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के कि कहलक !

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी 
‘‘रामलीला मैदान में पुलिस की कार्रवाई से आपातकाल की याद ताजा हो गई है जब कांग्रेस की सरकार ने बर्बरतापूर्वक लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन किया था. भ्रष्टाचार और कालाधन का मुद्दा उठाने वाले रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ ऐसी बर्बर कार्रवाई निंदनीय है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस घटना के लिए न केवल बाबा रामदेव बल्कि पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.’’

‘‘मेरी एक मांग यह भी है कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल पिछले कम से कम छह महीने की घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए संसद का आपालकालीन सत्र बुलाये ताकि भ्रष्टाचार और
कालाधन जैसे मुद्दों पर चर्चा हो सके.’’

‘‘रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे लोगों पर जिस प्रकार की कार्रवाई की गई, वह ‘नंगा फासीवाद’ है . बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया और निर्मम तरीके से पीटा गया.’’

भाजपा नेता अरुण जेटली
"रामलीला मैदान पर पिछली रात जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का शर्मनाक अध्याय है. भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ यह पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई है."

केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल 
"जो योगी जनता को योगासन सिखाने के लिए जाना जाता है वह लोगों को राजनीतिक आसन न सिखाए." जो शिविर लगाने की अनुमति मिली थी उसमें 5000 लोग शामिल होने थे लेकिन हज़ारों लोगों को राजनीतिक मक़सद से शामिल कर, स्वामी रामदेव ने इस अनुमति का उल्लंघन किया. ये कार्रवाई सरकार में पूरी तरह से सर्वसम्मति से हुई है. आज स्पष्ट हो गया कि वे आरएसएस का ही दूसरा चेहरा हैं

बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी
 "भ्रष्टाचार और काले धन का मामला देशहित का मामला है. सरकार इधर उधर की बात क्यों कर रही है. यदि काले धन का पता चल जाए तो क्या कांग्रेस का मुँह भी काल हो जाएगा? बार-बार इस मुद्दे पर टालमटोल हो रही है.हिंदुस्तान की जनता को सड़कों पर आना चाहिए. ऐसी निकम्मी सरकार जो निहत्थे और निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करती है, उसे नैतिक तौर पर सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है."

प्रकाश जावडेकर
 ‘ये लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ बर्बर कार्रवाई है. उन्होंने ये भी कहा कि ये घटना 1975 की इमरजेंसी की याद दिलाती है और अब ये तानाशाही बनाम लोकतंत्र की लड़ाई है.’

स्वामी अग्निवेश
 "इस घटना से मुझे बहुत दुख हुआ. उम्मीद नहीं थी हमारी पुलिस इतनी बर्बर हो जाएगी. हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से जाँच करानी चाहिए. प्रधानमंत्री को सामने आना होगा. लोकतंत्र में बच्चों और औरतों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की इजाज़त नहीं दी जा सकती."

शांति भूषण 
"चाहे मैं बाबा रामदेव से सहमत नहीं हूँ लेकिन लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जता रहे लोगों के ख़िलाफ़ इस तरह की कार्रवाई की कोई जगह नहीं है."

दिग्विजय सिंह 
"इस बात की जाँच होनी चाहिए कि उनकी संपत्ति का स्रोत क्या है, उनसे संबंधित जिन संस्थानों को करमुक्त किया गया है, क्या वो नियमानुसार काम कर रहे हैं और उनके एक योग गुरु और कुछ साथियों का अतापता नहीं है, वे अब कहा हैं?"
 'स्वामी रामदेव ने शंकर देव, जिसने उन्हें कुशल बाग आश्रम में शरण दी उसे ठगा. वह गायब हैं इस बात की जांच होनी चाहिए. रामदेव ने बाबा करमवीर को ठगा, जिन्होंने उन्हें योग सिखाया और अब वह आम लोगों को धोखा दे रहे हैं. रामदेव ने राजीव दीक्षित को भी ठगा जो कि उनके खासमखास थे.'


सपा नेता रामगोपाल यादव 
“कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है। इसलिए वह काले धन का मुद्दा उठाने वालों का दमन कर रही है। बाबा रामदेव की सभा में जो कुछ हुआ, वह बर्बर था। कांग्रेस की कार्रवाई से आपातकाल के हालातों की याद ताजा हुई है। रात में सोते हुए पुरुषों, महिलाओं व बच्चों पर लाठीचार्ज अमानवीय है.

