फोटो देखला के बाद, मन मे अजीब बेचैनी समा गेल। लागैत छल, जेना दस दिन बाद आबय वाला जन्मदिन अखने आबि जाय। मन मे एकटा मीठ मिठास आ उत्सुकता भरि गेल। बार-बार लिफाफा खोलि, फोटो निकालि निहारय लागय छलहुं। किएक, मन कतहुं आओर लगात। हृदय मे एकटा अनजान उमंग, एकटा नबका सपना पलय लागल।
हमर ई मनोदशा डेरा के पास रहय वाला गामक एकटा लड़का के पता चलि गेल। ओकरा सं बात आगां बढ़ि गेल। विआहक गप्प चलि रहल अछि, ई गप्प दिल्ली मे रहय वाला गामक सभ दोस्त सभ के कानों-कान खबर भऽ गेल।
हमर गाम के आबादी के हिसाब सं देखल जाय, तऽ रोड कात मे गुप्ताजी सभ, आओर बाकी में कायस्थ-ब्राह्मणक बेसि आबादी छनि। लालाजी सभ के बेसि आबादी होबाक कारणे, सभ एक-दोसर के नाम के अंत मे 'लाल' लगा कऽ पुकारैत छथिन्ह। गाम मे लोक सभ हमरो ‘हितलाल’ कहि कऽ बुलबैत छलाह।
हम सभ एक-दू क्लास आगां-पाछां के लड़का- संगहि घुमलौं, हंसी-मजाक, मस्ती, आ अपनापन के रंग मे रंगायल जिनगी बितेलौं। दिल्ली आबि कऽ सेहो, शेखरलाल, सुमनलाल, राजीवलाल, उदयलाल, विनोदलाल, मनोजलाल सभ बीच-बीच मे मिलैत रहलौं, गाम-घर के गप्प होइत रहल।
विआहक खबर सुनतहिं, शनि दिन सांझ मे सभ धमकि गेल। पार्टी होबाक चाही। हम शाकाहारी छी, मुदा मैथिल पार्टी बिना नॉन-वेज के भए नहि सकैत अछि। सब अपन-अपन जिम्मेदारी ल लेलक-कोई चिकेन, कोई बीयर, कोई मिठाई-नमकीन, कोई किचेन के भार। पर्स सं पाई निकालि, राजीवलाल चिकेन लाबय चलि गेलाह, विनोदलाल एक कैरेट भरि कऽ बीयर ल अएलाह, शेखरलाल दोसर चीज सभ के ओरिआन मे लागि गेलाह। सुमनलाल मिठाई-नमकीन ल अएलाह।
उदयलाल किचेन के भार संभारि, खाना बनाबय लेल जे लड़का के राखने छलहुं, ओकरा निर्देश देबय लगलाह- प्याज छिल, त लहसुन छिल, मसाला ला, त तेल ला। हमरा लेल शाकाहारी खाना सेहो बनय के रहय, ताहि लेल उदयलाल खास हमरा लेल शाकाहारी खाना सेहो बनाबय मे लागल रहलाह।
राति के नौ बजे, बोतल खुलल। चिखना मे उबलल अंडा, भुजिया, दालमोट, मुंगफली, काजू, सलाद- सभ सजा देल गेल। हम शराब त नहि पिबय छी, मुदा संग देबय लेल गप्प करैत, सलाद, भुजिया, मुंगफली-चिखना खाइत, अपन दोस्त सभ के संग हंसी-ठिठोली मे डूबल रहलौं।
फिर अगुआ-वरतुहार पर चर्चा शुरू भेल। हम कहलिएन्ह जे लड़की के भाय आएल छलखिन्ह, फोटो दs गेल छथिन्ह। ई कहितहि फोटो देखबाक होड़ लागि गेल। फोटो देखिते, शेखरलाल उछलि पड़ल- “अरे ई तs श्वेतबा है!” सभ चौंकल- “ई केना जानैत अछि?”
शेखर- "एकर जन्मपत्री तs हमरा संग छ, हितलाल! ई सीएम साइंस कॉलेज के मैथ के एचओडी वीरेन्द्र बाबू के बेटी छी। कॉलेज के कोन लड़का नै हिनका चिन्हैत छल। कॉलेज के सभ सं सुन्नर लड़की। सभ लड़का हिनका पर फिदा। श्वेता सं बतिआय लेल लड़का सभ बहाना खोजैत छल। मुदा, वीरेन्द्र बाबू के ल कs सभ डरितो छल।"
शेखर अपन कॉलेज के दिनक, श्वेता के सुंदरता, मिलनसारिता, आ अपन अनुभव सुनाबय लागल। ओ कहय लागल जे वीरेन्द्र बाबू हमर छोटका कका के कॉलेज के जमाना के संगी छथिन्ह। आ कका के कहला पर हुनका घर गेलहुं। ओतय पता चलल जे श्वेता, वीरेन्द्र सर के बेटी छी। कका के कारणे हुनका घर बेरोकटाक अनाय-जनाय सेहो शुरू भs गेल। मनहि-मन श्वेता के चाहय सेहो लागलौं। मुदा, राखी दिन श्वेता के घर गेलहुं तं ओ पहिने सं राखी लेने तैयार छलि। ओहि दिन सं रिश्ता एक तरहे भाई-बहिन के बनि गेल। फेर हम दिल्ली आबि गेलहुं आ श्वेता आईआईएम करय बंगलौर चलि गेलीह।
विनोदलाल- "लs हितलाल, तोरा सं बेसि त शेखरलाल सं जानपहचान छनि। अपना धरि इहो बड़ कोशिश करलक। मुदा, अपना तं ओतेक देर वेट नै करय छी। जे होए- नौ या छह तुरंत। अपन तs हरदम तैयार। शर्ट केर जेब में हनुमान चालीसा, तs पेंट के जेब मे कंडोम। नै जानि कखन काज आबि जाय।"
सभ हंसय लागल—"हा-हा-हा-हा-हा..."
