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चारु कात तबाही... Chaaru kaat tabaahi

आब आंखि पथरा गेल... आब नहिं देखल जाइत अछि. बाढ़िक दृश्य देख करेजा बाहर आबि जाइत अछि.

















केना होताह सभ लोक. किनकरो भाई... भातीज... मां... बाबूजी... कका... बाबा... नुनु सभ फंसल छथिन्ह पानि मे. सभ अपने छथि... सभ जानितहुं किछ नहि कs सकय छी. चारु कात पानि. जाय आबय के कोनो साधन नहिं. सड़क आओर समुन्दर मे फर्क नहिं रहि गेल... रेल पटरी सेहो बहि गेल अछि. गामक गाम बहि गेल अछि एहि मे ताकब तs कतय? कोन ठाम होताह? कतय शरण लेने होताह ? किछ नहि पता. सभ अपन - अपन लोक के हाल चाल जानय लेल बेचैन. मन छटपटा रहल अछि. कछमछ कs रहल अछि.
ओना आब राहत ...बचाव के काज मे तेजी आएल अछि. सेना के तीनु अंग राहत मे लगि गेलाह अछि. हेलीकॉप्टर... मोटरबोट... नाव सं लोक के बचाएल जा रहल अछि. स्वयंसेवी संस्था सभ सेहो जुटय लगलाह अछि.
जोर- शोर सं राहत मे लगि गेलाह अछि. आपदा प्रबंधन के लोक सेहो आबि गेलाह अछि. राहत कैंप सेहो लगाएल गेल अछि. खाय -पिबय केर सामान बांटल जा रहल अछि. नेता सभ... मंत्री... सांसद... विधायक जी सभ जुटए लगलाह अछि.
मुदा संकट के एहि समय मे एकटा नीक गप्प ई अछि जे कोसी के पानि के रास्ता मिलि गेल अछि. कुरसेला के पास कोसी केर बाढ़ि के पानि गंगा मे मिलि गेल अछि... आब उम्मीद कएल जा रहल अछि जे पानि किछ कम होएत. पानि कम भेलाह के बाद रास्ता...पैरा ठीक करय...मरम्मत करय लेल समय मिलत जाहि सं लोक के पास राहत पहुंचाएल जा सकत. लोक के खोजल जा सकैत अछि. अपन लोक तक पहुंचल जा सकैत अछि. अखन त एक तरहे कहि सकय छी जे सरकार... प्रशासन के राहत नाकाफी अछि. ऊंटक मुंह मे फोरन वाला गप्प अछि.

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