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नीतीश जीत पएताह? कहीं भारी नहि पड़ि जाए...

बिहार मे आई-काल्हि विधानसभा चुनाव के लsक काफी गहमागहमी अछि. जिम्हर देखु ओम्हर बस चुनावे के चर्चा. नीतीश जी फेर जीत रहल छथिन्ह त लालू जी एहि बेर नीतीश जीके नहि चलय देथिन्ह. लालू जीक तैयारी सॉलिड छनि.

जतेक चाय-पान दोकान... दलान पर जाउ सभ ठाम इहे गप. मीडिया...समाचार मे भने नीतीश जी छाएल छथिन्ह अहां लालू जीके छोड़ि क नहि चलि सकय छी. एहनो भ सकैत अछि जे परिणाम एकदम सं चौंकाबय वाला मिलय.

अगर चुनाव सं पहिनहिं दू-चारि सय लोक के सर्वे सं सभ पता चलि जाएत त करोड़ों रुपया वोटिंग पर खर्च करय के जरूरते नहि पड़ैत. अहां हाइवे पर चलि कs आओर टाउन मे बैसि कs गाम -घर के मानसिकता नहि जानि सकय छी.
फेर वोटिंग गुप्त होएत अछि. आम तौर पर मतदाता कहय छथिन्ह जे हम अहीं के वोट देब. जे उम्मीदवार... जे पार्टी के लोक वोट मांगय के लेल आबय छथिन्ह सभ के भरोस दै छथिन्ह जे अहां निश्चिंत रहुं... हमर वोट अहीं के. मुदा कि एहन होए छै की ?

एहि लेल बेसि खुशफहमी पालय के जरूरत नहि अछि. किछिओ भ सकैत अछि. हो-हल्ला कsक लोक पर अपन विचार थोपय के जरूरत नहि अछि. चुनाव राज्य...देश केर मसला के संग स्थानीय मुद्दा पर सेहो लड़ल जाए छै.

जेहि इलाका मे जेहन मु्द्दा होएत...मामला हावी होएत ओ असर डालत. जाति...धर्म...भाई-भतीजावाद...सवर्ण...अगिड़ा-पिछड़ा...बटाईदारी मुद्दा के अहां एकदम सं नकारि नहि सकैत छी . आखिर कई बरखक लागल जंग एके बेर मे नहि-न छूटत.
राजनीति के चौसर मे कई बेर जे पाछां देखाएत अछि अहां ओकरा हारल मानि क नहि चलि सकैत छी. ओ कखन अहां के चेकमेट द देत से कहि नहि सकय छी. कनिक ढील देलौं कि गेलौं.

एकर कारण ई अछि जे लालू जी आओर पासवान जी अपन पूरा जोर लगौने छथिन्ह. जीवन-मरण के प्रश्न जकां बना लेने छथिन्ह एहि चुनाव के. मुदा जेडीयू -बीजेपी के नेता-कार्यकर्ता ई मानि क कि जीत त पक्का अछि... सरकार हमरे बनि रहल अछि... अनठिआ देने अछि.

जेडीयू-बीजेपी के अभियान मे... प्रचार मे जे तेवर देखबाक चाही से नहि दिखा रहल अछि. बस भाषणबाज़ी भ रहल अछि. नेता...कार्यकर्ता पहिनहिं सं जीतक खुशी मे गप लड़ा रहल छथिन्ह. कहीं ई भारी नहि पड़ि जाए नीतीश जीक लेल.
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