ओना त कोसी बिहारक शोक कहले जाएत अछि. एहि नदी मे हर साल बाढ़ि त आबिते अछि. मुदा पिछला साल कुसहा मे बांध टूटला सं जे तबाही भेल ओ लोक के दिल-दिमाग मे एहन बैसि गेल अछि जे मिट नहि पाबि रहल अछि. आओर आब बरसात... पानि अनाय शुरू भेला के बाद लोकके धड़कन फेर तेज भ गेल अछि. हरदम दिल धक-धक करैत रहय छनि. ओना सरकार के कहनाय अछि जे बांध के सभ काज ठीक भ गेल अछि... आ खतरा के कोनो बात नहि अछि. मुदा लोक एहि बेर कोनो चांस नहि लेबय चाहय छथिन्ह. ओ बाढि सं निपटय के तैयारी मे खुद लागि गेलाह अ.
बाढ़िक खतरा देखैत लोक सभ ऊंच स्थान के खोजि लेने छथि. किछ त पानि बढ़य के संग ऊंच स्थान दिस जाय के तैयारी मे सेहो छथि. किछ लोक के जिनकर रिश्तेदार सभ एहन ठाम छथिन्ह जिम्हर बाढ़ि नहि आबैत अछि. ओम्हर जाय के तैयारी मे छथि. किछ के त मामा गाम... पिसा गाम सं बजाहट आबि गेल छनि... जे कोनो रिस्क नहि लेबय के जरूरत नहि छै... सभ कोई चलि आबह. किछ लोक जे रोज कमाय-खाय वाला छथि... बाढ़िक दिन बिहार सं बाहरे जनाइए बेहतर मानैत छथि. ओ सोचय छथि गाम –घर मे परेशानी झेलय सं नीक बाहरे जनाए अछि. फेर गाम-घर के दूर-दराज के इलाका के लोक सभ जिनका पास नीक सं राहत-पुनर्वास के मदद नहि पहुंचलन्हि ओ सेहो सुरक्षित स्थान दिस जनाइए भलाई समझय छथिन्ह.
एम्हर बाढ़िक मौसम नजदीक आबय के संगहि... लोक सभ राशन के सामान जोड़य मे लागि गेलाह अ. बाढ़ि के समय त एहनो खबर आएल छल जे कतेक रास लोक के त कई-कई दिन तक पात चबा क गुजारा करय पड़लन्हि. एहि लेल लोक सभ एहि बेर पहिनहि सं जोगाड़ मे लागि गेलाह अ. मटिआ तेल... कड़ुआ तेल... चाउर... आटा... दालि... चना... सत्तू... चूड़ा... गुड़... चीनी... नमक... मसाला... माचिस... मोमबती... आओर दोसर किराना के सामान जे जीवन बचाबय के लेल जरूरी अछि... जमा करय लगलाह अ. किछ जरूरी दवा सभ सेहो राखि ल रहल छथिन्ह. नहि जाने कखन कि जरूरत पड़ि जाए.
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