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आब नहिं सहल जाइत अछि... Aab nai sahal jaait achhi

कोसी के क्रोध सं... कोप सं...कहर सं चारु कात कोहराम मचल अछि. लोक के किछ नहिं फुराइत अछि जे ई कोन जन्म केर सजा मिलि रहल अछि ? ई कोन जन्म केर पाप अछि जकरा भुगैत रहल छी ? लोक सभ कोसी माता सं प्रार्थना कs रहल छथिन्ह जे बड़ भेल... आब नहिं सहल जाइत अछि. आब समेट लिअ अपन भांवर. आब आओर कतेक परीक्षा लेब ? आब आओर कि- कि देखायब ? आब नहिं देखल जाइत अछि... जे भेल ओकरा भूलि गलती माफ करु... कि मंदिर कि मस्जिद... सभ ठाम आब लोक के ऊपरे वाला पर आसरा बाचल बुझाएत अछि. सभ ठाम पूजा- अर्चना... नमाज... दुआ भ रहल अछि. सभ के जबान पर ईहे अछि जे हे ईश्वर... हे अल्लाह... कोनो गलती भेल होए तs ओकरा माफ करु
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राहत... बचाव के लेल कतेक इंतजार कएल जाउ. अखनो कतेक एहन इलाका अछि जेहि ठाम कोनो मदद नहिं पहुंचल अछि. लोक गाछक पात खाय लेल विवश छथि. बेलक पात... शीशो के पात चबा रहल छथि आ बाढ़िक पानि पी रहल छथि. कएल कि जाए. जीअय ले तs किछ न किछ त खाय त जरूर पड़त. बाढ़ि मे आदमी... जानवर...मवेशी...जाति... धर्म... सभ केर फर्क मिटि गेल अछि.
ओना त सभ बाढ़ि मे फंसल छथिन्ह मुदा हुनको बीच किछ भेला पर सभ जाति ... धर्म... रंग... रूप भूमि एक दोसरा के तरफ हाथ बढ़ा रहल छथिन्ह. जाहि ठाम ऊंच जगह पर शरण लेने छथिन्ह ओहि ठाम बीमार लोक के सेवा करय लेल सभ दौड़य छथिन्ह. सभ भेद मिटि गेल अछि. पहिने जकरा देखि मुंह घुमा लैत छलहुं आई ओकरा कंधा पर माथा घरि...ओकरा गला सं लगा भरोस दs रहल छी. एहने मेल मिलाप बाढ़ि खत्म भेला के बाद सेहो रहत त कतेक नीक होएत. ईश्वर से त ईहे प्रार्थना अछि जे लोक सभ मे जे मेल मिलाप... एक दोसर के दुख - दर्द बांटल लेल जे मानवता आई दिखि रहल अछि ओ आगां सेहो बनल रहय . मुदा हे ईश्वर सभस पहिने बाढ़ि मे फंसल सभ लोक के कष्ट के दूर करु... हुनका एहि विपत्ति सं सुरक्षित बाहर निकालु.

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