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कि भारत बाचल रहत?

महंगाई... घोटाला... आओर भ्रष्टाचार के लsक दुनिया के कई देश मे आई-काल्हि उलट-पलट मचल अछि. ट्यूनिशिया सं उठल आंदोलन केर आगि जॉर्डन होएत मिस्र मे धधैक रहल अछि. एतबे नहि एकर ताप आसपास के दोसरो देश मे देखल जा रहल अछि. लोक केतबो दसटा कारण बतौबथिन्ह मूल मे महंगाई... घोटाला...  कालाधन आओर भ्रष्टाचार अछि. एहन मे सवाल ई अछि कि भारत कि एहि सं बाचल रहत?

सरकार के खिलाफ लोक सड़क पर उतरि रहल अछि. जन आंदोलन... जन विद्रोह... क्रांति एहन रूप धरने अछि जे ओहि ठाम के सरकार... शासक... हुक्मरान परेशान अछि. सरकार एक तरहे सरेंडर
करय के हालत मे अछि. लोक के विद्रोह के आगां सेना सेहो हाथ पर हाथ रखने अछि. सरकार कोनो तरहे अपन आखिरी सांस गिन रहल अछि.

लोक के आंदोलन के देखि मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के तेवर ठंडा गेल अछि. ओ नरम पड़ि गेल छथिन्ह. हुनकर 30 सालक शासन के अंत आबि गेल अछि. लोकक ई आंदोलन दुनिया के सभ देशक ध्यान अपना दिस आकर्षित कएने अछि. महंगाई... भ्रष्टाचार के खिलाफ लोक के बर्दाश्त करय के सीमा खत्म भ गेल अछि.

लोक तंग आबि चुकल छथिन्ह घोटाला सं... भ्रष्टाचार सं... कालाधन सं... नेता सभ के काला कमाई सं... अफसरशाही सं... तानाशाही सं. लोक आब जागि गेल छथिन्ह. सड़क पर उतरि अपन विरोध जता रहल छथिन्ह. ओ भ्रष्ट प्रशासन... अफसर... नेता गठबंधन सं तंग आबि सरकार के हिला रहल छथिन्ह. लाखों लोक के सहयोग मिल रहल छनि हुनका सभ के.

तं कि भारत एहि सं बाचल रहत? भारत के आम लोक कहिआ तक बर्दाश्त करैत रहत घोटाला सभ के ? देश मे सेहो महंगाई चरम पर अछि. सीडब्ल्यू घोटाला... आदर्श घोटाला... 2जी घोटाला... स्विस बैंक मे जमा लाखों करोड़ रुपया के काला धन... नक्सली समस्या... आंतरिक सुरक्षा... सीमा विवाद... कश्मीर समस्या... अनाज घोटाला आम लोक के बिलबिलौने अछि.

देश के लोकक सहय के सीमा खत्म भेल जा रहल अछि. भ्रष्टाचारी गठबंघन के खिलाफ लोक गोलबंद भ रहल छथिन्ह. देश मे सेहो आवाज उठनाए शुरू भ गेल अछि. पिछला दिन देश भर मे धरना प्रदर्शन...रैली सेहो भेल. जनलोकपाल बिल के मांग कएल गेल. लोक के भड़ास निकलनाए शुरू भ गेल अछि.

आरुषि मामला मे राजेश तलवार आओर रुचिका मामला मे हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर पर हमला करय वाला उत्सव के गुस्सा के... खीस के अहां एहि सं जोड़ि कs देख सकय छी. एकरा अहां एकटा शुरूआत भरि कहि सकय छी. लोक मे गुस्सा भरल जा रहल अछि. नहि जानय कखन फटि पड़त. जखन फटत त सभ किछ के खत्म करिके छोड़त.

कहनाय अछि जे पाप के घैल भरि रहल अछि. शायद पूरा नहि भरल अछि जखने भरत लोक सभ भ्रष्टाचारी के सबक सीखा देत. तखन अखन जे लोक दसटा बहाना बनाबय छथि एकर ताप महसूस करताह. फेर अखन ओ जेहि धन के लेल बाप-बाप करय छथिन्ह...ओकरा के लsक गेल अछि अपना संग. नहि कोई लsक गेल अछि आओर नहि ओ लs जएताह. सभ एतय रहि जाएत.

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