नवका- पुरनका लेख सर्च करु...

अभिलाषा


"अभिलाषा"
- कुसुम ठाकुर -
अभिलाषा छलs हमर एक ,
करितौंह हम धिया सँ स्नेह ।
हुनक नखरा पूरा करय मे ,
रहितौंह हम तत्पर सदिखन ।
सोचैत छलहुँ हम दिन राति ,
की परिछ्ब जमाय लगायब सचार ।
धीया तs होइत छथि नैहरक श्रृंगार ,
हँसैत धीया रोएत देखब हम कोना ।
कोना निहारब हम सून घर ,
बाट ताकब हम कोना पाबनि दिन ।
सोचैत छलहुँ जे सभ सपना अछि ,
ओ सभ आजु पूरा भs गेल।
घर मे आबि तs गेलिह धीया ,
बिदा नहि केलहुँ , नय सुन अछि घर ।
एक मात्र कमी रहि गेल ,
सचार लगायल नहिये भेल।।
http://kusum-the-globetrotter.blogspot.com/
http://sansmaran-kusum.blogspot.com/
http://maithil-marriage.blogspot.com/
http://chai-pakora.blogspot.com/
http://lallanprasadthakur.blogspot.com/
Share/Save/Bookmark
हमर ईमेल:-hellomithilaa@gmail.com


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अहां अपन विचार/सुझाव एहिठाम लिखु