नवका- पुरनका लेख सर्च करु...

दीपावली आओर हुक्का-लोली



ऑर्कुट पर एकटा संगी छथिन्ह अल्का रंजन...अपन मिथिलांचल सं छथिन्ह...दीपावली सं एक दिन पहिने हुनकर स्क्रैप आयल जे सर मटिया तेल में हुक्का-लोली भिजौने छी कि नै?? सत्य कहल जाय त हम हुक्का लोली के अहि ठाम अयला पर एकदमे सं बिसरि गेल छलहुं..अल्काजी के स्क्रैप अयला पर मन गदगद भ गेल...मन भेल जे भरि पांज भरि क चुमि लिअ...मुदा एकटा तं ऑर्कुट छोड़ि कोनो जान पहचान नहिं..दोसर लड़की.... हुनका जतेक धन्यवाद देल जाउ कम छै... मुदा एहि बात सं मन में कचोटि सेहो भेल जे आई के जमाना के संगहि हम सभ सेहो बदलि गेलहुं अ... आओर हम सभं अपन परम्परा सं बड़ दूर आबि चुकल छी... परम्परा के बात छोडुं सभ किछु बदलि गेल अछि...पूजा-पाठ...दिया-बाती...डिबरी... मनाबय के रंग-ढंग सभ किछु... दिया-डिबरी के जगह आब बिजली के झालर...रंग बिरंगा बत्ती...चाइनीज सजावट के सामान लय लेलक अछि.


दिवाली आबय सं हफ्ता भर पहिने सं हुक्का लोली के तैयारी शुरू भय जाय छल...आओर एक दिन पहिने सं ओकरा मटिया तेल में भींगा कय रखि दैत छलहुं...सांझ होयते हम सभ बच्चा सभ हुक्का-लोली भांजय लगय छलहुं...ओना हुक्का-लोली भांजय के मिथिलांचल के परम्परा मूज...संठी में आगि लगा के जलावय के छै...आओर एहि में सं बचल संठी सं दिवाली के अगला दिन सूरज देवता के निकलय सं पहिने डगरा पीटय के रिवाज छै..ओना आब तं डगरा...सूप डेंगाबय के परम्परा सेहो खत्म भेल जा रहल अछि...एहि में जखन हम सभ बच्चा में सुतले रहय छलहुं त घर के चारु कात मां... दादी.. सभं डगरा पीटैत दरिद्रा के भगाबैत छलिह..


दिवाली के दिन घर-आंगन... दलान के गोबर सं नीपल जाइत छल...पानि सं धोयल जाइत छल... नबका नबका कपड़ा पहिन...पूजा पाठ कयल जाई छल...लक्ष्मी-गणेश जी के पूजा कयल जाइत छल ओकर बाद पटाखा फूलझड़ी छोड़ैत छलहुं...घऱ के चारु कात मट्टी के दिया-बाती...डिबरी जलाबय छलहुं..घर-घर जाक अपना सं बड़ लोक सभक आशीर्वाद लैत छलहुं..मुदा आब ओ सभ धीरे धीरे खत्म भ रहल अछि...आब त लगैत अछि सभ पाइयक खेल भ गेल अछि...रंग-बिरंगा झालड़ सं चमकल घर के आगां डिबरी वाला घर अन्हार में डूबल लागैत अछि...दिवाली सं पहिने आई काल्हि गिफ्ट देबय के परम्परा शुरू भ गेल अछि...मुख्य रूप सं ई ठीकेदार लोकनि के...दफ्तर में काम कराबय वाला के ..नेता अफसर सं काम निकलबाक लेल शुरू कअल गेल छल मुदा आब तं ई दिवाली के सभस प्रमुख परम्परा भ गेल अछि...कम पाई वाला लोक के तं कोनो गुजारे नहि छै...बाजार में सैकड़ों तरहक गिफ्ट के सामान मौजूद छै जे अंधाधुंध कमाई क रहल अछि...गिफ्ट के सामान बेचय वाला के चांदी भ रहल अछि...आं लोक लूटि रहल अछि...दीपावली पर लक्ष्मी जी आयताह कि तड़क भड़क में गरीबक खर्चा बढ़ा जाइत छथिन्ह...ओना मां लक्ष्मी सं इहे प्रार्थना रहत जे हे मां एहि दिवाली सभक घर धन बरसबियौ...सुख...शांति आओर समृद्धि के बरखा करिऔ.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अहां अपन विचार/सुझाव एहिठाम लिखु