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आर्ट ऑफ लिविंग


आर्ट ऑफ लिविंग में जे सभस नीक बात छै ऊ छै सांस पर नियंत्रण...ओना हर चीज में नियंत्रण होबाक चाहि...बिना नियंत्रण...बैलेंश के कोनो चीज...कोनो काज ठीक सं नहिं भ सकैत अछि...त आब बात कएल जाय एकर बेसिक कोर्स पर...एहि में कहल गेल छै जे मनुष्य के अस्तित्व के लेल सात स्तर अछि..ओहि में शरीर(BODY), सांस(BREATH), मन(MIND), बुद्धि(INTELLECTUAL), चित्त(MEMORY), अहंकार(EGO) आओर आत्म(SELF)...एकर संगहि जीवन जीवय के लेल जे ऊर्जा चाहि ओकर चारि टा स्रोत छै...भोजन (FOOD), सांस (BREATH), नींद(SLEEP) आओर ज्ञान(INFORMATION)...
बेसिक कोर्स में सभस नीक बात छै अहि में शामिल सुदर्शन क्रिया...ई क्रिया दुनिया के श्री श्री रविशंकर जी के देन अछि...एहि क्रिया स शरीर के भीतर के गंदगी..नकारात्मक शक्ति..तनाव बाहर निकलय छै आओर शरीर ,मन के प्रकृति के बीच तालमेल बिठाबय में मदद करय छै..दुनिया के लेल ई गुरुजी के अमूल्य भेंट छै..सांस जे छै ओ मन आओर भावना के बीच संबंध स्थापित करय छै...किएक त अहां देखबय जे जखन कोनो व्यक्ति तनाव में..दबाव में होय छथिन्ह त हुनकर सांस के स्वाभाविक लय बिगड़ि जाइत छैन...सुदर्शन क्रिया में जे ऊर्जा छै ओ आश्चर्यजनक छै..शुरू में त अहां के किछु परेशानी होयत मुदा एक दु बेर करला के बाद एकर फायदा अहां के महसूस होयत..
कोर्स के दौरान जीने की कला जे बतायल जाइत अछि ओहि में व्यक्ति विकास पर सेहो ध्यान देल जाइत अछि..किछु सरल नियन पर सेहो चर्चा होइत अछि... जाहि में पहिल अई कि वर्तमान क्षण अटल है...अहां नहिं त पहिने जे भेल छै तकरा बदलि सकय छी न जे होय वाला छै ओकरा लेल किछु कहि सकय छी...अहां के पास सिर्फ अई तं वर्तमान क्षण...वर्तमान क्षण के पुरा आनंद लिय...पुरा मजा लिय..जे होबाक छै से होबय करतहिं..चिंता करय के जरूरत नहिं छै...कि अहां ओकरा बदलि सकय छी..नहिं त जे भ रहल छै ओकर आनंद लिय...अहां एक क्षण आंखि बंद कए क देखिऔ अहांक मन कतय भागय अ...ओकरा वर्तमान में लाबय के कोशिश करिऔ..कहय में आसान छै मुदा छै बड़ कठिन... अहि लेल सभ किछु भुलि वर्तमान क्षण के मस्ती नहिं गवांउ..जे जेना छै ओकरा ओहिना स्वीकार करिऔ...दोसर के विचार के शिकार नहिं बनुं...हर चीज में दोष छै ओकरा में किछु गुण सेहो छै ओकर गुण के खोजय के कोशिश करिऔ...
बेसिक कोर्स जखन शुरू करब तखन लागत जे हम एकसरे छी मुदा जखन 6 दिनक कोर्स पुरा होयत त लागत पुरा दुनिया अहिं के अछि...सभं लोक अपन लागत...एकरा बाद एकटा समुदाय टाइप के बनि जाइत अछि...जीवन में एकटा नव आनन्द मिल जाइत अछि...एकटा नव रास्ता मिल जाइत अछि..सभ गोटे अहांके अपन लागत.

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