गणतंत्र दिवस के मौका पर दिल्ली के राजपथ पर भेल परेड मे मिथिलाक सिक्की कलाक शानदार प्रदर्शन देखबाक मिलल.
26 जनवरी के परेडक झांकी मे मैथिली गीत पथिआ मौनिया रे जान संग सिक्की कलाक रूप देख मन गदगद भ गेल. अपना मे एकटा गर्व जका महसूस भेल.
सिक्की कला पर बनल एहि झांकी मे
अगिला भाग मे छह कोना वाला सिक्की सं बनल एकटा बॉक्स छल... ओहि पर एकटा बड़का कलश बनाऔल गेल छल जकरा ऊपर सिक्की सं बनल नारियल राखल गेल छल.
झांकी मे रंग-बिरंग के पौती-मौनी आ खिलौना राखल गेल छल. झांकी मे महिला सभ सिक्की सं सामान बनाबए मे सेहो जुटल छलीह.
आई-काल्हि जखन सिक्की कला खत्म भेल जा रहल अछि सरकार के तरफ सं एकरा झांकी मे शामिल करनाए नीक... सराहनीय कदम अछि.
सिक्की कला के लेल 1969 मे रैयाम के विंदेश्वरी देवी जीके राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुकल छनि. एहिना सीतामढ़ी...सुरसंड के कुमुदनी देवी सेहो राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुकल छथीह.
मिथिला मे मिथिला पेंटिंग के जकां सिक्की कला सेहो काफी लोकप्रिय रहल अछि. मुदा मिथिला पेंटिंग देश-दुनिया मे नाम कमा रहल अछि सिक्की आर्ट पिछड़ि गेल.
दरभंगा...मधुबनी... समस्तीपुर... सहरसा... सीतामढ़ी आ नेपालक बॉर्डर वाला मिथिलाक इलाका मे पहिने शादी-विवाह मे सिक्की सं बनल मौनी- पौती आ तरह-तरह के सामान देल जाएत छल. सभ मे किछ नहि किछ सामान भरल रहैत छल.
मुदा आई काल्हि ई देखय मे नहि आ रहल अछि. पहिने मां- दादी...दीदी सभ के टकुआ लS सिक्की सं किछ न किछ बनाबैत देखैत छलहुं. मुदा आब नहि देखाएत अछि.
सिक्की एक तरहक घास होएत अछि. सड़क आ पोखर कात मे लंबा-लंबा सोन जकां चमकैत सिक्की अहां के मिल जाएत. पानि के मौसम के बाद ई उगैत अछि आओर एकरा काटि क सूखा लेल जाएत अछि.
सोन जकां चमकैत सिक्की के लाल-हरियर रंग सं रगि कं रंग-बिरंगक सामान...खिलौना...मौनी...पौती बना लेल जाएत अछि. कईठाम तं सिक्की सं पर्दा...चटाई...कलैंडर- फोटो सेहो देखय लेल मिलल.
एकटा कलाकार अपन सोच के जतेक दूर तक ल जा सकैत अछि ओतक तरहक सामान अहां सिक्की सं बना सकैत छी.
सरकार के एहि कला के बढ़ाला देबय के प्रयास करबाक चाही. ओना एहि बेर दरभंगा मे मिथिला उत्सव के दौरान सेहो सिक्की सं बनल किछ सामान देखय लेल मिलल.
रैयाम सं आएल किछ माई-बहिन अपन सिक्की कला के मंडप मे प्रदर्शित कएने छलीह. मुदा एकरा आओर बढ़ाबा देबय के जरूरत अछि.
अगर एकरा सं किछ पाई आबय लगय...किछ कमाय होए लगय तं गामघर के आओर माई बहिन एहि सं जुड़ि सकय छथीह.
एहि लेल अपना दिस काज करय वाला किछ एनजीओ सभ के सेहो आगां आ क प्रयास करबाक चाही जेहि सं ई कला दम तोड़य सं बचि सकय.
