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बीच का रास्ता नहीं होता !

अयोध्या पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसला आएल. फैसला मे विवादित जमीन के भगवान राम के जन्मभूमि मानल गेल आओर कहल गेल जे रामलला के मूर्ति हटाएल नहि जाएत. एकरे संग जमीन के तीन हिस्सा मे बांटि देल गेल. गुंबद के बाहर वाला जमीन तीनु पक्ष... सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड...निर्मोही अखाड़ा आओर हिन्दू महासभा के बीच बांटय के आदेश देल गेल.

अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद सं जुड़ल ई मामला करीब छह दशक पुरान अछि. एहि बीच लोक के कतेक चीज देखय लेल मिलल. कइटा केस... आडवाणी जीक रथयात्रा... कारसेवा... विवादित इमारत के विध्वंस... देश भर मे दंगा-फसाद... नहि जाने कि-कि भेल. सुस्त न्यायिक प्रक्रिया केर बाद आखिर 30 सितबंर के फैसला आएल.

ओना त एहि फैसला के बाद दूनु पक्ष के पास आगां सुप्रीम कोर्ट मे जाए के रास्ता बाचल अछि... आओर ओ सभ कहबो करलखिन्ह जे एहि फैसला के खिलाफ आगां अपील करताह. मुदा अहां के कि लगैत अछि एहि फैसला सं? कि हाई कोर्ट पंचायत जकां काज करलक अछि ? कि तथ्य केर जगह भावना...मान्यता के ध्यान मे राखि फैसला लेल गेल अछि? कि ई ध्यान मे राखि फैसला लेल गेल अछि जे कतहुं कोनो फसाद नहि होए?

ई जरूर अछि जे फैसला के बाद देश भर मे कतहुं किछ नहि भेल. सभ ठाम शांति बनल अछि. सभ लोक चाहय छथिन्ह जे कतहुं किछ अनर्गल नहि होए. असल मे विवादित ढांचा गिरला के बाद के स्थिति याद अबितहिं लोक सहमि जाए छथिन्ह. देश मे कोनो व्यक्ति नहि चाहय छथिन्ह जे ओ फेर सं दोहराएल जाए. सभ लोक प्रार्थना करय छलखिन्ह जे सभ शुभ-शुभ रहय.

सरकार सेहो एहि लेल पूरा कमर सकने छल. सभ संवेदनशील जगह पर सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम कएल गेल छल. सभ-टीवी चैनल... रेडियो... अखबार के माध्यम सं लोक के शांति... अमन के अपील कएल गेल छल. एकर असर सेहो पड़ल. सभ लोक चाहय छलखिन्ह एहि बेर किछ खराब नहि होए.

हाई कोर्ट के फैसला सं लोक सभ राहत के सांस लेलखिन्ह. मुदा कि अहां के लगैत अछि जे अदालत के फैसला एहन होबाक चाही छल? सभ पक्ष के एकटा झूनझूना पकड़ाबय के कोशिश कएल गेल अछि. सभ के खुश करय के कोशिश कएल गेल अछि. फैसला मे राजनेता के जकां सभ के ख्याल राखय के कोशिश कएल गेल अछि.

फैसला के देखला पर पहिल नजर मे लगैत अछि जे कोर्ट के कोशिश केहुना मामला के शांत राखय आओर सुलटाबय के रहल अछि. संगहि ई कोशिश कएल गेल अछि जे अगर एहि पर दूनु पक्ष मे सुलह नहि भेल त फेर हुनका लेल सुप्रीम कोर्ट जाए के रास्ता खुलल छनि. आगां सुप्रीम कोर्ट निपटय. हमर जान छूटय.

त कि हाईकोर्ट एतेक दिन सं अपना ऊपर फंसल मामला के सुप्रीम कोर्ट पर टालि देलक अछि ? अगर अहां फैसला देखिऔ सं साफ लागत जे एहि फैसला के देश के बहुसंख्यक समुदाय के भावना...मान्यता के ध्यान मे राखि देल गेल अछि आओर एकर सेहो ख्याल सेहो राखय के कोशिश कएल गेल अछि जे अल्पसंख्यक समुदाय सेहो निराश नहि होए.

मुदा कि अदालत भावना सं चलैत अछि? कि कोर्ट मान्यता-विश्वास सं चलैत अछि? कि कोर्ट क काज केहुना मामला के सुलटाबय के होएत अछि ? कि हाई कोर्ट एहि मामला के सुप्रीम कोर्ट पर टालि देलक अछि? कि हाई कोर्ट एहि सं एकटा नवका परम्परा शुरू भेल अछि? कि लोक आगां सेहो भावना आओर मान्यता के आधार पर फैसला निपटाबय के जोर देथिन्ह?

