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केहन स्कूल में हो एडमिशन?

आई काल्हि दिल्ली नोएडा में बच्चा सभक नाम लिखाबय लेल मारा मारी चलि रहल अछि. गार्जियन सभ परेशान. एकटा नहिं कए-कएटा स्कूल में फॉर्म भरबा रहल छथिन्ह. जोगार बैसा रहल छथिन्ह. केहुना नुनु-बुच्ची के नाम नीक स्कूल में लिखा जाय. एक बेर नाम लिखा गेल... एडमिशन भ गेल त फेर 12वीं तक निश्चिंत. मुदा एकटा बात सोचय वाला ई अछि कि एडमिशन केहन स्कूल में करायल जाय... तरक भड़क वाला में... हाई-फाई में जतय बच्चा जाकS डिप्रेशन के शिकार भ जाय. बच्चा के लेल घर आ स्कूलक बीच तालमेल- सामंजस्य बनानाय मुश्किल भ जाय. काल्हिए गुड़गांव में एकटा स्कूल में बच्चा सभक बीच गोली सेहो चलल. ऐना में कि करय जाय???
हमरा अपन नुनु के नाम सेहो लिखयबाक रहय. स्कूल में पूछल गेल अहां एहिठाम किएक एडमिशन कराबय चाहय छी. हम जे हुनका जवाब देलयन्हि तकर किछ शब्द हम अहां सभ के सेहो बताबय चाहय छी. हम हुनका कहलयन्हि जे हम शुरूए सं चाहैत छलहुं जे एहन स्कूल में दाखिला करायब जतय तनाव मुक्त वातावरण में बच्चा के जीवन के पाठ पढायल जाएत होय. पढ़ाई के वातावरण बच्चा के अनुकूल होय. जतय ओकर अपन खुद क व्यक्तित्व के विकास होय. किएक त हर व्यक्ति एक दोसरा सं अलग होयत अछि... सोच अलग होयत अछि... समझि अलग होयत अछि... लक्ष्य अलग होयत अछि... काज करय के तरीका अलग होयत अछि... प्रतिभा आओर प्रकृति अलग होयत अछि... एके क्लॉस में पढई वाला घिया-पुता में सं कोई चंचल होयत अछि... कोई सीधा साधा... कोई शरारती... त कोई ढीला-ढाला. कोई डॉक्टर बनय चाहय अ त कोई इंजीनियर... त कोई पायलट... गायक... रिपोर्टर त कोई वैज्ञानिक... त ककरो में नेता बनय के खूबी होयत अछि. त फेर सभ बच्चा के संग एकहि तरहक बर्ताव केना होयत... सभ के एकहिं तरहे केना पढा सकय छी... सभ के एकेटा डंडा सं केना हांकि सकय छी... अगर सभ के एकहिं तरह सं लेबय त बच्चा के मन पढ़य में नहिं लगत. वो कुंठित भय जायत. पढाई सं दूर भागय लागत. ऐना में हर बच्चा पर अलग अलग ध्यान देय के जरूरत छै. ऐहन पढ़ाई के जरूरत छै जाहि सं हर बच्चा के अलग अलग अपन व्यक्तित्वके विकास भय सकय. अपन अलग पहचान बनि सकय. ओकर अपन अलग सोच बनि सकय. ओकर अंदर मौजूद प्रतिभा के अलग ढंग सं विकसित कएल जा सकय.
बच्चा के ऐहन मूल्य आधारित शिक्षा मिलय जाहि सं ओकर सोच व्यापक भ सकय... मुदा ऐहन भेलों पर ओ अपन जड़ सं जुड़ल रहय. मुदा एहि के लेल ओकरा ड़ांटय-डपटय के जरूरत नहिं छै. बच्चा त ओ पौधा छै जकरा माली... शिक्षक जेहन आकार देत ओ बनत... मुदा हर पौधा एक दोसर सं अलग होयत अछि. अहां हर पौधा के एक तरहे कांटि-छांटि नहिं सकय छी. हर पौधा के ओकरा अपना अनुरूपे आगां बढय के आजादी देबय पड़य छै. जाहि सं ओकरा में हर वक्त एकटा नब उत्साह... उमंग... ऊर्जा झलकय... ओ पढ़ाई के बोझ नहिं समझय.
एकरा संग एक बात पर आओर ध्यान देबय के जरूरत छै जे स्कूल क शिक्षक के ई बात सेहो बता देल जाय जे ओ बच्चा के संग ऐना पेश अबथिन्ह जाहि सं बच्चा वास्तव में जीवन जीए के कला सीख सकय. ओ आधुनिक और आध्यात्मिक दुनु तरहक शिक्षा पाबि सकय. खुद के पहचानि सकय... दुनिया के खुबसूरती... सुन्दरता के महसूस कए सकय ... ओकर आनंद उठा सकय... अपन प्रकृति के अनुसार विकास कए प्रकृति सं जुड़ि सकय. भ सकय छै बच्चा जे सवाल शिक्षक सं पूछि रहल छै वो टीचर के समझि में नहिं आबि रहल होय. ओ बात खुद टीचर के समझ सं ऊपर के होय... किएक त हर चीज हर आदमी के आबय ई त नहिं भ सकय अ. ऐहन में टीचर के बच्चा के उल्टा-पुल्टा समझा के शांत नहिं करबाय चाहि... ऐहन में शिक्षक के चाहि जे ओ बच्चा के अनुसार सोचि जवाब तलाशताह... ऐना में टीचर के प्यार सं समझयबाक चाहि... दोसर दिन विस्तार सं बतयबाक बात करय चाहि. मुदा एक बात ध्यान रहय ई वादा टूटबाक नहिं चाहि. आओर जोर जबरदस्ती सं अपन बात मनयबाक नहिं चाहि. टीचर के ई नहिं चाहि कि बच्चा पर अपन राय थोपि ओकरा अपना जकां बना दी. ओकरा पर अपन राय नहिं थोपी... बच्चा के अपन राय विकसित करय में मदद करबाक चाहि.
खोज बीन करू एहि में सं ज्यादा गुण जेहि स्कूल... जेहि टीचर में मिलय ओतय पढ़ाऊ... हमरा त ऐहन दुटा स्कूल मिलय एकटा आईआईटी के पास आरविंदो आश्रम में मीराम्बिका आओर दोसर नोएडा में श्री श्री रविशंकर विद्यामंदिर (SSRVM). मीराम्बिका दूर छल ताहि लेल नोएडा वाला में नाम लिखा देलअहिं... एहि विषय पर अहां सभ अपन राय जरूर देब.

3 टिप्‍पणियां:

  1. bahut naam sunne chalaun, jaldee hum ahan sa sampark karab. mithila aa maithili ke lel ahinaa pryaas jaaree raakhu, bahut ke lel ahan prernaa ke kaaj ka rahal chee.

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  2. बड्ड नीक प्रसंगक चर्चा कएने छी...अभिभावक लोकनि केए निश्चिते रूप से एहि सब मुद्दा पर गौर करबाक चाहि...हमरा सब तs एखन एहि सs दूर छी मुदा आबै वला समय मे एहि बातक ध्यान जरूरै राखब...

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