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हकार: रविदिन दिल्ली मे मधुश्रावणीक आयोजन

दिल्ली मे मिथिलाक मधुश्रावणीक आयोजन रविदिन, 5 अगस्त 2018 क 20 कॉपरनिकस लेन, मंडी हाउस पर भऽ रहल अछि. एहि मधुश्रावणीक आयोजन अखिल भारतीय मिथिला संघ के तरफ सं कएल जा रहल अछि. अहि मे दिल्ली आ एनसीआर सं महिला सब आबि अपन सांस्कृतिक धरोहर, संस्कार, आ परम्परासँ लोकके मिथिलाक महिलाक भूमिकाक जीवंत प्रमाण देतीह.


मधुश्रावणी मिथिलाक स्त्रीगनक पाबनि अछि जे नव विवाहिता तेरह सँ पन्द्रह दिन धरि सावनक कृष्णपक्षक पञ्चमी दिन सँ करैत छथि। पति-पत्नी, सासु-पुतहु, बुढ़ आ नव, परम्परा आ प्रतिष्ठाक हिसाबे मधुश्रावणी जीबाक कला सिखबैत अछि. इ नेह, सौन्दर्य, समर्पणक पाबनि अछि. पुरुष-प्रकृति, लोक-शास्त्र, संस्कृति-पर्यावरणक बीच तारतम्य स्थापित करैत अछि. लड़की केँ सुघड़ स्त्री बनबैत अछि. इ पाबनि तीन भागमे बाटल रहैत अछि: प्रथम, अरिपन आ तांत्रिक परंपरासँ पूजास्थलक निर्माण आ नित्य पूजा; दोसर, कथा वाचिका द्वारे प्रतिदिन कथा सुनब; तेसर, अंतिम दिनक पूजा, तत्पश्चात कुमारि अहिबातीक भोजन.

मधुश्रावणीमे लोक आ शास्त्र, पुरुष आ प्रकृति, प्रकृति केर अवयव जेना पानि, नदी, पोखरि, गाछ, फूल-फल; जीव-जंतु, साँप, कीड़ा, धरती-अकास, आदिक बीच कोना साम्य बनबैत सबहक संगे कोना जीबी तकर व्यावहारिक शिक्षा देल जाइत छैक. कोना स्थानीयता केँ सम्मान करैत समग्रताक भावकेँ स्वीकार करी, से शिक्षा देल जाइत छैक. शिक्षा क्लास रूमसँ अधिक ओपेन थिएटर जकाँ परिवेशमे होइत छैक. अतय एक अनुभवी कथा वाचिका अपन कथाकेँ ज्ञानसँ आ कहबाक शैलीसँ लड़की सभकेँ कथाकेँ खोइंछा छोड़ा सुनबैत रहैत छथि. जखन ओ कथा वाचिका कथा कहैत छथिन तऽ ओ हरेक पात्रकेँ अपनामे समाहित कऽ लैत छथिन. कथा वाचिकाक संग-संग नाट्य विधाक माजल कलाकार बनि जाइत छथि. कथाक प्लोटिंगके आ स्थानक अनुरूप अन्य भाषाक प्रयोग, गीत-कवित्तक प्रयोग सेहो कथा मे होइत रहैत छैक. कथा वाचिका असगरे सब बात अभिनय संग संप्रेषित करबाक असीम क्षमता रखैत छथि. अभिनय केर पराकाष्ठा एहिमे देखल जा सकैत अछि. ई एक एहेन स्टेज होइत छैक जाहिमे स्त्री, पुरुख, देवता, दानव, जीव-जंतु, सबहक भूमिका मात्र एक कलाकारकेँ करय पड़ैत छैक – वैह एक्टर, वैह डायरेक्टर. बीचमे कोनो ब्रेक नहि. हरेक कथा वाचिका अपन दायित्व केर पालन उत्कृष्ठतासँ करैत छथि. अतेक प्रभावी ढंगसँ जे, जे पबनौतिन छथि से तऽ कथा सुनबाक हेतु बैसते छथि हुनका संगे आनो स्त्रीगन सब सुनैत रहैत छथि. कनियाँ चुपचाप एक गंभीर शिष्या जकाँ कथा वाचिकाकेँ हरेक शब्दकेँ ज्ञानरूपी अमृतक एक-एक बूंद मानि पिबैत रहैत छथि.

पूजामे संस्कृत आ मैथिलीक मिश्रित शब्द आ मन्त्र भेटैत छैक यद्यपि पण्डित जीकेँ कोनो भूमिका एहिमे नहि रहैत छनि.

अखिल भारतीय मिथिला संघ संस्थाक अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा जीक कहब छनि: “दिल्ली आ अगल-बगलमे चालीस लाख मैथिल रहैत छथि. हमर सबहक इ कर्तव्य बनैत अछि जे हुनका सबके अपन संस्कृति, संस्कार, पाबनि-तिहार आ ओकर संरक्षण आ संवर्धनमे मैथिलानीक भूमिकासँ लोक अवगत होथि.” यएह बात सभके ध्यानमे रखैत दिल्लीक इतिहासमे कतौ अहि तरहक विशाल आयोजन भऽ रहल अछि.



स्थान-
20 कॉपरनिकस लेन, मंडी हाउस, नई दिल्ली

ई मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन के पास अछि. 20 कॉपरनिकस लेन बीजेपी एमपी प्रभात जीक सरकारी आवास छनि, मुदा ओ एहि जगह के मिथिला सं जुड़ल काज लेल समर्पित क देने छथिन्ह. 20 कॉपरनिकस लेन दूरदर्शन (डीडी) दफ्तर के सामने गली मे अछि।


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