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केहन चढ़ल रंग ?

केहन रहल होली ? जमि कs रंग खैललौ नहिं ? गाम-घर सं बाहर रहय वाला के त होली के अहां सोचिए सकय छी. गली...मोहल्ला आओर अपार्टमेंटक लोक सभ के संग मनाबैत...रंग खेलैत ओ रंग नहिं आबैत छै जे गाम -घर मे सभ गोटे के संग मिलि खेलय मे. दूध के भांग वाला शरबत... मालपुआ... कई तरहक तीमन... तरकारी... मांस... माछ होली के खुशी के आओर बढ़ा दैत छै. गाम भर मे घर-घर जाsक सभ के रंग लगेनाय... भौजी सभ के रंग सं पोतनाय... दोस्त सभ के संग होली है... जोगिड़ा... स...र...र..र करैत टोले-टोले घुमनाय. जेहि आंगन होली खेलय लेल जाउ ओहिठाम पुआ... दहीबाड़ा... पुरी... माछ... तरकारी... चटनी खाएत-खाएत मन अकसिया जाएत अछि. मुदा किनको मना सेहो नहिं कs सकैत छी. किछ नहिं किछ त खाइए पड़त. मुंह जुठाबय पड़ैत अछि. ई सभ प्यारे त अछि. शादीशुदा लोक के लेल सासुर के होली त ओर रमनगर रहैत अछि. पहिने देखैत छलहुं जे गाम मे जे पाहुन आबैत छलाह ओ दस-दस ...पन्द्रह-पन्द्रह दिन... मास दिन रहैत छलाह. मुदा आब त एतेक दिन त छोडु गामो जाए के मौक़ा नहिं मिलैत अछि. सासुर... साला... साली... सहजन के ते गप्पे छोड़ु. पहिनहु लोक नौकरी करैत छलाह... चैन सं सभ ठाम आबैत जाए छलाह... रिश्ता-नाता निभाबैत छलाह. मुदा आब एहन कि भेल जे गरमी छुट्टी छोड़ि गाम जाए के कहिओ फुरसत नहिं मिलैत अछि. गरमी छुट्टी मे गाम गेलाह पर गरमी सं हाल-बेहाल. होली...छठि मे आई काल्हि टिकट से सेहो एतेक मारामारी रहैत अछि जे गाम जनाए एकटा तीर्थ करनाय जका पहाड़ लगैत अछि. खैर एकरा छोड़ु अहां अपना बारे मे बताउ जे केहन रहल एहि बेर के होली? केहन चढ़ल रंग ?

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