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मैथिली संगोष्ठी
साहित्य अकादमी केर ओर सं अगिला साल मार्च सं पहिने आठ टा संगोष्टी कएल जाएत. स्व. ईशनाथ झा... भुवनेश्वर सिंह भुवन आओर लक्ष्मीपति सिंह जीक शतवार्षिकी एकहि संग पूर्णिया मे मनाएल जाएत. एकटा संगोष्ठी छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव मे सेहो होएत. एहिठाम मैथिली भाषा आओर साहित्य केर विकास मे प्रवासी मैथिली भाषी केर योगदान विषय पर संगोष्ठी कएल जाएत. एकरे संग सहरसा के महिसी मे लक्ष्मीनाथ गोसाईं... कारु विषहर आओर मिथिला महोत्सव केर आयोजन कएल जाएत. साहित्य अकादमी केर मैथिली परामर्शदात्री समिति के संयोजक विद्यानाथ झा विदित जी ई जानकारी दरभंगा मे देलखिन्ह. हुनकर कहनाय छलन्हि जे अकादमी मैथिलीक विकास केर लेल जोर-शोर सं लागल अछि.
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अत्यधिक प्रसन्नता के गप थिक जे साहित्य अकादेमी, मैथिली संगोष्ठी केर आयोजन कs रहल ऐछ. मुदा एकटा सामान्य विचार मनs में एव गेल जे संविधान के अष्टम अनुसूची में एला सा पहिने सेहो, मैथिली में साहित्य अकादमी पुरस्कार देल जाय छल लेकिन मिथिलांचलक कमे आदमी सब के साहित्य अकादमी पुरस्कृत रचना के जानकारी रहे छेलैन. भs सकेयै जे हमर निष्कर्ष गलत हुऐ, या हम जे लोकनिक सब के जने छेलियेन हुनकर साहित्य में कुनो खास अभिरुचि नै होइन. लेकिन हमरा विचार मे मैथिल समुदाय किछु हद तक अपन भाषा और संस्कृति के प्रति उदासीन भ गेल छैथ. दरभंगा के उदहारण देब, जे कि मिथिलांचलक ह्रदय मानल जाइये, तत, नया जेनरेशन के बहुत लोक मैथिली बजे मे संकोच करे छैथ. जेनेरालाईज नै कs रहल छी मुदा एकटा बहुत पैघ आबादी खास कs के शहर मे रहे वाला आबादी मैथिली नै बैज रहल छै. ई हमर अपन ओब्जेर्वेशन छी, भs सकेयै जे हम पूर्णतः गलत होई, और गलत होई तs हमरा बेसी प्रसन्नता हैत. तै दुआरे अहि दिशा मे किछु सकारात्मक प्रयास के आवश्यकता ऐछ. मिथिलांचले मे, जों लोक मैथिली नै बजता नै लिखता ता मैथिली भाषा के लेल चिन्तक विषय छी.जिनकर मातृभाषा मैथिली थिक से यदि अपन भाषा के परित्याग कs देता, हुनका सब गोटे के यदि मैथिली बजे मे संकोच हेतैन त बहुत दुर्भाग्यक गप थिक. ई सब चीज पर ध्यान देला के बाद एकटा संकल्प लेवक आवश्यकता छी, जे कतो रही, त अपन राष्ट्र, अपन मातृभाषा ओर अपन सभ्यता संस्कृति स जुडल रही, ओकर सम्मान करि. लिखे के क्रम मे त्रुटी और किछु गलत कहने होई त क्षमा प्रार्थी छी.
जवाब देंहटाएंमनोरंजन कुमार झा.
दिल्ली