एकटा पेपर निकलय छै गौड़संस टाइम्स. एहि में एकटा संगी काज करय छथिन्ह प्रीति पाण्डेय. हुनका एकटा परिचर्चा के लेल हमर विचारक जरूरत छलन्हि. विषय छल विज्ञान विषय के प्रति लोकक रुझान किएक घटि रहल छै ? हम जे हुनका अपन विचार देलयन्हि से एहिठाम अहां सभ के सेहो बता रहल छी.
हमरा विचारे त आई काल्हि जे जॉब के ट्रेंड छै ओहि में आईटी... बीपीओ... केपीओ... मैनेजमेंट... रिटेल... हेल्थ... फाइनेंस...बैंकिंग आओर मीडिया बढ़त बनौने अछि. एहि में विज्ञान अपना के काफी पाछा पाबैत अछि. आजुक युवा ट्रेंडक हिसाब सं चलय के चाहैत अछि. चाहे ओ फैशन होय... ऑटो होय... खाना पीना होय या सोशल नेटवर्किंग सं जुड़य के बात. एहि सभक पाछा कोनो लेटेस्ट ट्रेंड होय त बात बनैत अछि... आओर ईहे चीज जॉब में सेहो छै. एहि में विज्ञान कतोउ नहि ठहरैत अछि. 15-20 साल पहिने जखन जॉब के लेल ज्यादा ऑप्शन नहि छल तखन लड़का सभ हाई स्कूल पास कएला के बाद मेडिकल... इंजीनियरिंगक तैयारी में जुटि जाय छलाह. ओहि समय एकरा अलावा...स्टॉफ सलेक्शन आओर बैंकिंग टा में जायके रास्ता बचैत छलन्हि. आओर एहुं में नहिं भेला पर स्कूल में मास्टरी करैत छलाह. मुदा आई त आप्शनक आओर ऑफरक भरमार छैं. नज़र उठाकS देखिऔ चारु कात ऑप्शने-ऑप्शन नजर आएत. हाथ बढाउ आओर पकड़ि लिअ. संगहि ट्रेंड जिम्हर होएत पैसा सेहो ओम्हरे मिलत. आओर जखन पाई बोलय छै सभ शांत भ जाअ छै. फेर ट्रेंड जुड़ल होय छै बाजार सं...आओर बाजार जकरा पाछा भागत. पैसा ओकरा पाछा भागत. एहि कारण आई काल्हि करियर पर बाजारक ... लेटेस्ट ट्रेंडक गहरा असर पडि़ रहल अछि. संगहि साइंस में वो एट्रेक्शन... ग्लैमर... पैसा नहिं अछि जे आई के युवा लोकनि के चाहि. एकरा संग ओ किछ अलग हटि कए सेहो करय चाहैत छथिन्ह. फैशन... टीवी... फिल्म... संगीत... मॉडर्न आर्ट सं जुड़य चाहय छथिन्ह. आजुक दिन हिनका लोकनिक लेटेस्ट मंत्र छनि ... खूब कमाउ... खूब उड़ाउ...जमिकS कमाउ... आओर जमिकS मस्ती करु. ई सभ ट्रेंड सेहो बाजारक देन छै.
विज्ञानक प्रति रुझान कम होनाय बाजार के ट्रेंड से त जुड़ले अछि... इंफ्रास्ट्रक्चर सेहो बड़का कारण अछि... आई देशक कोनो सरकारी स्कूल में चलि जाउ ढंग के लैब त छोडु... विज्ञान पढ़ाबय लायक योग्य शिक्षक नहिं मिलत...जे विद्यार्थी मे विज्ञानक रुचि जागृत कय सकथिन्ह. विज्ञान के आसपास के माहौल .. पर्यावरण... परिस्थिति सं जोडि कय समझा सकथिन्ह. विद्यार्थी के पूरा के पूरा विषय भारी लागैत छै एकरा संग टीचर के ट्यूशन सं फुर्सत मिलय तखन नै. ई हाल सरकारी स्कूले टा के नहिं अछि. दु चारि टा के छोड़ि बेसिगर निजी स्कूलों के सेहो ईहे हाल छनि. एक त सुविधा नहि... दोसर पढ़ाबय वाला नहीं. फेर नंबर के त पुछबे नहि करुं.
जखन मार्क्स मिलबे नहि करत त किएल लेल जाय साइंस. जखन कि आर्ट्स...कॉमर्स वाला के लेल ई बात नहि छै. हुनका पास ढेरों विकल्प छैनि. जिम्हर मन भेल चलि पड़लौंह. कोनो टेंशन नहि.
