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Kaathak lok

दिल्ली बनल मिथिला... 6 अगस्त के मंडी हाउस के श्रीराम सेंटर मे जे हाल छल ओकरा देखि कहि सकय छी जे ओहि समय दिल्ली मिथिला मे बदलि गेल छल. लागैत छल जेना सभ मैथिल लोकनि एहिठाम आबि गेल छथिन्ह. मुसलाधार पानि होय के बादो श्रीराम सेंटर मे खड़ा होए के जगह नहिं. हमहुं पानि मे भिंगैंत जेना-तेना पहुंचलौं. मुदा हॉल में घुसला के बाद इहो बिसरि गेलहुं जे कपड़ा भींग चुकल अछि. मैथिली नाटक आओर गीत नाद सं पूरा माहौल मे मिथिलाक महक... मिठास घुलि गेल रहय. लगते नहिं छल जे मिथिला के बाहर छी. लागैत छल गामे-घर में कोनो नाटकक आनंद लs रहल छी.
मैथिली भोजपुरी अकादमी के दु दिनक कार्यक्रमक मे पहिल दिन विदेसिया भेल आ दोसर दिन रहल मैथिली... मिथिला केर नाम. सुपरिचित युवा रंगकर्मी प्रकाश झा के निर्देशन मे महेन्द्र मलंगिया जीक 'काठक लोक' क एहन जीवंत मंचन भेल जे सभ दर्शक लोकनि एहि मे रमि गेलाह. लगैत छल जेना पूरा मिथिला एहि ठाम आबि गेल अछि. दर्शकक संग-संग कलाकार लोकनि सेहो खूब आनंद उठएलाह. ई नाटक मिथिलाक चर्चित लोककथा कठरी बाबा के आधार लs क लिखल गेल अछि. एकर भाव मे ई अछि जे सत्य के असत्य सं दबायल नहि जा सकैत अछि... जोर जबरदस्ती सं सत्य के खत्म नहिं कएल जा सकैत अछि... सत्य आखिर सत्ये होएत अछि... आओर देर सबेर ई सामने जरूर आएत ... सत्य के जीत जरूर होएत... आओर असत्य के हार. एहि तथ्य के उजागर करय वाला काठक लोक नाटक में सभस प्रभावी रोल छलैनि दानी बाबू...साधु आओर रीता देवी क. साधु केर भूमिका में मुकेश झा सभस बेसि थपड़ी बटोरलाह. हिनकर अंदाज सभ सं निराला रहल. हिनकर हास्य सं भरल रोल पर दर्शक सभ बेर- बेर थपड़ी बजाबैत रहलथिन्ह. दानी बाबू के रोल में नीलेश दीपक जी आओर रीता देवी के भूमिका में ज्योति वत्स जी प्रभावी रहलाह. एकर अलावा हीरा लाल...दमड़ी कांत आओर सरदार के भूमिका सेहो नीक रहल. निर्देशक काफी कसल छल. नाटक शुरू सं अंत धरि लोक के अपना में बान्हले रहल. दर्शक सभ एकदम सं रमल रहलाह. दर्शक उत्साह सं निर्देशक महोदय आओर अकादमी सं जुड़ल लोक सभ सेहो बड़ उत्साहित छलाह. नाटकक शानदार प्रस्तुति केर बाद गीत नादक कार्यक्रम भेल. एहि मे सुन्दरम ... सुश्री राखी ... सुश्री अंशुमाला आओर कल्पना मिश्रा जी अपन सुन्दर आवाज... मीठ बोल सं दर्शक के झुमय लेल मजबूर कए देलथिन्ह. हम तरुणी पिया बालक पर खूब थपड़ी बाजल. मैथिलीक मिठास सं भरल गीत सुनि मन गदगद भ गेल. एहि तरहक कार्यक्रम बेर- बेर होबाक चाही जाहि सं मिथिला सं बाहर रहय वाला लोक सभ के गाम घर के कमी बेसि नहिं अखरय.


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