IGNOU के स्नातक स्तर के जे ई आधार पाठ्यक्रम शुरू होय वाला अछि ओहि में मिथिलांचलक गौरव... विशेषता... संस्कृति... साहित्य के समुचित स्थान देल जायत... मिथिलाक पोखरि... माछ... पान... मखान आओर सिंघाड़ा ( पोखरि वाला) सेहो पाठ्यक्रम में अहांके पढ़य लेल मिलत...पाट्यक्रम के मकसद..उद्देश्य रहत लोकके मैथिली भाषा के प्रकृति... विशेषता सं परिचित करानाय.
मैथिली पाठ्यक्रम के फिलहाल चारि खंड में बांटल गेल अछि आओर चारू खंड के छह-छह यूनिट में कए देल गेल अछि... पूरा मिलाक 24 यूनिट...इकाई रहत. पहिल खंड में भाषा तत्व आ बोध रहत... जेहि में तिरहुता आ देवनागरी लिपि आ वर्तनी-परिचय... मैथिलिक ध्वनि... विज्ञान विषयक बोध... संस्कृति विषयक बोध आओर शब्दकोशक उपयोग... समाज विज्ञान विषयक बोध आओर निबंध-रचनाक परिचय तथा भाषण शैली रहत.
दोसर खंड वाचन आ विविध विषयक रहत... जेहि में सामाजिक विज्ञानक भाषा आओर वर्तनिक किछु नियम... सामाजिक विज्ञानक भाषा एवं शब्द रचना... मानविकी... भाषा ओ विश्लेषण... विज्ञानक भाषा आओर परिभाषिक शब्द... विज्ञानक भाषाक स्वरूप तथा विधि एवं प्रशासनिक भाषा ... परिभाषिक शब्द आ अर्थ रहत'
तेसर खंड साहित्य सं जुड़ल रहत एहि में कथा... ललित निबंध... एकांकी निबंध... आत्मकथा आओर कविता रहत... जबकि अंतिम चारिम खंड व्यावहारिक मैथिली आ लेखन के रहत... जेहि में शब्द आ मुहावरा लोकोक्ति... संवाद शैली... सरकारी पत्राचार.. टिप्पणी आ प्रारूपन...समाचार लेखन आ संपादकीय... अनुवाद... संक्षेपण भाव-पल्लवन आ निबंध-लेखन रहत.
मैथिली के पूरा पाठ्यक्रम IGNOU के क्षेत्रीय निदेशक डा. एएन त्रिपाठीजी के नेतृत्व में तैयार कएल गेल अछि...हुनका छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम के मदद मिललन्हि अछि..छह सदस्यीय टीम में डा. भीमनाथ झा... डा. देवेन्द्र झा... डा. एनएन झा... डा. नीता झा... डा. एके वर्मा आओर श्री एनसी मिश्र शामिल छलाह..
खुशी के एकटा आओर गप्प ई अई जे IGNOU सं मैथिली के पढ़ाई तं शुरू होयबे करत...मिथिलाक्षर में पढ़ाई सेहो होयत...अखत तं मैथिलीक पढ़ाई देवनागरी लिपि में होयत...जे कि अहां अखन हमर लिखल पढ़ि रहल छी...मुदा IGNOU में तिरुहुता...मिथिलाक्षर में पाठ्यक्रम शुरू करय के विचार सेहो छै... संगहि संग मिथिलाक्षर में लिखल पांडुलिपि के दोसर भाषा में अनुवाद सेहो कएल जायत...भ सकय अ मैथिली में क्रिएटिव रायटिंग के पाठ्यक्रम सेहो शुरू होय..आओर ई मिथिलाक्षर में शुरू भ सकैत अछि. त अहां सभ तैयार रहुं...मैथिली में बड़ मौका मिलत..अहांक सामने अपार संभावना दिखय लगत...केवल ऊ मौका के पहचान पकड़य के जरूरत अछि... आब मैथिली के दीन हीन मानय के जरूरत नहिं . सिर्फ नब नब अवसर बनावय के जरूरत छै. रास्ता अपने बनैत जायत...जय मिथिला..जय मैथिली.
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