जहां तक हिंदी बेल्टक बात अछि एतय के लोक पैसा पॉवर के ज्यादा महत्व दैत छथिन्ह...ओ अपन नुनु के... बुचि के लोक सेवा आयोग से बीडीओ... कलक्टर... एसपी बनाबय चाहय छथिन्ह...बेटा आईएएस... आईपीएस बनि गेल फेर कोनो चिंता फिकिर नहिं. कॉलेज खत्म होएतहिं लड़का के तैयारी के लेल दिल्ली भेज दैत छथिन्ह. एलाइड नहि...कोनो स्टेट कमीशनो में सलेक्ट भेलहु कि बात बनि गेल. फेर आर्ट स्कोरिंग सबजेक्ट सेहो अछि. त किएक भागल जाय साइंस के पीछे.
खुदा न खास्ता साइंस पढिओ लेलहु त मेडिकल... इंजीनियरिंग क तैयारी में लागल रहुं. लाखों परीक्षार्थी आओर सीट सौ टा...दु सौ टा. कखन तक चांस लेब. नहि भेल त कतोहुं के नहिं रहलौं. खुब पाई लगाके पढुं मुदा नौकरी के कोनो ठिकाना नहि. तखन एहन पढ़ाई किएक नहिं पढि जेहिं स पढ़ाई खत्म आओर नौकरी हाथ में होय. आईआईएम के लड़का सभ के देखिऔ. पढ़ाई के बीच में लाखों रुपिआ के ऑफर मिलय लागैत छनि. कंप्यूटर... रिटेल... फाइनेंस.. बैंकिंग सं जुड़ल लड़का सभ के बड़ मांग छै. इंडस्ट्री के पास लोकक जबरदस्त कमी छै. लड़का सभ सेहो पढ़ाई के बाद नौकरी के लेल सालों इंतजार नहिं करय चाहय छथिन्ह. आखिर इंतजार करल जाय त किएक ? वो जमाना गेल जखन तेज छात्र के लेल सिर्फ मेडिकल आओर इंजीनियरिंग में जाय के रास्ता होयत छल. ईहे हाल सेना के नौकरी के सेहो छै .लोकक रुचि एम्हरो कम भ रहल छै.
एक बात आओर छै जखन अहां बाजय छिएय कि रुचि कम भ रहल छै त बढाबय के लेल कएल कि जा रहल अछि ??? कि किछ एहन भ रहल अछि जाहि सं लगय कि विज्ञानक प्रति रुझान बढि रहल अछि ??? कि बाजार में एकोटा किताब मातृभाषा में उपलब्ध अछि ??? मातृभाषा त छोडुं ... हिंदी में नहिं मिलत. त फेर किएक पढ़त लोक. टु चारि टा किताब हिन्दी में अछि मुदा ओकर टेक्निकल शब्दक ऐहन अनुवाद जकरा देखि अहां माथा पकड़ि लेब. अहां के लागत जे एहि सं बेहतर त अंग्रेजीए . मुदा ईहे अंग्रेंजी सभसं बडका बाधा अछि.
जत्ता अंगेजी बिना पाई नई, ओत्ते हिन्दी आ अन्य अपन भाषा बिना ध्यान (शांति) नई.
जवाब देंहटाएंआई कैल, हर ३ स ५ साल पर समाज बदल रहल छै. ५ साल पहिने के गप्प, पुरान पीडी के लगे छै, जैना मोबाइल के पहिने पडोसी कत्ता फ़ोन करे लाई जाऊ. एतेक तेज दुनिया में अंग्रेजी जानव बहुत जरूरी छै. एइही कारण स दखिन भारत के लोग बेसी उन्नत छै. आ ओ सब विदेश - अमरीका आ यूरोप स सहो काज लूइट लाई आ. आब बिहारी विद्यार्थी सहो बुझाई छै की डी सी आ कलक्टर से आगू आरो बड पैग दुनिया छै. माय बाप त से राय देत्हीं , जे ओ जिंदगी भैर देखीलखिन आ.
किंतु अपन भाषा बिना अपन कोई अस्तित्व नहीं रहे छै. अगर मैथिली नहीं, त कम स कम हिन्दी तक राखु, नहीं त उहो (भारतीय संस्कृति) अहाँ के छोइर देत.
रवि मिश्र
http://hivcare.blogspot.com/
अहन सब तारीफ के पात्र छी, जे ऐतक सुंदर ब्लॉग द्वारा मैथिल के जोरने छी | हमर सबहक ब्लॉग vmymindia.blogspot.com पर आबी और अपन विचार व्यक्त करी |
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