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ई कोन पापक सज़ा अछि ?

 
कोसी केर बाढिक असर अखन खत्म नहिं भेल अछि.  लोकक परेशानी खत्म होबय के नाम नहिं लs रहल अछि.  ई बात जरूर छै जे पानि कम भेल अछि मुदा पानि कम भेलाह सं दस तरहक दोसर परेशानी शुरू भs गेल अछि. पानि कम भेला सं पानि के बहनाय रुकि गेल अछि.  ठमकल पानि...जमल पानि दस तरहक बीमारी के न्योत दैत अछि.  लोक बीमार पड़ि रहल छथिन्ह.  दोसर मौसम एहन भs गेल अछि जे आ त पानि होई पर राहत शिविर मे... एम्हर-ओम्हर केहुना समय काटय पड़ि रहल छनि... आ पानि नहिं भेलाह पर रौद अपन एहन रुद्र रूप देखाबैत अछि जे कि कहल जाए...  आंखि चोन्हरा जाइत अछि.  कोनो मे गुजारा नहिं.   घर सं बेघर भेलाह पर कतहुं के नहिं रहि पाबैत अछि.  पानि कम भेलाह सं नाव चलनाय बंद भ गेल अछि.  हेलीकॉप्टर सं सामान गिरनाय त बंद अछिए.  नाव के बंद भेलाह सं राहत पहुंचय मे सेहो दिक्कत अछि.  रास्ता... पैरा एहन जे टोला...मोहल्ला तक सामान नहिं पहुंच पा रहल अछि.  शहर मे जे राहत शिविर मे छथिन्ह हुनका सभ के ई जरूर छनि जे खाय- पिबय लेल किछ न किछ मिलि जाइ छनि.  मुदा जे लोक गाम छोड़ि कs राहत शिविर मे नहिं गेल छथिन्ह हुनका सभ के कनि बेसिए परेशानी के सामना करय पड़ि रहल छनि.  किछ लोक त दिन मे राहत शिविर सं किछ खाय- पिबय के सामान लेबय लेल शहर जाए छथिन्ह मुदा सांझ होय सं पहिने गाम... घर लौट आबय छथिन्ह.  चोरी-चपारी...छिना-झपटी सेहो बढ़ि गेल अछि.   ईश्वर ई कोन तरहक परीक्षा ल रहल छथिन्ह सं नहिं कहि सकय छी. एहि के माध्यम सं कि सीख देबय चाहय छथिन्ह से अखन धरि नहिं पता लागल अछि.  ओना आई आर्ट ऑफ लिविंग के संगीता जी के कहनाय छलन्हि जे ई सभ एहि लेल भेल अछि जे उत्तरी बिहार आओर नेपाल मे बड़का स्तर पर...बड़का पैमाना पर लकड़ी के कटाई भेल अछि.  लकड़ी के तस्करी बढ़ि गेल अछि.  लकड़ी...पेड़ पौधा के कटला सं...जंगल के साफ भेलाह सं पानि रुकि नहिं पाबैत अछि जेहि कारण सं पानि मे वेग बेसि रहैत अछि. आओर ओहि उफनैत धार के सामने जे आबैत अछि बहि जाइत अछि. जंगल... पेड़...पौधा...गाछ...वृक्ष रहला पर ओ पानि के वेग के रोकि लैत अछि.  मुदा आब नेपाल मे सेहो जंगल साफ भs रहल अछि.  संगीता जी के एहि गप्प मे दम छनि.  मुदा एहि मे लापरवाही सेहो बड़का अछि. बांध मजबूत रहैत..नीक सं ओकर मरम्मत कएल गेल रहैत त आई सैकड़ो लोकक जान त नहिं गेल रहैत.   मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपया के बंटाधार होएत अछि.  ई त ओ ठेकेदार... इंजीनियर... अफसर... नेता सभ सेहो नहिं सोचले होएथिन्ह जे ई बहि जाएत... भsसकि जाएत. ओ त सोचले होएथिन्ह जे जेना सभ साल बाढ़ि आबय छै आएत आओर चलि जाएत.  मरम्मत के नाम पर किछ पाई मिलि जाएत.  मुदा ई त किछ आओर भs गेल.  चलु बाढ़ि खत्म भेलाह पर आब राहत मे घपला के खबर सेहो मिलय लगय त ओहि मे कोनो अचरज के गप्प नहिं होएत.  खैर जे होए आम लोक पिसाs रहल अछि.  कोई देखय वाला नहिं अछि.  लोक के त बस एतबा कहनाय छनि जे हे भगवान ई कोन पापक सज़ा मिलि रहल अछि?

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