हमरा रहल नहि गेल। विनोद के झाड़ैत कहलिएन्हि-"ई बुड़ि... गप्प हांकय छ। बोलनाय दोसर गप्प छै, आ करनाय दोसर। ऑफिसे मे तऽ पचासो टा लड़की छ। एकोटा संग किछ करलह की? फर्क इहे छै जे तों सभ लड़की मे एकेटा चीज देखैत छह, आओर लड़की सभ लड़का मे सं सिर्फ एकटा के देखैत छै। बुझलह कि नहि?"
हमरा तमसाएल देखला पर, सुमनलाल बात संभारैत कहलाह-"भाय, जे होए फोटो देखि त लगैत छ, जोड़ी मस्त रहतs।"
"हा-हा-हा-हा-हा..."
विनोदलाल- "आओर आब शेखर तs साला सेहो भऽ गेलह।"
"हा-हा-हा-हा..."
उदयलाल- "तोरा हाथ नै लगलह, मुदा कोनो दोसर सं तs चक्कर नै चलै छलै न?"
शेखरलाल- "नै भाय। कैरेक्टर पर कोनो सवाल नै उठा सकय छ। असल मे, ओ अतेक दिल के साफ, हेल्पिंग नेचर के, हंसमुख, मिलनसार छै न, जे लोक गलत मायने निकालि लैत छै। हमरो संग सेहो कहि सकय छ। ओना, आइ-काल्हि के छौरा सभ के की कहबह- जे लड़की नै मिलतह, त ओकरा बारे मे दस तरहक हल्ला उठा देतह। ओ एहन छै, त ओ ओहन छै।"
"हा-हा-हा-हा..."
शेखर- "आओर हितलाल अपने जेहन छथि—हंसमुख, मिलनसार, दोसर के दर्द समझय वाला छथि, ओहि हिसाब सं दुनू के जोड़ि हिट रहतन्हि।"
"हा-हा-हा-हा..."
गप्प करैत-करैत राति के दू बाजि गेल। नौकरबा के कहलौं—"छोटू, खाना लगाबय..." खाना खएला के बाद, एक बेर फेर श्वेता के गप्प शुरू भऽ गेल।
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Wah! agla kari ke intezar rahat......
जवाब देंहटाएंBahut khoob......
Ahan sab ke neek laagal hamar mehnat saphal bha gel...ehina utsaah barhaabait rahiyau... dhanyawad
जवाब देंहटाएंWith Indian twists..
जवाब देंहटाएंwow great!!!
सुन्दर...अति सुन्दर । मन प्रसन्न भ गेल । बड़ नीक कहानी ।
जवाब देंहटाएंवाह ! मजा आबि गेल...
जवाब देंहटाएंसुरेश यादव
सर...लाजवाब कहानी अछि अहांके…हेलो मिथिला पर....एखन त पहिल प्रेम के शुरुआते तक आयल अछि...अहां जहि स्थित सं गुजरलौ ओही स्थिति स हम सेहो गुजरि रहल छी...लेकिन हुनकर फोटो हमरा बड्ड पसंद नहि आयल..ओ हमरा सं तकरीबन रोज चैट करैत छथि...लेकिन हमर इच्छा अछि जे भेट क ली..ओ दिल्लीये मे रहै छथि...लेकिन डर होईत अछि जे अगर भेट भेला पर हम रिजेक्ट क देलियै त बड्ड खराब बात हेतैक..अपना आप के हम माफ नई क सकब...की करी फुरा नहि रहल अछि...कारण जे ओहो लड़की बुझै छैक जे ओकर पिता हमरा ओत ओकर बायोडाटा भेजने छथिन्ह...ओना ओ सब तरहे काबिल अछि...की करी बुझा नहि रहल अछि...
जवाब देंहटाएंsushant jha
मन प्रसन्न भ गेल ,वाह ! मजा आबि गेल,
जवाब देंहटाएंBahut dinak bad maithili main etek neek prem prasang per kich padhbak lel bhetal.... man prasaan bhaa gel ... agala kadi ke intaj main chhi..
जवाब देंहटाएंबड़ नीक कहानी।
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