कथाकार, अनुवादक आओर समीक्षक सुभाष चन्द्र यादव जीके साल 2013 के प्रबोध सम्मान देल जएतन्हि.
मैथिली साहित्य के लेल हिनकर योगदान के देखैत मैथिली सभसं पैघ साहित्यिक सम्मान के लेल हिनकर चयन कएल गेलन्हि.
साहित्यकार प्रोफेसर उदय नारायण सिंह नचिकेता जीक अध्यक्षता
मे भेल पांच सदस्यीय निर्णायक मंडलीक बैसार मे एहि बारे मे फैसला कएल गेल.
सुभाष चन्द्र यादव जीके 17 फरवरी रविदिन ई सम्मान देल जएतन्हि. हुनका एहि सम्मान के रूप मे सहरसा मे एकटा प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र आओर एक लाख टका के पुरस्कार प्रदान कएल जएतन्हि.
ई सम्मान साहित्यकार डॉ प्रबोध नारायण सिंह जीक याद मे स्वस्ति फाउंडेशन के तरफ सं 2004 सं हर साल देल जा रहल अछि.
सुभाष चन्द्र यादव जीक जन्म 05 मार्च 1947 के सुपौल के दीवानगंज मे भेल छलन्हि. दीवानगंज हिनकर मातृक छनि.
हिनकर पैतृक गाम सुपौल के बलबा-मेनाही छनि.
हिनकर प्रमुख कृति मे घरदेखिया आओर बनैत-बिगड़ैत (मैथिली कथा-संग्रह), हाली (अंग्रेजी सं मैथिली अनुवाद), बिहाड़ि आउ (बंगला सं मैथिली अनुवाद) आओर राजकमल चौधरी का सफर (हिन्दी) शामिल छनि.
मैथिली साहित्य के लेल हिनकर योगदान के देखैत मैथिली सभसं पैघ साहित्यिक सम्मान के लेल हिनकर चयन कएल गेलन्हि.
साहित्यकार प्रोफेसर उदय नारायण सिंह नचिकेता जीक अध्यक्षता
मे भेल पांच सदस्यीय निर्णायक मंडलीक बैसार मे एहि बारे मे फैसला कएल गेल.
सुभाष चन्द्र यादव जीके 17 फरवरी रविदिन ई सम्मान देल जएतन्हि. हुनका एहि सम्मान के रूप मे सहरसा मे एकटा प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र आओर एक लाख टका के पुरस्कार प्रदान कएल जएतन्हि.
ई सम्मान साहित्यकार डॉ प्रबोध नारायण सिंह जीक याद मे स्वस्ति फाउंडेशन के तरफ सं 2004 सं हर साल देल जा रहल अछि.
सुभाष चन्द्र यादव जीक जन्म 05 मार्च 1947 के सुपौल के दीवानगंज मे भेल छलन्हि. दीवानगंज हिनकर मातृक छनि.
हिनकर पैतृक गाम सुपौल के बलबा-मेनाही छनि.
हिनकर प्रमुख कृति मे घरदेखिया आओर बनैत-बिगड़ैत (मैथिली कथा-संग्रह), हाली (अंग्रेजी सं मैथिली अनुवाद), बिहाड़ि आउ (बंगला सं मैथिली अनुवाद) आओर राजकमल चौधरी का सफर (हिन्दी) शामिल छनि.
badhai
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