मिथिला मे आई-काल्हि नव विवाहिता स्त्रीक उल्लास देखते बनैत अछि. आई-काल्हि गाम-घर मे बहिन... भौजी... नवकनियाक उमंग... उत्साह चरम पर अछि. होए किएक नहि. मधुश्रावणी जे अछि. सावन मास मे होए वाला मधुश्रावणी विवाहक बाद नवका जीवन शुरु करय लेल एकटा प्रमुख पावनि अछि.
मधुश्रावणी केर मिथिला में विशेष स्थान अछि... ई नवविवाहिता स्त्रीक पावनि अछि. नवकनिया सभ अपन पतिक दीर्घायु लेल ई पावनि करैत छथीह. ई पावनि नैहर में मनायल जाइत अछि. मुदा विशेष परिस्थिति मे सासुर मे सेहो मनाएल जा सकैत अछि. मधुश्रावणीक पूजा विवाहक पहिल सावन केर नागपंचमी के दिन शुरू होयत अछि आओर तेरह दिन तक लगातार पूजा होयत अछि. अहि में तेरहों दिन नव-नव कथा सुनायल जायत अछि. कथैथिन कथा कहैत छथीह. एहि में गृहस्थ जीवन मे प्रवेशक कथा-कहानी होएत अछि. जेहिमे व्यावहारिक पहलू के संगहि- संग यौन शिक्षा के वर्णन सेहो रहैत अछि. एहि कथाक बड़ महत्व अछि. एकरा एहि तरहे बनाओल गेल अछि कि एकरा पालन कएला सं जीवन सुचारु रूपे चलैत रहय. अनुभवक सार रहैत अछि कथा मे.
भरि मधुश्रावणी गामक छटा किछु अलगे रहैत अछि. लाल... पियर... हरिहर साड़ी में जखन नैहर आयल नवविवाहिता सभ फूल लोढ़वाक लेल निकलैत छथीह तं ऊ दृश्य देखवा जोगर होयत अछि. नवविवाहिता सभ हाथ में डाला लेने मंदिर जाए छथिन्ह. मधुश्रावणी मे ओना भोर मे पूजा...बेरिया( दोपहर) मे कथा ओर सांझ मे फूल लोढ़य के परम्परा अछि... फूल लोढनाए एकसरे नहि टोली बनाकए... हुनका सभक संगे कुमारि सखी-सहेली...धिया-पुता सभ रहैत छथिन्ह... पूरा माहौल रंगीन बनल रहैत अछि. डाला के फूल सं नीक सं सजाएल जाएत अछि. भोरक पूजा बसिआ फूल सं होएत अछि जेकरा कि सांझ मे लोढने रहय छथिन्ह.
असल में सावन मे बरसातक मौसम मे सांप-ढ़ोरि खूब निकलैत अछि... आओर ओकरा से पति के बचावय लेल...आ पति के दीर्घायु होबय के कामना के लेल विषहरी के पूजा कएल जाइत अछि... मिथिला केर हर पावनि त्यौहार लोक जीवन स जुड़ल अछि आओर ओकरा स जुड़ल अई लोक कथा. एहि लेल तेरहो दिन नव-नव कथा सुनाएल जाएत अछि. मधुश्रावणी मे वर...पाहुन सासुर सेहो जाए छथिन्ह.
sahi slok hai hitendra ji
ReplyDeleteRajneesh Jha
मधुश्रावणी शुरु भ गेल ने हमरो गाम जे के मन होएये ,ापन बहिना मन पेर गेलिह हुनको मधुश्रावणी छन्ह .
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