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दु गज सुखल ज़मीन नहिं

    कोसी मे आएल बाढ़ि सं लोकक जिनगी बदलि गेल अछि.   जिनगी केर मायने बदलि गेल अछि.  चारु कात हाहाकार मचल अछि.  बाढिक पानि किछ कम भेल अछि.  नीच इलाका मे फैल गेलाह आ कुरसेला के पास गंगा मे पानि मिलला सं सेहो किछ राहत छै.   मुदा संकट अखनो किछ कम नहिं भेल अछि.   एहि बीस दिन मे भूखल-पिआसल लोक मे... घास-पात खा जिबैय के कोशिश करय वाला लोक मे खाड़ होबय केर शक्ति नहिं रहलन्हि अछि.   भूख पिआस सं कराहि कतेक लोक दम तोड़ि देलाह.    कतेह बाढ़िक पानि मे फंसि प्राण त्याग देलाह.  जवान पुत्र केर सामने पिता केर मौत... बुढ़ पिताक सामने जवान बेटाक मौत.  मुदा लोक एतेक समर्थ नहिं छथिन्ह जे अपन रिश्तेदार... अपन लोक... अपन परिजन के अंतिम संस्कार कs पाबैथिन्ह.  नहिं कतोहुं सुखल लकड़ी अछि आ नहिं कतोहु सुखल ज़मीन.  अंतिम संस्कार कएल जाय त कतय.   सभस बड़का परेशानी.  चारु कात पानिए- पानि.   एहि मे कि कएल जाए.   करेज पर पाथर राखि एक बेर भरि पांज पजिआ धार मे बहा दैत  छथिन्ह.   आखिरी समय मे दु गज ज़मीन तक नहिं मिलैत छनि.   अहां सभ समझि सकय छियैन्ह बाढ़ि मे फंसल लोकक विपत्ति के.   पानि भूख सं लोक मरि रहल छथिन्ह.  अंतिम संस्कार लेल दु गज जमीन नहिं मिलि रहल छनि.  शव के पानि मे... कोसी के उफनैत धार मे फेंकय पड़ि रहल  छथिन्ह.   करबो  कि करथिन्ह.  आओर कोनो उपाय छै.  एहि दर्द के बांटनाय आओर समझनाय मुश्किल अछि.  जकरे पर एहन विपत्ति आबय छै ओकरे बुझबा पड़य छै.   सबकिछ तबाह.   गाम घर... दलान... गाय- भैंस...मवेशी... अपन- पराय सभ किछ बहि गेल.   एहन हाल मे मौत केर बादो परेशानी कम नहिं होएत छै.  दिमाग काम नहिं करैत अछि.  दुनिया बदलि जाएत अछि.  एहन मे पानि कमला पर...बाढ़ि खत्म भेला पर हिनका सभ के राहत केर संग मनोचिकित्सक उपचार केर सेहो जरुरत पड़तन्हि.  बड़ बड़का सदमा सं गुजरि रहल छथिन्ह लोक सभ. सरकार के... एनजीओ के... आध्यात्मिक संस्था के... योग संस्थान के एहि पर ध्यान देबय के जरूरत अछि.

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