अनुपम खेर ( ट्वीट )
“यह काफी हैरानी की बात है कि पुलिस और प्रशासन ने रामलीला मैदान में उपस्थित भीड़ से कैसा व्यवहार किया। यह अलोकतांत्रिक और शर्मनाक है”

शेखर कपूर
“सरकार ने यह बेवकूफी भरी कार्रवाई कर यह संदेश दिया है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन से अब काम नहीं चलेगा और हिंसा का रास्ता खोल दिया है। “

रवीना टंडन 
“ देश में हर एक शख्स को विरोध करने का अधिकार है! याद रहे।“

विवेक ओबेरॉय 
“घायलों, रोती औरतों और बूढ़ों की दर्दनाक तस्वीरें देखना। हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है”
जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी अध्यक्ष प्रो. भीम सिंह ने कहा, ''हम रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई कार्रवाई की निंदा करते हैं."

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
''केंद्र सरकार को दोबारा आपातकाल लागू करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए."

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी 
‘‘प्रधानमंत्री ने चुनावों के समय कहा था कि वह सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर ही स्वीस बैंकों में जमा काले धन को वापस ले आएंगे. मगर आज इस बात को दो साल हो गए हैं और इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.’’
चिंतक गोविंदाचार्य “शनिवार रात की घटना से 1975 की आपातकाल की याद ताजा हो गई है. आपातकाल के दौरान भी कांग्रेस का एक धड़ा उसके विरोध में था जबकि दूसरा धड़ा दमन का पक्ष ले रहा था.’ ‘वस्तुत: यह प्रधानमंत्री और 10 जनपथ के बीच टकराव का नतीजा है. इस प्रकार की बर्बर कार्रवाई करके सरकार ने अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार ली है.”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक राम माधव
“यह सरकार विश्वास करने योग्य नहीं है और शनिवार रात की बर्बर कार्रवाई से कांग्रेस नीत सरकार का असली चेहरा खुलकर सामन आ गया है. इस घटना से जलियांवाला बाग की याद ताजा होती है. शनिवार शाम सात बजे तक सरकार बातचीत कर रही थी, ग्यारह बजे सरकार दूत भेजती है और समझौत की बात करती है और रात साढे बारह बजे पुलिस कार्रवाई होती है.”

विहिप के अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रवीण तोगड़िया 
 ” यह सिर्फ बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर हमला है. सिर्फ माफी ही काफी नहीं होगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अवश्य ही इस्तीफा देना चाहिए.”

विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल
“पुलिसिया कार्रवाई देश में ‘दमनकारी ब्रिटिश शासन’ की याद दिलाती है. रामदेव पर देर रात हुई कार्रवाई से साबित होता है कि सरकार आतंक और दमन के साथ शासन करना चाहती है.”

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव
‘‘रामदेव शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन चला रहे थे फिर भी उनके खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की गई .‘‘सरकार को क्या हो गया है. कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार सबसे बड़ी ठग है .’’

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती 
‘हमारी पार्टी इसकी कड़ी आलोचना करती है.’ ‘हमारी पार्टी माननीय सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक जांच या जो भी जांच आवश्यक लगे का निर्देश देने का आग्रह करती है. दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि देश के किसी भी भाग में धरने पर बैठे किसी व्यक्ति के साथ इस तरह की ‘गुंडागर्दी’ न होने पाए.”

न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े, लोकपाल बिल समिति के सदस्य 
“यह नागरिक के मूलभूत अधिकार और मानवाधिकारों का हनन है। इमरजेंसी की कड़वी यादें एक बार फिर ताजा हो गई। सोते हुए लोगों पर लाठी बरसाना बर्बरता है।“

किरण बेदी, पूर्व आइपीएस अधिकारी
“रामदेव का आंदोलन काले धन को लेकर है जो कि देश की संपत्ति है। सोते हुए लोगों पर लाठीचार्ज पूर्ण रूप से अनैतिक है। पुलिस को कम से कम सुबह का इंतजार करके बाबा की बात सुननी चाहिए थी।“

मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता 
“पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से अमानवीय और क्रूर है। इससे साफ पता लगता है कि सरकार को अहिंसक आंदोलन की समझ ही नहीं है और वह भ्रष्टाचार के प्रति भी गंभीर नहीं है।“

नीलम गोरे, शिव सेना प्रवक्ता 
“बाबा और उनके समर्थकों को रामलीला मैदान से खदेड़ना शर्मनाक है। शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों को पीटना और पंडाल में तोड़-फोड़ करना बहुत ही अन्यायपूर्ण है। हम सरकार के शैतानी राज की निंदा करते हैं।“

 डी राजा, भाकपा के राष्ट्रीय सचिव 
“वर्तमान स्थिति के लिए सरकार अकेली जिम्मेदार है। चाहे अन्ना हजारे का आंदोलन हो या फिर रामदेव का अनशन, सरकार ने लोकतंत्र की ताकत को कम करके आंका है.”