26 जनवरी के परेडक झांकी मे मैथिली गीत पथिआ मौनिया रे जान संग सिक्की कलाक रूप देख मन गदगद भ गेल. अपना मे एकटा गर्व जका महसूस भेल.
सिक्की कला पर बनल एहि झांकी मे
अगिला भाग मे छह कोना वाला सिक्की सं बनल एकटा बॉक्स छल... ओहि पर एकटा बड़का कलश बनाऔल गेल छल जकरा ऊपर सिक्की सं बनल नारियल राखल गेल छल.
झांकी मे रंग-बिरंग के पौती-मौनी आ खिलौना राखल गेल छल. झांकी मे महिला सभ सिक्की सं सामान बनाबए मे सेहो जुटल छलीह.
आई-काल्हि जखन सिक्की कला खत्म भेल जा रहल अछि सरकार के तरफ सं एकरा झांकी मे शामिल करनाए नीक... सराहनीय कदम अछि.
सिक्की कला के लेल 1969 मे रैयाम के विंदेश्वरी देवी जीके राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुकल छनि. एहिना सीतामढ़ी...सुरसंड के कुमुदनी देवी सेहो राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुकल छथीह.
मिथिला मे मिथिला पेंटिंग के जकां सिक्की कला सेहो काफी लोकप्रिय रहल अछि. मुदा मिथिला पेंटिंग देश-दुनिया मे नाम कमा रहल अछि सिक्की आर्ट पिछड़ि गेल.
दरभंगा...मधुबनी... समस्तीपुर... सहरसा... सीतामढ़ी आ नेपालक बॉर्डर वाला मिथिलाक इलाका मे पहिने शादी-विवाह मे सिक्की सं बनल मौनी- पौती आ तरह-तरह के सामान देल जाएत छल. सभ मे किछ नहि किछ सामान भरल रहैत छल.
मुदा आई काल्हि ई देखय मे नहि आ रहल अछि. पहिने मां- दादी...दीदी सभ के टकुआ लS सिक्की सं किछ न किछ बनाबैत देखैत छलहुं. मुदा आब नहि देखाएत अछि.
सिक्की एक तरहक घास होएत अछि. सड़क आ पोखर कात मे लंबा-लंबा सोन जकां चमकैत सिक्की अहां के मिल जाएत. पानि के मौसम के बाद ई उगैत अछि आओर एकरा काटि क सूखा लेल जाएत अछि.
सोन जकां चमकैत सिक्की के लाल-हरियर रंग सं रगि कं रंग-बिरंगक सामान...खिलौना...मौनी...पौती बना लेल जाएत अछि. कईठाम तं सिक्की सं पर्दा...चटाई...कलैंडर- फोटो सेहो देखय लेल मिलल.
एकटा कलाकार अपन सोच के जतेक दूर तक ल जा सकैत अछि ओतक तरहक सामान अहां सिक्की सं बना सकैत छी.
सरकार के एहि कला के बढ़ाला देबय के प्रयास करबाक चाही. ओना एहि बेर दरभंगा मे मिथिला उत्सव के दौरान सेहो सिक्की सं बनल किछ सामान देखय लेल मिलल.
रैयाम सं आएल किछ माई-बहिन अपन सिक्की कला के मंडप मे प्रदर्शित कएने छलीह. मुदा एकरा आओर बढ़ाबा देबय के जरूरत अछि.
अगर एकरा सं किछ पाई आबय लगय...किछ कमाय होए लगय तं गामघर के आओर माई बहिन एहि सं जुड़ि सकय छथीह.
एहि लेल अपना दिस काज करय वाला किछ एनजीओ सभ के सेहो आगां आ क प्रयास करबाक चाही जेहि सं ई कला दम तोड़य सं बचि सकय.
http://arvinddas.blogspot.in/2012/07/blog-post_29.html
जवाब देंहटाएंArvind Das jee ahank blog barh neek achhi. barh jaankaaree achhi. Sikki art par ahank lekh barh neek laagal...mon khush bha gel... dhanyawad
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