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की बलिराज गढ़ मिथिलाक प्राचीन राजधानी अछि ?

सुशांत झा
हमर गाम खोजपुरसँ करीब एक किलोमीटर दक्षिण दिस बलिराजपुर नामक एकटा गाम छैक। ई गाम मुधुबनी जिला मुख्यालयसँ करीब 34 किलोमीटर उत्तर-पूब दिसामे छैक। एतय एक टा प्राचीन किला छैक जे 365 बिगहामे पसरल छैक आ एकर देखभाल भारत सरकारक पुरातत्व विभाग क रहल अछि। किलाक खुदाई भेलापर एहिमे सँ मृदभांड आ विभिन्न तरहक बस्तु निकलल आ सोनाक सिक्का सेहो भेटलैक। किलाक बाहर जे बोर्ड लागल छैक ताहि के मुताबिक ई किला मौर्यकालीन हुअक चाही। किला के कात करोटमे जे गाम छैक ओहिमे भाँति-भाँतिक किंवदन्ति पसरल छैक, किलाक विषयमे। जतेक लोक, ततेक तरहक बात। किछु लोकक कथन छन्हि जे ई किला राक्षस राज बलिक राजधानी छलै -आ किछु गोटा तँ राजा बलिकेँ देखबाक सेहो दावा केलन्हि अछि। साँझ भेलाक बाद लोक सभ किला दिस जाइसँ बचए चाहैत छथि। भऽ सकैत अछि जे ई अफवाह सरकारी कर्मचारी लोकन्हि फैलेने हुएआए-कारण जे ओकरा सभकेँ ड्यूटी करएमे कनी आराम भऽ जाइत छैक। लोक सभ राजा बलिक डरे किछु चोरबऽ नञि चाहए छैक।

किला अद्भुत छैक। किलाक देबार भग्नावस्थामे रहितहु अपन यौवनक याद दिआ रहल अछि। किलाक देबार एतेक चाकर छैक जे ओदृपर तँ आसानी सँ एकटा रथ निकलिये जाइत हेतैक। देबारमे लागल ईंटा दू-दू फीट नमहर आ लगभग गोटेक फुट चाकर छैक। चीनक देबारसँ कम मोट नहि हेतैक ई अपन यौवन कालमे। किलामे एकटा पोखरि छैक, ककरो नहि बूझल छैक, जे कहिया खुनाएल ई पोखरि। बूढ़-पुरानक कहब छन्हि जे ई पोखरि राक्षसक कोरल अछि। किछु लोकनिक तँ ई मत छन्हि जे एहिमे एकटा सुरंग सेहो छैक-जकर रस्ता कतओ आर निकलैत छैक। सुनैत छियैक जे घ्राज-परिवारक सदस्यकेँ आपातकालमे बाहर निकालैक लेल एहन सुरंग बनायल जाइत छलैक। किलाक कात-करोटमे जे गाम छैक तकर नाम सेहो ऐतिहासिक। किलाक पूब दिस छैक फुलबरिया नामक गाम आ ओकर बगलमे सटल छैक गढ़ी गाम..जे आब अप्रभ्रंश भऽ कऽ गरही भऽ गेलैए। किलाक पच्छीम दिस छैक रमणी पट्टी नामक गाम आ ओहिसँ सटल छैक भुपट्टी। किलाक दक्षिणमे छैक बिक्रमशेर, जतय प्राचीन सूर्य मंदिरक अवशेष भेटलैए। ई बात ध्यान देबाक जोग जे सूर्य मंदिर देशमे बड्ड कम जगह छैक। बलिराज गढ़क खुदाई पहिल बेर 1976 मे भेलैक, जखन केन्द्रमे साइत डॉ0 कर्ण सिंह एहि बिभागक मंत्री छलाह। गढ़क उद्धारक लेल मधुबनीक पूर्व सांसद भोगेन्द्र झा आ कुदाल सेनाक अध्यक्ष सीताराम झाक बड्ड योगदान छन्हि। किछु इतिहासकार लोकनिक कहब छन्हि, जे ई किला बंगालक पालवंशीय राजा लोकनिक किला भ सकैत अछि वा फेर मौर्य सम्राटक उत्तरी सुरक्षा किला भऽ सकैत अछि। ओना किछु गोटेक कहब छन्हि जे एकर बड्ड संभावना- जे ई किला मिथिलाक प्राचीन राजधानी सेहो भऽ सकैत अछि।