सवाल जमीन के मालिकाना हक पर छल. त सवाल ई अछि जे जमीन आ त एक के अछि आ नहि अछि. अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड के अछि त फेर हिंदू महासभा के किएक ओहि मे एक हिस्सा देल गेल आओर अगर हिंदू महासभा के अछि त किएक सुन्नी वक्फ बोर्ड के देल गेल? कोर्ट मे लोक फैसला लेल गेल छलाह आ सुलह के लेल?

अगर सुलह-समझौता सं रास्ता निकालय के छल त फेर एतेक टाइम किएक लेल गेल? किएक नहि फैसला सं पहिने खुद दूनु पक्ष सं मिलि-बैसि क कोनो रास्ता निकालय के बात करय गेल? किएक नहि दूनु पक्ष के स्वीकार्य रास्ता निकालय गेल? किएक एहि फैसला के बादहुं दूनु पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाए के बात करि रहल अछि?

अक्सर गाम-घर के पंचायत मे होएत अछि जे वाद-विवाद के बाद.. मारि-पीट... लड़ाई-झगड़ा....खून-खराबा भेलाह पर पंचायत लोक के रुतबा-हैसियत देखि दुनू पक्ष के खुश करय के कोशिश करय छथिन्ह. एहि मे कई बेर एहन होएत अछि जे जकर असल मे जमीन होएत अछि ओकरा नुकसान उठाबय पड़ैत अछि. किएक त फर्जी दावा करय वाला के सेहो पंचायत के तरफ सं किछ हिस्सा मिलि जाएत अछि.

अगर कोर्ट के ई फैसला एहि सोच पर अछि कि एहि सं मामला भड़कि सकैत अछि...हो-हल्ला भ सकैत अछि तं एकर आगां बड़का असर देखय के लेल मिलि सकैत अछि. किएक कि हरियाणा मे पिछला दिन किछ दलित के मकान जला देल गेल...लोक के सेहो जला देल गेल. मुदा जलाबय वाला लोक पर कार्रवाई एहि लेल नहि भ रहल अछि जे एहि सं मामला आओर भड़कि जाएत. आब अहां एकरा कि कहबय?

एहिना एकटा मामला संसद पर हमला सं जुड़ल अछि. कि अफजल गुरु के एहि गेल फांसी नहि देल जाएत कि ओहि सं हो-हल्ला भ सकैत अछि...फसाद भ सकैत अछि. अगर तथ्य ई अछि जे ओ दोषी अछि तं फांसी दिऔ नहि त बाइज्जत रिहा करि दिऔ. हर फिल्म हर किताब मे अछि जे कोर्टक फैसला तथ्य के आधार पर होएत अछि त फेर ई ऐना किएक भेल?

कोर्ट क फैसला तत्काल के हिसाब सं देखय मे नीक लगैत अछि मुदा आगां कि? कि कोर्ट के काज भावना...आस्था... मान्यता... विश्वास के आधार पर फैसला देबय के अछि? कि भोपाल गैस के दोषी के एहि लेल किछ नहि होए कि ओकरा सजा देलाह पर दंगा भड़कि जाएत. कि दोसर कोनो लोकप्रिय नेता के एहि लेल कोनो आरोप मे तथ्य रहलौं पर सजा नहि सुनाएल जाएत कि ओहि सं खून खराबा होए लागत?

सवाल उठैत अछि कि कोर्ट के काज धार्मिक सहिष्णुता के देखैत फैसला देबय के अछि? कि कोर्ट एकटा समझौता कराबय के कोशिश करि रहल अछि? फैसला सं लगैत अछि जे बीत के रास्ता निकालय के कोशिश कएल गेल अछि. मुदा कानून के हिसाब सं बीच के रास्ता होएत अछि कि? अहां सभक विचार के इंतजार मे.
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हमर ईमेल:-hellomithilaa@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. Hitendra ji ahank bichar sa hum sahmat chhi je i phaishla panchayat jenka laget achhi aa achhiyo. muda hum e bat ke nai mani saket chhi je bahusankhyak ke dhyan me rakhike phaisla bhel. yadi ahan otye khudai me prapt sabut ke dekhi te spast hoyat je o jagah sirph aa sirph hindu samaj ke chhi. babar okra jabardasti chhin lene chhal. larai mandir masjid ke nai chhal. larai ta jamin ke chhal je o kekr achhi. suni vakf board ke yachika ke kharij kelak bado jamin ke ek tihai okra kiyak del gel se te adalate bhujhat. on bhel panchayate.

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