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वीरान भेल मुजफ्फरपुर...

मुजफ्फरपुर वीरान भ गेल अछि. एकदम सं सुनसान पड़ल अछि. हिन्दी केर मशहूर साहित्यकार आओर कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी नहि रहलाह. मुजफ्फरपुर मे अपन घर निराला निकेतन मे 7 अप्रैल वृहस्पति के राति नौ बजे ओ आखिरी सांस लेलखिन्ह. 95 साल के शास्त्रीजीक निधन सं बिहारे नहि बल्कि देश के बड़का नुकसान भेल अछि.

हिनकर जन्म 5 जनवरी सन 1916 के औरंगाबाद के मैगरा गाम मे भेल छलन्हि. करीब सत्तर साल पहिने मुजफ्फरपुर अएला के बाद एहिठाम बसि गेलखिन्ह. एहिठाम रामदयालु सिंह कॉलेज... आरडीएस कॉलेज हिन्दी के विभागाध्यक्ष सेहो रहलखिन्ह. 

हिनकर निधन सं पूरा साहित्य जगत मे शोकक लहर फैलि गेल अछि. हिन्दी आओर संस्कृत साहित्य केर हिनकर योगदान के कहिओ भुलाएल नहि जा सकैत अछि. शास्त्री जी छायावाद के अंतिम स्तम्भ मानल जाए छलखिन्ह. निधन सं ई स्तम्भ सेहो खत्म भ गेल.

शास्त्रीजी काफी दिन सं बीमार छलखिन्ह. उम्र सेहो भ गेल छलन्हि. 15 दिन सं बेसि श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल...एसकेएमसीएच मे भर्ती छलखिन्ह आओर मास दिन पहिनहि अस्पताल सं घर आएल छलखिन्ह. घर पर सेहो बराबर जांच होए छलन्हि. मुदा ईश्वर कि किछ आओरे मंजूर छलन्हि.

हिनका राजेन्द्र शिखर सम्मान... भारत-भारती सम्मान आओर शिवपूजन सहाय सम्मान सं सम्मानित कएल गेल छलन्हि. हिनका पद्मश्री सम्मान देबय के घोषणा सेहो भेल छल मुदा शास्त्री जी ठुकरा देने छलखिन्ह.

हिनकर प्रसिद्ध रचना मे मेघगीत... अवन्तिका... श्यामासंगीत... राधा... एक किरण: सौ झाइयां... दो तिनकों का घोंसला... इरावती... कालीदास... अशोक वन... सत्यकाम... बांसों का झुरमुट... आदमी... जो न बिक सकी... स्मृति के वातायन... मन की बात... निराला के पत्र... कर्मक्षेत्रे: मरुक्षेत्रे... नाट्य सम्राट पृथ्वीराज... आओर एक असाहित्यिक की डायरी शामिल अछि.

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