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मिथिला महान पत्रिका

दिल्ली सं मैथिली में एकटा पत्रिका निकलय अ " मिथिला महान " ओना त ई चारि साल सं पहिने सं छपि रहल अछि मुदा एकर विमोचन किछु दिन पहिने दिल्ली में मिथिला विभूति स्मृति पर्व समारोह में केंद्रीय आईटी राज्यमंत्री डॉ शकील अहमद कएने छलथिन्ह. मिथिला महान के संपादक छथि श्री गोपाल प्रसाद जी. ऊर्जा सं भरपूर. किछ नव करय लेल उत्सुक. मिथिलाक कला- संस्कृति, पेंटिंग्स आदिक प्रचार-प्रसार के लेल गोपालजी "मिशन मिथिला" सेहो चलावैत छथि. गोपालजी के कहनाय छैनि जे सभ मिथिलावासी के अपन मिथिला भूमिक प्राचीन परम्परा पर अभिमान होबाक चाही. बदलाव केर बयार सं अपन समृद्ध परम्परा के नहिं बिसरबाक चाही. ओ चाहय छथि जे मैथिलीक पढ़ाई हर विश्वविद्यालय में होय. मैथिलीक पोथी आसानी सं लोक के मिलय. दिल्ली. मुम्बई आओक कोलकाता में मैथिल के संग भेदभाव बंद कएल जाय.
दिल्ली में जहि समारोह में मिथिला महान के विमोचन भेल छल ओहि में हमहुं छलहुं. मुदा तखन पत्रिका नहिं मिल सकल छल ताहि कारणे एतेक दिन तक एकरा बारे में नहिं लिखने छलहुं. पिछला दिन गोपालजी सं हमरा पत्रिका पढय लेल मिलल. नीक प्रयास कएने छथिन्ह, नीक काज छै. मुदा ई पत्रिका त्रैमासिक अछि. बात एहिठाम अखरि जाइ छै. पत्रिका निकालय छी एहि में पाई खर्च होय छै. एक तरहक व्यवसाय भ जाइ छै. आओर कारोबार चलाबय लेल अपन माल...प्रोडक्ट के बेचय लेल एहन तरहे सजायल जाय छै.. ओहि में एहन चीज डालल जाय छै जे ओ लोक के अपना ओर आकर्षित करय. एहि लेल पत्रिका में लोकक पसंद के ध्यान रखय पड़त . एक दुटा छोड़ि... अगर अपन सभ विचार थोपय चाहब त पाठक भागि जयताह. ई देखिऔ कि ओ कि चाहैत छथिन्ह . पत्रिका में ज्यादा लेख, कविता सेहो बोझिल भ गेल छै. अहां के ई देखय पड़त जे आई काल्हि कोनो स्कूल कॉलेज में मैथिली में पढ़ाई नहिं होय छै. हाई स्कूल के बाद एकटा विषय के रूप में मैथिली लय लिय, मुदा गाम के किछ बच्चा के छोड़ि दिअउ त शहर में विद्यार्थी सभ एहि सं दूर भागि रहल छथिन्ह. त अहांके आ मैथिली पत्रिका पढ़त के? अहां कररा लेल निकालि रहल छी ? जे दिल्ली... मुम्बई... कोलकाता ... बिहार में पढ़ल लिखल तबका छथिन्ह हुनके लेल नहिं? त फेर बोल चाल के आसान मैथिली में लिखबाक कोशिश करु न. पत्रिका किछ बोझिल जका लगैत अछि. लोक 25 टका द क खरीदताह त बाजार में एहि सं कम दाम में मिलय वाला बेहतर पत्रिका सभ स तुलना करताह. भने ओ मैथिली में नहि छै. मुदा जे हुनका चाहि ओ कम दाम में मिलि रहल छै. त ओ अहांक पत्रिका किएक खरीदताह... ई ध्यान में रखय पड़त ... बड़का नाम पर नहिं जाउ. उपन्यास... बड़का कहानी... बड़का कविता लिखनाय दोसर बात छै. मुदा पत्रिका के लेल लिखनाय दोसर बात. कोई मैथिली के बड़का कवि, लेखक होयताह मुदा... आम आदमी... लोक हुनका पसंद करताह से दोसर बात छै. आर्टिकिल उबाऊ नहिं होबाक चाहि. एहन नहिं होबाक चाहि जे पत्रिका खरीद क लाबि आओर एक बेर उलटि पलटि क रखि दी. कोशिश नीक अछि मुदा अखन पत्रिका लेल सुधारक जरूरत अछि.

1 टिप्पणी:

  1. hamra apan bhasa s bahut prem achi muda hamra kono side ke bare me jankari nahi achi.
    se anha s hamar e namr nivedan je hamra kono side ke bare me jankari
    diy.
    ham bahut khojlo t at phunchlo.
    anha hamra s smpark hamar email ke doora ka skee chi.
    (jha1jha@gmail.com)

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