मिथिला मे पावनि-त्योहार के खास महत्व अछि. मिथिलाक पावनि-त्योहार मे खास अछि जुड़शीतल, चौठचंद्र, कोजगरा, सामा चकेवा आओर मधुश्रावणी.
जूड़शीतल के दिन मां-दादी-काकी सभ माथ पर जल डालि जूड़ाबैत
छथीह... आशीर्वाद दैत छथीह. एहि दिन गोसाउन घर मे भगवती के आगां जौ, सतुआ, आमक टिकुला चढ़ाएल जाएत अछि. पूजा-पाठ कs पंडित जी के दान-दक्षिणा सेहो देल जाएत अछि.
भोर मे पूजा-पाठ कs सतुआ खाएल जाएत अछि. फेर होएत अछि कादो-माटि खेलय के क्रम शुरू. कादो-माटि एक तरह सं नैचुरोपैथी के काज करैत अछि.
आजुक दिन तुलसी चौड़ा पर दूटा बांस के सहारे घैल सेहो लटकाएल जाएत अछि. घैल के पेनि मे छेद करि ओहि मे कुश लगा देल जाएत अछि. जेहि सं जल ठोपे-ठोप तुलसी जी पर खसैत रहैत अछि.
मंदिर सभ मे शिवलिंग पर सेहो एहने कएल जाएत अछि. मास दिन एना चलैत रहैत अछि. चौबीसों घंटा घैल सं शिवलिंग पर पानि ठोपे-ठोपे खसैत रहैत अछि. आजुक संक्रांति सं अगिला संक्रांति तक जल चढैत रहैत अछि.
आजुक दिन कढ़ी-बड़ी, सहजनक सब्जी आ आमक चटनी के आनंद लेल जाएत अछि. आमक टिकुला के चटनी आइए सं बननाए शुरू होएत अछि. एक तरहे आई सं एहि सीजन के नवका फसल के खनाय शुरू होएत अछि.
अहां सभ के एक बेर फेर सं जूड़-शीतल... सतुआइन केर शुभकामना.
SIR APKA HAR EK POST HAME BAHUT PRERIT KARTI HAI
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