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सपना सपने रहि गेल...


आई इंडिया टुडे पढ़ैत काल एकटा फोटो पर नजर अटकि गेल... खाने के लिए रोज की दौड़ नामक शीर्षक केर एहि फोटो के देखि बाढ़िक त्रासदी के समझल जा सकैत अछि. अहां अगर नीक सं एहि फोटो के देखबय त आंखि सं नोर खसि पड़त. अगर अहां बाढ़िक इलाका के होएब... कहिओ बाढ़ि सं पाला पड़ल होएत... कहिओ बाढ़िक पानि मे फंसल होएब त ई फोटो अहां के बेसि विचलित करत. फोटो देखि लागत हेलीकॉप्टर सं खनाय के पैकेट लेबय लेल दौड़ि रहल लोक अपने कका... बाबा... दाई... काकी... चाची... बौआ... नुनु छथिन्ह. हफ्ता... दस दिन.. मास दिन भूखल पिआसल रहला केर बाद लाजे कतेक दिन गुमसुम भs कोना धरने रहब. जिबय लेल हाथ पसारये पड़त. फोटो मे अहां देखि सकय छी जे जोरगर लोक बुजुर्ग के धकिया आगां बढ़य केर कोशिश कs रहल छथिन्ह जाहि सं हेलीकॉप्टर सं गिरय वाला सामान के पाबि सकथिन्ह. किछ महिला एहनो छथिन्ह जे कहिओ घर सं बाहर नहिं निकलल होएथिन्ह मुदा आई एहन दिन आएल जे दु टा रोटी के लेल पूरा गाम के सामने दौड़ि लगाबय पड़ि रहल छैनि. सोचिऔ गाम केर कतेक एहन लोक होएथिन्ह जे रोज बिना पूजा- पाठ कएने... दु- चारिटा लोक के प्रसाद खिऔने... दान- पुण्य कएने... ब्राह्मण भोजन करौने निवाण कहि करय छलखिन्ह... एकटा दाना नहिं ग्रहण करय छलखिन्ह. आई हुनका सेहो एहि मे दौड़ि लगाबय पड़ि रहय छैनि. गाम-घर के कतेक एहन लोक मिलि जएताह जे जिनगी भर दोसर ककरो सं किछ नहि लेलाह... कहिओ हाथ नहिं पसारला... सभ दिन दोसरे के सेवा मे लागल रहला... अपन सिर के केहनो विपत्ति आएल नहिं झुकय देलाह. मुदा एहि बाढ़ि मे हुनका सेहो सभ लोक के संग लाइन मे लगि खाय पिबय केर लेल हाथ पसारय पड़ि रहल छनि. कतेक लोक लाजे... शर्मे एहि लोक सं विदा भs गेलाह. मजबूरी मे हाथ नहिं पसारि पऔलाह. सभ दिन लोक के दान पुण्य केर काज कएलाह आई दु- टा दाना केर लेल हाथ पसारय पड़ि रहल अछि ई देखि कात मे पड़ल रहला... बलगर...जोरगर लोक... गुंडा... मवाली... बदमाश लोक राहत पर हाथ साफ करैत रहल... कमजोर भद्र लोक पाछा रहि गेलाह. अहां सोचि सकगय छी केना जिनगी कटैत होएत ?
सभ दिन जखन भोरे उठि कs भोला बाबा के जलि ढारैत काल...कोसी मैया के प्रार्थना करय काल कहैत छलाह जे हे ईश्वर अपन एतेक आशीर्वाद रखने रहब जे कहिओ ककरो आगा हाथ नहि पसारय पड़य. मुदा ई कहा सोचने छलहुं जे सपना सपने होई छै. होई छै वैह जे हुनका मंजूर होई छै.

1 टिप्पणी:

  1. gupta jee, apan mithilaak baaidhh par akta aur hriday-vidaarak lekh padhi ka bahut dukh bhel. bhukh aur pyaas ke aaga kunu laaj aur sharam ke sthaan nai chhai.ee laaj aur maryaada baidhh-pidit ke aee samayak majbuir chhai. lekin prashasanak lel dubi maraik baat. lekin jata aankhik paine khatam bha gel hoi ota prashasan par ki tippani kel je.

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