मिथिला राज्य मे भयंकर सुखाड़ पड़ल. राजा ढ़ोलहो पिटबा देलन्हि, जे जे क्यो एकर तोड़ बताओत ओकरा पुरस्कार भेटत. एकटा विशालकाय बाबा दसटा ठोप कएने राजाक दरबार मे आ कहैत अएलाह जे ओ सय वर्ष हिमालय मे तपस्या कएने छथि आ यज्ञ सं वर्षा करा सकैत छथि. सांझ मे हुनका स्थान आ सामग्री भेटि गेलन्हि. गोनू झा कतहु पहुनाइ करबाक लेल गेल रहथि. जखन सांझ मे घुरलाह तखन कनिआक मुंह सं सभटा गप सुनि आश्चर्यचकित भs हुनका दर्शनार्थ विदा भेलाह.
एम्हर भोर भेलासं पहनहिं सौंसे सोर भए गेल जे एकटा बीस ठोप बाबा सेहो पधारि चुकल छथि.
आब दस ठोप बाबाक भेंट हुनका सं भेलन्हि तं ओ कहलन्हि-
“अहां बीस ठोप बाबा छी त हम श्री श्री 108 बीस ठोप बाबा छी. कहु अहां कोन विधिए वर्षा कराएब.”
“हम एकटा बांस रखने छी जकरा सं मेघके खोंचारब आ वर्षा होएत”
“ओतेक टा बांस रखैत छी कतए”
“अहां एहन ढोंगी साधुक मुंहमे”
आब ओ दस ठोप बाबा शौचक बहन्ना कs विदा भेला.
“औ... अपन खराम आ कमंडल तं लs जाऊ.” मुदा ओ तं भागल आ लोक सभ पछोड़ कS ओकर दाढ़ी पकड़ि घीचए चाहलक. मुदा ओ दाढ़ी छल नकली आ ताहि लेल ई नोचा गेल. आ ओ ढ़ोंगी मौका पाबि भागि गेल. तखन गोनू झा सेहो अपन मोछ दाढ़ी हटा कs अपन रूप मे आबि गेलाह. राजा हुनकर चतुरताक सम्मान कएलन्हि.
:- कुरुक्षेत्रम् अन्तर्मनक -:
-गजेन्द्र ठाकुर
हमर ईमेल:-hellomithilaa@gmail.com
बहुत बढियाँ
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