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नहि रहलाह मैथिली पुत्र प्रदीप

मैथिली पुत्र प्रदीप नहि रहलाह। आइ शनिदिन, 30 मई, 2020 के भोरे-भोर एहि दुनिया सं विदा भs गेलाह। निधन के खबर मिलतहि लहेरियासराय के बेलवागंज मे हिनकर निवास के बाहर
शोक संतप्त लोक सभ के भीड़ लगि गेल।

व्हाट्सएप पर एकटा वीडियो मिलल जेहि मे ममता ठाकुर आओर हुनकर परिजन मैथिलीपुत्र प्रदीप जी के मैथिली गीत सं श्रद्धांजलि देलखिन।


ओना तं हिनकर पैतृक गाम दरभंगा जिलाक तारडीह ब्लॉक के कैथवार मे छलन्हि मुदा काफी दिन सं बेलवागंज मे रहय छलाह। दरभंगा मे मिडिल स्कूल मे पढ़ाबय छलखिन्ह। हिनकर जन्म अप्रिल के महीना मे 1936 मे भेल छलन्हि। तारीख के लsक किछ लोक अलग-अलग गप करय छथिन्ह। हिनकर नाम प्रभु नारायण झा छलन्हि, मुदा मैथिली पुत्र प्रदीप के नाम सं दुनिया भर मे प्रसिद्ध भेलाह।


हिनका बचपने सं अध्यात्म के प्रति विशेष रुचि  छलन्हि। भगवतीक विशेष आराधना करय छलखिन्ह। 'जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर, हे माय अहां बिनु आस केकर' भगवती गीत संग अनेको मैथिली गीत रचलाह।

जगदम्ब अहीं अवलम्ब हमर, हे माय अहां बिनु आस केकर।

जों माय अहां दुख नै सुनबइ त जाए कहू केकरा कहबै
करू माफ जननी अपराध हमर हे माय अहां बिनु आस केकर।

हम जग भरि सं ठुकरायल छी, मां अहिंक शरण में आयल छी
अछि बीच भंवर मे नाव हमर हे माय अहां बिनु आस केकर।

काली दुर्गा कल्याणी छी, तारा अंबे ब्रम्हाणी छी
अछि पुत्र प्रदीप बनल टूग्गर हे माय अहां बिनु आस केकर

प्रदीप जी कइटा किताब सेहो लिख चुकल छथिन्ह। एहि मे स्वयंप्रभा, गीत प्रदीप, सीता अवतरण, अष्टदल, टुन्नी दाई के सोहाग बेसि लोकप्रिय अछि। कहल जाएत अछि जे 'परदेसिया के चिट्ठी लिखै छे बहुरिया' हिनके गीत अछि।

प्रदीप जी मिथिला रत्न सम्मान, सुमन साहित्य सम्मान, वैदेह सम्मान, भोगेंद्र झा सम्मान संग दर्जनों पुरस्कार सं सम्मानित कएल गेल छथिन्ह। प्रदीप जी अपना पाछां चारिटा पुत्री आ एकटा पुत्र छोड़ि गेलखिन्ह। अखनो विश्वास नहि भ रहल अछि जे प्रदीप जी आब हमरा बीच नहि छथि। ईश्वर हुनकर आत्मा के सद्गति प्रदान करथुन। ओम शांति

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