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मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल के भेल रंगारंग शुरुआत

मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल के आई, मंगलदिन राजनगर राज कैंपस में रंगारंग शुरुआत भेल। पद्मश्री गोदावरी दत्त जी द्वीप प्रज्वलित क फेस्टिवल के शुरुआत केलीह। उद्घाटन सत्र के बाद शैक्षणिक न्याय, मिथिलाक
स्थानीय इतिहास, मैथिली भाषा आ संबद्ध बोली, पानि: पोखरि-रजोखरि सत्र कर आयोजन शुरू भेल। सांझ मे हरिनाथ झा जीक ध्रुपद गायन आओर पण्डित सुब्रतो डे जीक सितार वादन के कार्यक्रम अछि।

25 दिसंबर के मैथिली साहित्य समीक्षा: ठओर आ ठाम, मिथिलाक्षर: नबका बाट,स्थानीय संगीत आ कला-परपंराक चुनौती, मैथिली कथा साहित्य, मैथिली उपन्यास: दशा ओ दिशा, सांस्कृतिक परिदृश्य में डयोढीक अवदान, इस्लामी बौद्धिक परंपरा, मैथिली नाटक आ रंगमंच: आजुक परिदृश्य, स्पीक अप मिथिला, सिनेमा: गामक घर - पदार्पण आ विमर्श विषयक सत्रक आयोजन होएत। सांझ मे वीणा सी शेषाद्रि जीक भारतनाट्यम आ डॉ रंजन कुमार जीक वायलिन वादन होयत।

तेसर दिन 26 दिसंबर के राजनगर संग सौराठ मे सेहो कार्यक्रम होयत। राजनगर मे हेरिटेज फोटो वॉक आ भारतीय वाडंगमय मे सीता पर चर्चा होएत। सौराठ मे पुनरूत्थान पर विमर्श के संग पंजीक विविध पहलू आ संरक्षण पर विद्वान सभ अपन बात राखताह। सौराठ मे काव्य संध्या केर आयोजन कयल गेल अछि। राजनगर मे डॉ दीपेश विशनावत जीक गजल संध्या होएत।

अंतिम दिन 27 दिसंबर के राजनगर मे कोहबर: मिथिलाक चित्रकलाक परिदृश्य, आंदोलन: मिथिला-मैथिली, मैथिली कविताक वर्तमान स्वरूप, मिथिलाक दर्शन परंपराक अवसान पर चर्चा होयत।

-राजनगर सं नेहा गुप्ता

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