छठ खत्म होयतहिं अपन मिथिलांचल में भाई बहिनक प्रेमक...स्नेहक पावनि सामा चकेबा शुरू भय जाय छै. जखन छोट छलहुं त गाम घर में दीदी...बुआ सभ के सामा चकेबा खेलैत देखय छलह...आओर हमहुं सभ ओहि में किछ न किछ करैत रहय छलहुं...बच्चा में ई सभ करय में बड़ मन लगय छै...नहिं किछ तं चुगला के जराबय के काज त होयते छल...आओर आखिरी दिन खाई लेल सेहो प्रसाद सभ मिलय छल.
मिथिलांचल में ई पावनि बड़ उत्साह सं मनायल जाइत अछि...छठ सं पहिनहिं सं हाट बाजार में सामा चकेबा के मूर्ति सभ बिकय लागय अछि. बाजार रंग-बिरंगा सामा चकेबा के मूर्ति सभ सं पाटल रहय छै. ओना कइटा मूर्ति घर पर सेहो बना लेल जाइत अछि. सामा चकेबा आमतौर पर कार्तिक शुक्ल पक्ष के सप्तमी सं शुरू होयत अछि...छठ के आसपास अहां हर घर में लड़की सभ के सामा चकेबा बनाबैत...खेलैत देखि सकय छी...छठ के बाद हर राति सामा चकेबा खेलैत समय गीत गायल जाइत अछि. जट्ट जट्टिन सेहो गायल जाइत अछि. भाई बहिन के भावनात्माक रिश्ता के मजबूती देबय वाला ई पावनि पूर्णिमा तक चलैत अछि.
सामा चकेबा में सामा चकेबा..बाटो बहिनो..चुगला...बृंदावन...ढोलिया..बजनिया...बन तितिर सभक मूर्ति बनायल या बाजार सं खरीद कय लायल जाइत अछि...सांझ के बाद घरक लड़की..महिला... छोटगर नुनु सभ एक ठाम जमा भय सामा चकेबा खेलय छथि. जतेक मूर्ति होय छै ओकरा सूप में सजा लेल जाइत अछि. गीत गायल जाइत अछि...समदौन..लच्छही..सोहर मुदा सभ में भाई बहिनक प्रेम के जिक्र जरूर रहय छै.खरना सं पूर्णिया तक ई सभ होय छै आओर पूर्णिमा के दिन पहिने सामा के पूजा होयत अछि. चूड़ा... दही... मिठाई... बताशा... मुरही सं भोग लगायल जाइत अछि. बाटो बहिनो के रास्ता के दुनु तरफ रखल जाइत अछि. चुगला.. बृंदावन के जलाबय जाइत अछि... ढोलिया बजनिया... बन तितिर आओर दोसर खिलौना सं खेल ओकर विदाई कएल जाइत अछि...चाउर दाल सब्जी आओर दोसर सामानक पेटारी...डाला सजायल जाइत अछि...जेना बेटी के विदाई के समय समान देल जाइत अछि ओहिना समान देल जाइत अछि...सामा के खोंइच सेहो देल जाइत अछि...सामा चकेबा के फोड़ल ठेहुन पर ल क फोड़ल जाइत अछि... बाद में ओकरा खेत... माइट में आ पोखरि में विसर्जित कए देल जाइत अछि. कहल जाइ छै जे अहि अवसर पर बहिन अपन भाई लेल जे मन्नत मांगय छथिन्ह ओ जरूर पूरा होयत अछि.
हितेन्द्र भाई,
जवाब देंहटाएंएक नजर इम्हरो देल जाए. माटिक लोक अपनेक साथ भेटय ते मैथिली’क उद्धार बढियाँ सँ होयत. अपनेक सहयोग यथाशीघ्र अपेक्षित.