मैथिली भाषा के अस्तित्व संकट में अछि. मैथिली पर विलुप्त होय के खतरा मंडरा रहल अछि. केन्द्र सरकार के भाषायी अल्पसंख्य्क आयोग के अनुसार मैथिली... भोजपुरी... पाली... मगही... बज्जिका आओर अंगिका भाषाक स्थिति नीक नहिं अछि. ई बड़ गंभीर बात अछि. एहि पर गंभीरता सं विचार करय के जरूरत अछि. भने हम दिल्ली में मैथिली अकादमी बनय के घोषणा होबय सं खुश होय. मुदा जखन मैथिली आ भोजपुरी भाषा नहिं रहत त अकादमी बनि क कि होयत. भने हम सभ गोटे ई कहि जे किछ नहिं होयत मैथिली के...कोनो संकट नहिं छै... मैथिली कहियो खत्म नहिं होयत... मुदा एकरा हल्का सं नहिं लेल जा सकैत अछि.
अहां खुद गौर कS सकय छी जे कोनो भाषा के विकास तखने होय छै जखन बच्चा सभ के प्रारंभिक शिक्षा अपन भाषा में...मातृभाषा में देल जाई छै. मुदा कि मिथिला के कोनो स्कूल में मैथिली में पढ़ाई लिखाई होय छै???. बाजार में कोनो नीक अखबार... पत्रिका मैथिली में लोक के पढ़य के लेल अछि ? कि मिथिला भर में कोनो दोकान के बोर्ड... कोनो दफ्तर... फिल्म... प्रचार...विज्ञापन...घरक पता मैथिली में छै ? दरभंगा... मधुबनी... सहरसा... पूर्णिया... सीतामढ़ी... समस्तीपुर... मधेपुरा... कतहुं अहां के एकटा चीज मैथिली में लिखल मिलत? नहिं. एक दु टा अपवाद मिलत वो भगवान भरोसे. राजनीति चमकनाय अलग बात छै... विकासक बात करनाय अलग बात छै... आओर लोक में जागरूकता लनाय दोसर. आब त एहन स्थिति आबि गेल अ जे शहर के कि कहल जाय... गाम घर के धिआ- पुता सेहो मैथिली में नहिं बोलय चाहय छथिन्ह. आब गाम-गाम में इंग्लिश स्कूल खुलि गेल अ. जेहि में मैथिली त छोडुं... हिन्दी में बोलय पर विद्यार्थी के डांट खाय पड़य छै. मैथिली नहिं कोनो सरकारी स्कूल में पढ़ायल जाय अ नहिं कोनो पब्लिक स्कूल में... त फेर लोक के मैथिली लिखS पढ़S आयत कोना... ई बात सोचलिअई अ कि नहिं ?
सिर्फ राजनीति करला सं नहि होयत. अखन दिल्ली में अकादमी बनय के घोषणा भेल नहिं कि कई ठाम सं ओहि पर कब्जा करय के खबर आबय लागल. ओ अध्यक्ष बनता त ओ... सभ के अपन फिक्र छैनि. मैथिली बाचत तखन न अहांक राजनीति बाचत. एकरा लेल मजबूत संकल्प शक्ति के जरूरत अछि. सभ मिथिलावासी के एकर संकल्प लेबय पड़त जे हमरा चाहे संघर्ष करय पड़य... हर स्कूल में पहिल क्लास सं मैथिली में पढ़ाय होबाक चाहि. हर दोकान... हर दफ्तरक... बस स्टैंड...रेलवे स्टेशनक बोर्ड... हर चीज मैथिली में होबाक चाही. शादी विवाहक...मुंडन के कार्ड मैथिली में छपाउल जायत... अपन मिथिला के जतेक लोक बिहार सं बाहर रहय छथिन्ह हुनकर नुनु...बुच्ची मैथिली में बोलय तक नहिं छथिन्ह. हमरा मिथिला ते कईटा एहन लोक मिलला जे मैथिली त समझय छथिन्ह मुदा बोलि नहिं पाबय छथिन्ह. ऑर्कुट में हमर करीब सय टा दोस्त मिथिला के छथिन्ह मुदा दु चारि टा के छोड़ि सभ लोक मैथिली में स्क्रैप करला पर साफ कहय छथिन्ह जे हम मिथिला स जरूर छी मुदा मैथिली नहिं आबय अ. आखिर ओ मैथिली जानथिन्ह कोना... नहिं कोनो स्कूल में पढ़ाई होय छै. नहिं बाजार में कोनो किताब मिलय छै. नहिं कोनो टीवी चैनल नहिं कोनो अखबार. मैथिली के नाम पर कोनो नौकरी नहिं. फेर एकरा पढ़ि क करब कि? अहां कहब जे मातृभाषा नौकरी के लेल नहिं होय छै ई अस्मिता सं .. संस्कृति सं जुड़ल होय छै. मुदा कतेक दिन तक. कमाय...खाय के लेल हिन्दी... अंग्रेजी के शरण में जाय पड़त.
भाषा एक तरहे संस्कृति के पहचान होय छै. एहि लेल मातृभाषा के विकास जरूरी छै. एकरा बचाबय लेल लोक के आगा आबय पड़त. मैथिली बचल रहत त अपन मिथिला बचल रहत...जखन मैथिली नहिं रहत त मिथिला के बात कोना होयत. ई जरूर छै जे आई के ग्लोबलाइजेशन के दौर में सभसं बेसि खतरा लोक भाषा के विलुप्त होय के रहय छै. पहचान के खतरा खड़ा भ जाइ छै. सभ किछ अर्थ...पाई.. डॉलर सं जुड़ि गेल छै. मुदा अखनो देर नहिं भेल अ. सभ गोटे अगर अपन सभ मतभेद बिसरा के एक साथ आबि जाउ त मैथिली एक बेर फेर सं अपन शिखर पर होयत. मैथिली...मिथिला के नाम पर अपन -अपन राजनीति चलाबय वाला लोक सभ एक मंच पर आबि एकरा बचयबाक कोशिश में लागु.
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