लगैत अछि बिहार सरकारक नजर आखिरकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर सेहो गेल.
बिहार मे स्वास्थ्य सेवा केर हाल बड़ खराब अछि. एक तं बिहार मे मेडिकल कॉलेज के कमी
अछि. जे मेडिकल कॉलेज अस्पताल अछिओ ओहि मे आम लोक के नीक इलाज नहि भ रहल अछि.
डॉक्टर सभ मरीज के प्राइवेट इलाज
के लेल मजबूर करि दय छथिन्ह. सरकारी
वेतन लेबय वाला डॉक्टर अस्पताल से बेसि समय अपन क्लीनिक मे गुजारय छथिन्ह.
छोट-मोट बीमारी के लेल सेहो पैघ-पैघ जांच बता देल जाएत अछि. सभ जांच
कमीशन पर होए के कारण मरीज आओर मरीज के परिवारक लोक परेशान रहैत छथिन्ह.
ढेरढाकी दवाई लिख देल जाएत अछि. जकर कोनो खास जरूरत नहि होएत अछि. जे
कंपनी सं बेसि कमीशन मिलल ओकर दवाई बेसि लिखल जा रहल अछि. चाहे लोक के ओकर फायदा
होए आ नहि.
एहि सभ के होएतहुं लोक के बीमार पड़ला पर देखाबय लेल तं डाक्टरे के
पास जाए पड़य छनि.ओना लोक कोशिश करय छथिन्ह जतेक दिन भ सकय गाम-घर के आस पास रहल
वाला छोट-मोट डॉक्टर सं काज निकलि जाए.
अस्पताल जाए के चक्कर सं बचय चाहय छथिन्ह. मुदा गाम-घरक अस्पताल...
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के तं हाले नहि पुछु. नहि कोनो डॉक्टर...नर्स आ... नहि
कोनो दवाई.
रहबो करताह तं टाइम पर नहि मिलताह. लोक के मजबूरी मे शहर के रुख करय
पड़य छनि.
एहि सभ के देखैत सरकार नवका साल मे पांच हजार डॉक्टर आओर एक लाख
स्वास्थ्यकर्मी बहाली करय जा रहल अछि.
ई भर्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आओर जिला अस्पताल लेल होएत. एहि
लेल करीब पैंतीस हजार नर्स आओर दस हजार स्वास्थ्य मित्रक बहाली होएत.
उम्मीद अछि जे बहाली के बाद किछ स्थिति सुधरत.
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