एकर पाछू ओ ई तर्क दैत छथिन्ह, जे एखुनका जे जनकपुर अछि, ओ नव जगह अछि आ ओतुक्का मंदिर १८हम शताव्दीमे इंदौरक महाराणी दुर्गावतीक द्वारा बनबाएल गेल अछि। विद्वान लोकनि जनकपुरक ऐतिहासिकताक संदिग्ध मानैत छथि। हमरा एहि संबंधमे एकटा घटना मोन पड़ि रहल अछि। १० साल पहिने पटनामे वैशालीक एकटा सज्जन हमरा भेटलाह आ कहलन्हि जे बलिराज गढ़ वास्तबमे मिथिलाक प्राचीन राजधानी अछि। हुनकर कहब छलन्हि जे ह्वेनसांगक एकटा विवरणक मुताबिक पाटलिपुत्रँस एकटा खास दूरी पर वैशाली अछि, वैशालीसँ एतेक दूरीपर काठमांडू (काष्ठमंडप) अछि आ काठमांडूक दच्छिन आ पूब दिशामे मिथिलाक प्राचीन राजधानी छैक। एखुनका जनकपुर ओहि मापदंडपर सही नञि उतरि रहल अछि। पता नञि एहि बातमे कतेक सत्यता छैक। एकर अलावा, रामायणमे सेहो मिथिलाक प्राचीन राजधानीक संदर्भमे किछु संकेत छैक। रामायणक संकेत सेहो बलिराजपुरकेँ मिथिलाक राजधानी होएबाक संकेत कय रहल अछि।
पूर्व सांसद भोगेन्द्र झाक मुताबिक, राजा बलिक राजधानी महाबलीपुरम भर सकैत अछि, जे दच्छिन भारतमे छैक। सभसँ पैघ बात ई जे पूरा मिथिलामे बलिराजपुरसँ पुरान कोनो किला नहि अछि, जे मिथिलाक प्राचीन राजधानी होएबाक दावा कय सकए। किलाक भीतर उबड़-खाबड़ मैदान छैक, जे राजमहलक जमीनक भीतर धँसि जएबाक प्रमाण अछि। एतय एकाध जगह खुदाई भेलैए आ ओहीमे काफी कीमती धातु आ समान भेटलैक अछि। अगर एकर ढ़ंगसँ खुदाई कएल जाय तँ नञि जानि कतेक रहस्य परसँ आवरण उठि जायत। एखन धरि सरकारक तरफसँ कोनो ठोस प्रयास नहि भऽ पाओल अछि, जञिसँ बलिराज गढ़क प्राचीनताकेँ दुनियाक सोझाँ रखबाक कोसीस कएल जाय। बस एकटा कामचलाऊ सड़कसँ एकरा बगलक गाम खोजपुरसँ जोड़ि देल गेलैक आ इतिश्री कय देल गेलैक।
यदि बलिराज गढ़क खुदाई ढ़ंगसँ कएल जाय आ एतय एकटा नीक संग्रहालय बना देल जाय तँ बढ़िया काज होयत। मिथिलांचलक हृदयस्थलीमे रहबाक कारणेँ एतय मिथिला पेंटिंगक कोनो संस्थान वा आर्ट गैलरी सेहो खोलल जा सकैत अछि। एकटा नीक(चाकर आ चिक्कन हाईवे) क संग नीक विज्ञापन बलिराजगढ़क पर्यटक सभकेँ निगाहमे आनि सकैत अछि। एहिसँ इलाकाक गरीबी दूर करबामे सेहो मदद भेटत। यदि एकरा बुद्धा सर्किट वा रामायण सर्किटक अंग बना लेल जाय तँ आर उत्तम।

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