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हम मैथिल...
सांस्कृतिक रूप स मिथिला अपन भाषा, बोली, रचना, समृद्धि के लेल जानल जाइत अछि...कला संस्कृति, भाषा वासाहित्य आदिकाल स मिथिलाक पहचान रहल अछि...मुदा मैथिली भाषा के उचित सम्मान मिलवाक चाही आई धरिनहिं मिलल..आई मैथिली समाजक लोक दुनिया भर में जतय छथि..मैथिली में रचना कय रहल छथि..अपनयोगदान द रहल छथि..एहि भाषाक विकासक लेल काम क रहल छथि.... हमरा सभके सरकारे टा पर निर्भर नहिरहय के चाही...मातृभाषा संप्रेषण आओर रचनाक लेल सभस उत्तम माध्यम अछि...फेर दुनिया में मैथिली स मधुरआओर कोनो भाषा मिलत...आ ई खुशी केर बात अछि जे आईयो बिहार स बाहर मैथिली में रचना भ रहल अछि.. हमसभ एक दोसर स बातचीत में मैथिली के जीवित रखने छी... मैथिली के ख्याति देश विदेश में पहुंचल एकर सबसबड़का श्रेय विद्यापति जी के जाइ छैन्ह..हुनकर रचना लोकक लेल प्रेरणा बनल...
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