किछु दिन बाद पता चलल जे हुनकर शादी भ' गेलन्हि। ओ आब हमर दुनिया सं बहुत दूर, सात समुंदर पार यूएस चलि गेलीह। ई खबर सुनि, मन के भीतर किछु टुटि गेल। फेर हम हुनका सं संपर्क करय के कोनो कोशिश नहि कएलौं।
दिन-रात बस ओहि याद मे बीतय लागल। कोनो काज मे मन नहि लगैत, बस अपन आप सं भागैत, भीड़ मे रहितो अकेलापन के अनुभव करैत रहलौं। किछ दिन छुट्टी ल' कऽ घर मे बंद भ' गेलौं। हंसी-मजाक करय वाला हम, धीरे-धीरे गंभीर आ चुप्पा बनि गेलौं। जिनगी के रंग फीका पड़ि गेल।
समय के संग-संग, धीरे-धीरे अपन आप के सम्हारय के कोशिश कएलौं। काज मे मन लगाबय लागलौं। गाम, घर, दोस्त, सब किछु बिसरि गेलहुं—जिनगी बस काज आ काज मे सिमटि गेल। मुदा आखिर ई भागल जिनगी कतेक दिन चलैत?
बीच-बीच मे मंडी हाउस, सीपी, हैबिटेट सेंटर आ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर केर कार्यक्रम मे जाए लगलौं। जतय फेर सं अपन लोक, अपन भाषा के लोग सं भेंट-मुलाकात होइ लागल। धीरे-धीरे जिनगी के रफ्तार फेर सं पकड़य लागल। अल्का के याद धीरे-धीरे धुंधला पड़ि गेल, जेना ओ कोनो बीतल सपना होए।
एहि बीच, मां-बाबूजी बेर-बेर शादी के गप्प करि प्रेशर बनाबय लगलाह। हम हर बेर टारि दैत रहलौं। बाबूजी कहैत रहलाह-"जतय तोहर मन होय, ओतय गप क लेब। तों बताबह तं"
कॉलेजक लड़की सभ के संग हमर किछु फोटो देखला के बाद पंडित जी मां-बाबूजी के भड़का देने छलखिन्ह। उल्टा-सीधा बुझा देने छलखिन्ह, दू-चारिटा नून-मिरचाई लगा के। लोक-समाज के संग मां के चिंता- सब मिलि कऽ मन के भीतर एक अलग बोझ बनि गेल।
लोक सभ कहथिन्ह- मां के ध्यान रखिऔ, आओर गाम-घर के लोक कहैत छलाह—कतेक दिन एकसरे रहब।
हम बस एतबे कहैत रहलौं-"हम दिल्ली मे रहैत छी, शादी करला के बाद कनिआ हमर संग रहत, त मां के की फायदा? आ मां के संग रहत, त हमरा की?" मुदा एह सभ तर्क के कोनो असर नहि पड़ैत।
पूरा परिवार, रिश्तेदारी, गाम-घर- सब अपन-अपन दिस सं कोशिश करय लागल। नीक-नीक लड़की के फोटो, रिश्ता—मां-बाबूजी के पास, आ किछु डायरेक्ट हमरा पास।
एहि बीच श्वेता के जन्मदिन पार्टी मे जनाए एहि सिलसिला मे एकटा नवका कदम कहि सकय छी। श्वेता के फोटो देख, मन मे एक बेर फेर सं प्रेम जागए लागल छल। पार्टी मे मिलला के बाद, आ हुनका मे अल्का के एक झलक देखला के बाद ई भावना आओर गहरा गेल। मन मे नव उमंग, नव सपना जागि उठल। जिनगी मे फेर सं रंग भरय लागल।
मुदा, पार्टी में अल्का के अचानक अएला के बाद हमर जीवन मे जेना हलचल मचि गेल। अल्का सं ई भेंट छह साल बाद भेल छल। छह साल बाद अचानक मिलय के खुशी मे ओ अपना मे नहि रहलीह, आ खुशी मे एकदम सं हमरा भरि पांज कसि लेलीह। ओ एकदम सं कॉलेजक जमाना मे लौटि गेलीह।
छह साल बाद अल्का के देखि, हमरो मन मे पुरान प्रेम के लहर दौड़ि गेल। एहि लs कs अजीब कशमकश मे फंसि गेलहुं- पुरान प्रेम, नव उमंग, आ अपन भविष्य के ले कऽ असमंजस।
श्वेता सेहो उलझन मे फंसि गेलीह। हुनका त किछु समझे मे नहि अएलन्हि—जे दीदी एकटा अनजान आदमी के संग ऐना किएक चिपैट पड़लीह। ओ एकदम सं टेंशन मे आबि गेलीह।
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bahut badhiya sir, kub nik
जवाब देंहटाएंlovely.
जवाब देंहटाएंThanx Mriegank jee.
जवाब देंहटाएंहम जो जोर से पढ़ि रहल छी आर हमर पत्नी पूछि रहल छैथ जे आखिर हितेंद्र जी के विवाह केकरा संग भेलन्हि. काफी रोचक अछि कथा
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