पिछला लेख में दरभंगा से राजनगर यात्राके बारे में अहां स बात भेल...आब बात करई छी राजनगर के बारे में...
राजनगर के राजपरिसर के दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के छोट भाई महाराज रामेश्वर सिंह करवैनेछलखिन्ह... मिथिलाक कला और संस्कृति में माछ के साथ हाथी के बड़ महत्व अछि...राज परिसर में जहां तहांअहां माछक निशान देख सकैय छी...एकरा शुभ मानल जाइत अछि... कोनो काम स पहिने माछक दर्शन शुभ होयअछि...आओर हाथी के राजसी शान के पहचान मानल गेल अछि.... एहि कारणे राज कैम्पस में हाथी महल ...ईमहल के दरवाजा पर दू टा हाथीके विशाल प्रतिमा बनल अछि...बच्चा में जखन हम सभ एतय जाइत छलहुं तएकरा हाथी वाला महल कहिक पुकारय छलहुं...
मधुबनी स करीब १५ किलोमीटर दूर राज परिसरक महल के महाराज रामेश्वर सिंह अपने लेल बनौने छलाह... मुदा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के मृत्युक पश्चात दरभंगा चलि गेलाह...हुनका दरभंगा गेलाह के बाद एकर उचितदेखरेख नहिं भेल...आ धीरे धीरे ई खंडहर में बदलैत गेल...एकर भव्यता के चर्चा दूर दूर तक होएत छल... एकरभव्यता...वैभव के बारे जतेक कहल जाय कम होयत... महल, मंदिरक दीवार पर कएल गेल नक्काश... कलाकारी...कलाकृति अद्भुत अछि...दीवार पर अहांके मिथिला पेंटिंग के अनुपम झलक मिलत...पत्थर...दीवार परशिल्पकला देखि अहां दंग रहि जायब...परिसर के महल...मंदिर में अहांके देशी विदेशी दुनू शैलीके समागम देखयके मिलत...छोट-छोट बात के विशेष ध्यान गेल अछि...चाहे मेहराब हो....गुम्बद हो... शिल्पकला के बेजोड़ नमूनादेखबाक लेल मिलय अछि...भने ई खंडहर में बदलि गेल अछि...आईओ १०० साल बाद एकर भव्यता...खूबसूरतीबेजोड़ अछि...
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