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परेशानी नहिं भs रहल अछि कम Pareshani nai bha rahal achhi kam


परेशानी
नहिं भs रहल अछि कम


कोसी
के कहर मे कोनो कमी नहिं आएल अछि. उलटा कहल जाए त बेसिए भs गेल अछि. बाढ़ि के संग पानि के बरयनाय से नहिं रुकि रहल अछि.
पानि के बरसैत रहय के कारण बाढ़िक पानि घटि नहिं रहल अछि. बाढ़िक हाल सं लोक गाम घर छोड़ि भागि रहल छथिन्ह. जिनका जे आसरा मिलय छनि ओम्हरे जिस बिदा भs जा रहल छथिन्ह. मुश्किल के कोनो ओरे-छोर नहिं दिखि रहल अछि. घर-दलान डूबि गेला सं खाय पिबय लेल सेहो किछ नहिं बाचल अछि. भूख सं लोक सभ बीमार पड़ि रहल छथिन्ह. अगर खाय लेल किछ रुखा-सुखा मिलिओ जा रहल छै त पिबय लेल साफ पानि नहिं मिलि रहल अछि. बाढ़िक गंदा पानि पिबय लेल विवश छथिन्ह. साफ पानि पिबय लेल मन बेचैन छनि. लोक सभ जे हाल मे छलाह बाढ़ि आबिते ओहि हाल सं बचय लेल दौड़ि गोलाह... लोक जेम्हर जाएत दिखएला... ओम्हरे सभ लोक चलि देलाह... कोई बैलगाड़ी सं त कोई पैदले... किनकरो बेटा छूटि गेलन्हि त किनको कका... मुदा भागबो करताह त कतेक दूर... दूर तक जिम्हर देखु ओम्हर पानिए पानि. आगां कुआं पाछां खाई वाला हाल अछि. कोनो दिस ऊंच ठाम नहिं दिखाएत अछि. एहि मे बाचय अ गाम घर मे बनल दु चारि टा छतक मकान... छप्पड़... एक-एकटा मकान पर सय-सय टा लोक. एकहि ठाम सांप... गोजर... भेड़... बकरी... मवेशी सभ. सभ भेद मिटि गेल अछि. कि बड़का... कि छोटका सभ जतय-ततय शरण लेने छथि.
कोसीक उफनैत तेज धार मे गाम... घर... सड़क... पुल.. पटरी सभ बहि गेल अछि. राहत पहुंचत त केना. बड़का गाम दिस तं राहत पहुंचिओ रहल अछि छोट-छोट गाम घर के त लोक सभ के पता नहिं छनि. सरकार के कहनाय अछि जे एतेक टन अनाज... आ मदद भेजल जा रहल अछि मुदा ओ पहुंचत केना. पटरी तs बाढ़िक पानि मे पुआर जकां बहि गेल अछि. सड़क आ समुन्दर मे फर्क नहि रहि गेल अछि.
राहत कैंप बनल अछि शहर मे... मुदा अखनो बड़ लोक छोट-छोट टोला... मोहल्ला मे फंसल छथि. एक - दु दिन भूखल पियासल रहल जा सकैत अछि मुदा दस-दस पन्द्रह -पन्द्रह दिन सं भूखल लोक आबि भगवाने दिस देखि रहल छथिन्ह.
भूख सं अंतरी बैस गेल छनि. एहन मे जे कोनो मदद... राहत लs कs पहुंचय छथिन्ह ओ भगवान सं कम नहिं बुझाय छथिन्ह. एकटा भरोस जगैत अछि. जिनगी भर के जतेक दुआ... आशीर्वाद होइ छनि सभ दs दैत छथिन्ह. कइटा एहनो लोक छथिन्ह जे एहि बाढ़ि मे सभ किछ खो चुकल छथिन्ह. जिनकर पूरा घर- परिवार बर्बाद भs गेल छनि. ओ अपन करेजा पर पाथर राखि दोसरा के बचाबय मे जुटल छथिन्ह. धन्य छथिन्ह एहन लोक सभ. आ एहन लोक एक -दु टा नहिं सभतर दिख जएताह. जे अपना परेशानी मे रहैत दोसर के मदद के लेल जुटल छथिन्ह. अपना संग दोसरो के बचाबय मे लागल छथिनओना किछ ठाम लूटपाट के घटना सेहो भेल अछि. मुदा ओकरा बिसरनाइए नीक रहत. ओहि पर नहिं ध्यान दs लोक के बचाबय के कोशिश कएल जाए त नीक रहत. जेहि हिसाब सं पानि अछि आ लाखों लोक फंसल छथिन्ह ओहिं के देखैत आ सरकारी मदद के रफ्तार के देखैत लगैत अछि जे एहि मे हफ्ता-दस दिस से बेसि लगि सकैत अछि. ताहि लेल जरूरत अछि मिथिला सं बाहर रहल वाला लोक सभ के मदद के लेल जुटय के. अहां सभ जेहि तरहे मदद भs सकय करबाक चेष्टा करिऔ. सोचिऔ कोन तरहे अहां हुनका सभ के मदद पहुंचा सकय ... खाय- पिबय के सामान सं लs कs कपड़ा..लत्ता तक... दवाई... साफ पानी... बरसात सं बचय लेल तिरपाल... नीचा बिछाबय लेल बोरा... चटाई... मोमबती... सलाई-माचिस... चूड़ा-मुरही ... गुड़... सत्तू... बिस्किट जे भs सकय भेजबाक इंतजाम करु. एनजीओ सं सम्पर्क करु... सरकारी संस्था सं सम्पर्क करु... भ सकय ट छोट- मोट ग्रुप बना कs स्कूल... कॉलेज के छात्र सभ के लs ओहिठाम मदद पहुंताबय के कष्ट करु. दु- चारि -दस दिन मे जखन पानि कमत त बीमारी फैलय के आशंका अछि. ओहि के लेल डॉक्टर के दल सेहो भेज सकय छी. मुदा एहि सभ के लेल स्थानीय प्रशासन आ राहत मे जुटल सरकारी अधिकारी सभ सं सेहो विचार विमर्श कs लेनाय नीक रहत. ओ नीक सं बता सकताह जे कोन चीज के बेसि जरूरत अछि आ केम्हर कोन सावधानी बरतय के जरूरत अछि. अगर राहत मदद के लेल जाइत छी त अपन ख्याल सेहो राखय के जरूरत अछि. नहिं जा रहल छी त जेहि तरह सं भ सकय ओहि ठामक लेल किछ जुटाबय के कोशिश कs सकय छी. त जुटि जाउ एहि यज्ञ मे. भगवान सं प्रार्थना करु जे जतेक जल्दी भs सकय लोक के एहि कष्ट सं बाहर निकालथिन्ह.

1 टिप्पणी:

  1. हितेन्द्र जी,

    अहाँ के ई आलेख बहुत प्रभावित केलक। धन्यवाद।

    राजीव रंजन लाल

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