सुतय काल माय-दाय सं सुनने छथिन्ह लोक सभ.

गोनू झा जीक कहानी मिथिला टा मे नहि दुनिया भर मे काफी लोकप्रिय अछि. सभ कहानी कोनो नहि कोनो संदेश लेने अछि.

सभ के मालूम रहतहुं संजय चौधरी जी बड़ रोचक ढंग सं एहि नाटकके पेश करलाह. लोक के बान्हले रहलाह. माय-बहिन के जगाबय के संदेश देबय मे कामयाब रहलाह.











मुदा नाटकक मंचनक जगह किछ सही नहि कहल जा सकैत अछि. नाटक लेल मंडी हाउसक इलाका सही अछि. तालकटोरा स्टेडियम वाला इलाका किछ हटि क भ जाएत अछि.

आओर आब जखन किछ-किछ ठंड असर दिखाबय लागल अछि. ओस गिरय लागल अछि. ओपन एयर थियेटर सही चुनाव नहि कहल जा सकैत अछि.

एहि ठाम आबय मे परेशानी सेहो अछि. जखन कि मंडी हाउस मेट्रो सं जुड़ल आओर आबय-जाय के हिसाब सं सही अछि.








(सभ फोटो: हितेन्द्र कुमार गुप्ता)

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