नारद बजलाह...
कलयूगक स्वर्ग’क साइवर कैफे मे उपस्थित देवता लोकनिक अपन अपन क्यूबिकल मे बैसि अपन क्म्यूटर सँ चैट करैत छलाह. चारु तरफ बुझू जे अफस्यानी व्य्स्तता. किछु देवता याहू मैसेन्जर पर बैसल छलाह ते किछु ओरकुट पर. मुदा इन्द्र भगवान अपन गूगल टाक पर एखने लागिन केने छलाह कि गूगल टाक’क जीन्न तूरँत सूचना देल्कन्हि “नारद जी ओनलाईन”. जाबय धरि मे किछु सोचतथि ताबय मे नारद जी’क मैसेज एलन्हि, “नारयण! नारायण! भगवन! हम छी नारद मुनी, पृथ्वी लोक सँ सीधे आनलाइन, अपने सँ हमरा तुरन्त गप्प करबाक अछि. की अपने किनको आओर सँ बात करैत छा वा हम अपन बात बताबी… नारायण! नारायण!”
इन्द्र भगवान पुछि देलकन्हि, “जी नारद जी! अपने एखन पृथ्वी लोक मे छी बताबु जे मैथिली ब्लोग मे कोन प्रगति भेल अछि?
नारद जी कहय लगलाह, “हे राजन कतेक रास बात बहुत दिन सँ चलि रहल अछि. लगभग चारि साल होमय जा रहल अछि, मुदा एखन धरि ओतेक कोनो विशेष लोकप्रियता नहि भेटल अछि. पृथ्वी पर रहय वाला मिथिला वासी एखनो धरि मैथिली ब्लोगिंगक प्रति अभिरुचि नहि देखा रहल छथि. ओना हाल मे एकर लोकप्रियता कनिएक बढल अछि. आब लगभग ५० गोटा मैथिल प्रति दिन एहि ब्लोग “कतेक रास बात’क” भ्रमण करैत छथि. मुदा मैथिली मे लिखय वाला एखनो धरि एक्के दर्जन लोक छथि.
इन्द्र जी पुछल्थिन्ह, ” चलु से ते ठीक जे पचास गोटा ते मैथिली ब्लोग’क भ्रमण करैत छथि , नारद जी! मुदा तैयो कहल जाए जे पृथ्वी लोक मे मैथिली ब्लोग’क की हलचल भ’ रहल अछि”.
नारद उत्तर देलाह, ”हलचल ते बहुते छैक मुदा पाठके कम छथि. एखन धरि मे कत्तेक रास बात मे खट्टर काका’क भिन्सरबाक वर्णन अत्ति उत्तम अछि. जलकुम्भी नामक उपन्यास’क तेसर अंक लिखल जा चुकल अछि. ओतय बहुत जल्दीये वर्षा’क भविष्य तय होमय वाला अछि.”
नारद जी अपन बात केँ आगु बढबैत कहलाह, “नारायण! नारायण! मैथिली ब्लोग मे किछ नव मुदा ठोस खिलाड़ी प्रवेश कय चुकल छथि. जेना श्री हितेन्द्र कुमार गुप्ता जे हेल्लो मिथिला नामक ब्लोग ल’ केँ आयल छथि. सही अर्थ मे देखू ते ब्लोग’क सही प्रयोग केवल हितेन्द्र जी करैत छथि. आई काल्हि मिथिला मे जे भ’ रहल अछि ओकर वर्णन अपन ब्लोग हेल्लो मिथिला मे दिन प्रति दिन करैत रहैत छथि. सम्प्रति ओ अपन ब्लोग मे मैथिली केँ अष्टम सूचि मे शामिल केला’क बाद इग्नू’क पाठ्यक्रम मे मैथिली’क शामिल करबाक व्याख्यान केने छथि. हिनक ब्लोग मे निम्न लेख बहुत ग्यानोत्तेजक अछि- (१) इग्नू में मैथिली (२) छठक तैयारी (३) दीपावली आओर हुक्का-लोली (४) कहिआ खुलत आईआईआईटी ? (५) मैथिलीक पढ़ाई आ (६) मैथिली कहिआ ? . हितेन्द्र जी क मैथिली भाषा केँ इन्टरनेट पर आनबा मे अभूतपूर्व योगदान छन्हि.
इन्द्र भगवान बजलाह, “सत्ते हितेन्द्र जी धन्यवादक पात्र छथि. नारद जी सुनू साइवर कैफे सँ सीधे हितेन्द्र जी’क ब्लोग पर जाउ आ हमरा दिसि सँ धन्यवाद लिखि दियौक. नारद जी अपने रुकु नहि आ कहु जे मैथिली मे अपने कोन कोन ब्लोगक विजीट कयलहुँ”.
नारद मुनि बजलाह, ” नारयण! नारायण! मैथिली मे लगभग एक दर्जन ब्लोग आओर ब्लोग अछि. जेना श्री राजीव रँजन लाल’क हास परिहास, आ मैथिली लोकगीत दुनू अपन अपन जगह पर स्थान मे महत्ता राखय वाला.
नारद जी अपन बात केँ आगु बढबैत लिखलाह, “नारायण! नारायण! भगवन किछु किछु नव खिलाडी आओर प्रवेश कयने छथि. मिथिला मिहिर नामक नव ब्लोग मे श्री तारानन्द वियोगी टैग लाइन मे लिखैत छथि, ” अपना गामक लोक तकैत अछि चिडै… हमहूं अनभुआर टौन मे तकैत छी माटि-पानि…” हुनकर कविता नंदीग्राम पंचक , आ बभनगामाबाली भौजीक जीवनक चर्चा बहुते मर्मस्पर्शी अछि.
नारायण! नारयण! भगवन हम अपने केँ याद दियाबैत कहैत छी जे हिन्दी ब्लोगिँग’क महारथी श्री विजय ठाकूर जी सेहो मैथिली मे ब्लोग शुरु केने छथि जकर नाम थीक मिथिला - दर्पण मुदा एखन लागैत अछि जे ओ अपन काज मे किछु बेसीये व्यस्त छथि. तेँ जल्दी जल्दी नहि ब्लोगिँग क’ रहल छथि”.
ब्लोगिँग’क क्षेत्रमे प्रवेश कयनिहार किछु नव लोक छथि श्री अजीत कुमार झा जिनकर ब्लोग मैथिली प्रेमी एखने एखने शुरु भेल अछि.
((श्री पद्मनाभ मिश्र जीक माटिक लोक सं ))
maithili me blogging nai hoibak prati pragat kayal gel khed uchit ai. muda ekhno katek computer use kara wala mithilavasi blogging nai ka pabait chaith tain ahan sab maithili premi blogger san agrah je ai dis kichu vishesh prayatna kai ekra besi sa besi maithilbhasi me lokapriya karbak koshish kari. internet per maithili ke ehi tarhak prachar-prasarak lel ahan dhanyavadak patra chi.
जवाब देंहटाएंRoushan Kr. Jha
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