अनिल शस्त्री, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता 
“शनिवार की देर रात रामलीला मैदान में जो भी कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था। उसे रोका जा सकता था। जो भी कुछ हुआ वह सरकार का निर्णय था, कांग्रेस का नहीं।“

वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजस्थान 
“धरना, प्रदर्शन और आंदोलन लोकतंत्र का हिस्सा होते है, फिर बाबा रामदेव का आमरण अनशन कार्यक्रम तो शांतिपूर्वक था जिसे आधी रात को बेरहमी से कुचलकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि न तो उसे लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास है और न ही वह भ्रष्टाचार और काले धन के मामले में गंभीर है।“

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती 
“योगगुरु बाबा रामदेव के साथ पूरा देश है। कांग्रेस से बाबा के एक-एक आंसू का हिसाब लिया जाएगा। बाबा के साथ जो हुआ, लोकतांत्रिक देश में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। दिग्विजय सिंह कालेधन के वकील और प्रवक्ता तो सोनिया गांधी संरक्षक हैं। ऐसा षड्यंत्र अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं होता था। जब चोर डकैत नेता हो सकते हैं तो साधु-संन्यासी क्यों नहीं?”

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
“अगर बाबा रामदेव गलत थे तो फिर कांग्रेस को इस बात का जवाब देना होगा कि केंद्र के चार मंत्री उनसे लगातार वार्ता के लिए क्यों लगे थे। केंद्र सरकार ने शांतिपूर्ण आंदोलन को खत्म कर बड़ी गलती की है।“

सुशील मोदी, उप मुख्यमंत्री बिहार 
“बाबा रामदेव के साथ जो सलूक किया गया है उसने इमरजेंसी की याद दिला दी। हम इसकी तीव्र शब्दों में भ‌र्त्सना करते हैं। भाजपा केंद्र सरकार के इस रवैये के खिलाफ देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करेगी।“

उमर अब्दुल्ला, सीएम जम्मू-कश्मीर 
“केंद्र सरकार ने पहली जून को ही बाबा रामदेव को नई दिल्ली हवाई अड्डे से ही वापस रवाना करने का जो फैसला किया था, वह सही था। केंद्र को इस फैसले पर अमल करना चाहिए था। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ा मुद्दा है। इससे अकेले नहीं निपटा जा सकता। राजनैतिक दल कैसे चुनाव लड़ते हैं। मौजूदा हालात में एक दल भ्रष्टाचार के पक्ष में नजर आता है तो दूसरा इसे समाप्त करने के मूड में है।“

नवीन पटनायक, सीएम उड़ीसा 
“बीती रात रामदेव के शांतिपूर्ण धरना पर की गई कार्रवाई चौंकाने वाली और कठोर थी। केंद्र सरकार ने अलोकतांत्रिक व्यवहार किया।“

चंद्रबाबू नायडू, तेदेपा प्रमुख
“यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और अनैतिक कार्रवाई है। इसके लिए सरकार को तत्काल देशवासियों से माफी मांगना चाहिए। साफ है कि जो लोग देशहित की बात कर रहे हैं, सरकार उन्हें दबा रही है।“

स्वामी शिवानंद सरस्वती
“लोकतंत्र में यह कार्रवाई अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वामी रामदेव तो भ्रष्टाचार और कालेधन की वापसी जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से समाज में अच्छा संदेश नहीं पहुंचा है। मातृसदन इसकी घोर निंदा करता है।“

लालू यादव, पूर्व रेल मंत्री 
“योग गुरु का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी ज्यादा भव्य स्वागत हुआ। आरएसएस बाबा को अपनी गतिविधियों के लिए मुखौटा के रूप में प्रयोग कर रहा है। रामदेव के राजनीति में आने से परेशानी नहीं है, भगवा चोला से ज्यादा उन्हें खद्दर जंचता है।“



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