मुदा सवाल ई अछि जे अगर एहि खबर मे एको मिसिया सच्चाई अछि त जिला के आओर अफसर... विभाग कि सुतल छल. परीक्षा देबय वाला के पहचान छुपल रहय एकरा लेल कॉपी पर नाम तक नहि लिखल जाएत अछि. एहि के लs क बिहार मे बेसि लोक सभ अपन नाम के आगां सरनेम जोड़नाय बंद करि देलखिन्ह आओर एहन-एहन सरनेम राखल लागलखिन्ह जेहि सं जाति के पता नहि चलय. सरनेम मे बस कुमार... रंजन... सुमन... भारती जकां टाइटल लगाबय लागलखिन्ह.
पहिने कहल जाए छल जे परीक्षा कॉपी मे नाम लिखला पर... जाति लिखला पर ... जाति के पहचान सामने आएलाह पर कॉपी जांचय वाला अपना हिसाब सं नंबर कम बेसि कs सकय छथिन्ह... पक्षपात कs सकय छथिन्ह. कॉपी जांचय वाला भेदभाव कs ककरो कम-बेसि नंबर द सकय छथिन्ह.
जतय कॉपी पर रोल नंबर के सिवा नाम तक नहि लिखय देल जाएत छल ओतय जाति के नाम के जिक्र एकदम सं चौंका देबय वाला खबर अछि. अगर अहां के इलाका मे एहि तरहक कोनो गप होएत अछि त ओकर खिलाफ आवाज उठएबाक चाही. नहि अगर अहां के कि लगैत अछि.कॉपी पर जाति लिखनाय सही अछि त कोनो बात नहि.
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अहाँक कहने एकदम ठीक अछि. परीक्षाक कॉपी पर जाति लिखबाक सॅ जातिक आधार पर मूल्यांकन शुरू भ जेते। सच त अछि जे जाति-पात के सरकारे बढावा देत अछि।
जवाब देंहटाएंअहॉक
महेश
http://popularindia.blogspot.com/2010/01/blog-post_27.html
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देखो भैया कापी में जात पात की बात रहे ठीक नहीं है ना,ये करन अगर जाती ना लिखी जाये तो अच्छी बात है..
जवाब देंहटाएंवैसे भी आजकल जात पात के नाम पर लोगों को दबाया जाता है सो जात पात सामने ना लायी जाये सिक्षा मे तो कम से कम...
संजय सेन सागर
हिन्दुस्तान का दर्द